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Brahmand Vijay Shri Shiva Kavacham || ब्रह्माण्डविजय श्री शिव कवचम् : Full Lyrics !! शिव जी का अत्यंत शक्तिशाली कवच
Brahmand Vijay Shri Shiva Kavacham (ब्रह्माण्डविजय श्री शिव कवचम्)
Shiva Kavach (शिव कवच) एक परम अद्भुत और ब्रह्माण्डविजय कवच है, जिसकी दस लाख जप से ही सिद्धि प्राप्त हो जाती है। यदि यह कवच सिद्ध हो जाए, तो साधक निश्चय ही रुद्र-तुल्य हो जाता है। यह काण्वशाखोक्त कवच अत्यंत गोपनीय और परम दुर्लभ है। सहस्रों Ashwamedha Yagya और सैकड़ों Rajasuya Yagya भी इस कवच की सोलहवीं कला के समान नहीं हो सकते। इस Shiva Kavach की कृपा से साधक Jeevanmukt, Sarvagya, Samppurna Siddhiyon Ka Swami और Man Ke Saman Vegshali हो जाता है। जो इस Shiva Kavach को बिना जाने Bhagwan Shankar का Bhajan करता है, उसे Ek Crore Jap करने पर भी Mantra Siddhi प्राप्त नहीं होती। अतः जो भी Shiva Bhakt जीवन में Victory, Power, Protection और Spiritual Growth चाहता है, उसे Shiva Kavach का विधिपूर्वक Jap और Sadhna करनी चाहिए।॥ ब्रह्माण्डविजय श्री शिव कवचम् ॥
(Brahmand Vijay Shri Shiva Kavacham)
॥ नारद उवाच ॥
शिवस्य कवचं ब्रूहि मत्स्य राजेन यद्धृतम् ।
नारायण महाभाग श्रोतुं कौतूहलं मम ॥ १॥
॥ श्रीनारायण उवाच ॥
कवचं शृणु विप्रेन्द्र शङ्करस्य महात्मनः ।
ब्रह्माण्ड विजयं नाम सर्वाऽवयव रक्षणम् ॥ २॥
पुरा दुर्वाससा दत्तं मत्स्यस्य राजाय धीमते ।
दत्वा षडक्षरं मन्त्रं सर्व पाप प्रणाशनम् ॥ ३॥
स्थिते च कवचे देहे नास्ति मृत्युश्च जीविनाम् ।
अस्त्रेशस्त्रेजलेवह्नौ सिद्धिश्चेन्नास्ति संशयः ॥ ४॥
यद्धृत्वा पठनात् बाणः शिवत्वं प्रापलीलया ।
बभूव शिवतुल्यश्च यद्धृत्वा नन्दिकेश्वरः ॥ ५॥
वीरश्रेष्ठो वीरभद्रो साम्बोऽभूद् धारणाद्यतः ।
त्रैलोक्य विजयी राजा हिरण्यकशिपुः स्वयम् ॥ ६॥
हिरण्याक्षश्च विजयी चाऽभवद् धारणाद्धि सः ।
यद्धृत्वा पठनात् सिद्धो दुर्वासा विश्व पूजितः ॥ ७॥
जैगीषव्यो महायोगी पठनाद् धारणाद्यतः ।
यद्धृत्वा वामदेवश्च देवलः पवनः स्वयम् ॥ ८॥
अगस्त्यश्च पुलस्त्यश्चाऽभवत् विश्वपूजितः ॥ ९॥
॥ श्री शिव कवचम् ॥
ॐ नमः शिवायेति च मस्तकं मे सदाऽवतु ।
ॐ नमः शिवायेति च स्वाहा भालं सदाऽवतु ॥ १॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं शिवायेति स्वाहा नेत्रे सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं क्लीं हूं शिवायेति नमो मे पातु नासिकाम्॥२॥
ॐ नमः शिवाय शान्ताय स्वाहा कण्ठं सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं श्रीं हूं संसार कर्त्रे स्वाहा कर्णौ सदावतु ॥ ३॥
ॐ ह्रीं श्रीं पञ्चवक्त्राय स्वाहा दन्तं सदावतु ।
ॐ ह्रीं महेशाय स्वाहा चाऽधरं पातु मे सदा ॥ ४॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं त्रिनेत्राय स्वाहा केशान् सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं ऐं महादेवाय स्वाहा वक्षः सदाऽवतु ॥ ५॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं मे रुद्राय स्वाहा नाभिं सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं ऐं श्रीं श्रीं ईश्वराय स्वाहा पृष्ठं सदाऽवतु ॥ ६॥
ॐ ह्रीं क्लीं मृतुञ्जयाय स्वाहा भ्रुवौ सदाऽवतु ।
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ईशानाय स्वाहा पार्श्वं सदाऽवतु ॥ ७॥
ॐ ह्रीं ईश्वराय स्वाहा चोदरं पातु मे सदा ।
ॐ श्रीं ह्रीं मृत्युञ्जयाय स्वाहा बाहू सदाऽवतु ॥ ८॥
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ईश्वराय स्वाहा पातु करौ मम ।
ॐ महेश्वराय रुद्राय नितम्बं पातु मे सदा ॥ ९॥
ॐ ह्रीं श्रीं भूतनाथाय स्वाहा पादौ सदाऽवतु ।
ॐ सर्वेश्वराय शर्वाय स्वाहा पादौ सदाऽवतु ॥ १०॥
प्राच्यां मां पातु भूतेशः आग्नेय्यां पातु शङ्करः ।
दक्षिणे पातु मां रुद्रो नैॠत्यां स्थाणुरेव च ॥ ११॥
पश्चिमे खण्डपरशुर्वायव्यां चन्द्रशेखरः ।
उत्तरे गिरिशः पातु चैशान्यां ईश्वरः स्वयम् ॥ १२॥
ऊर्ध्वे मृडः सदा पातु चाऽधो मृत्युञ्जयः स्वयम् ।
जले स्थले चाऽन्तरिक्षे स्वप्ने जागरणे सदा ॥ १३॥
पिनाकी पातु मां प्रीत्या भक्तं वै भक्तवत्सलः ॥ १४॥
॥ फलश्रुतिः ॥
इति ते कथितं वत्स कवचं परमाऽद्भुतम् ॥ १५॥
दश लक्ष जपेनैव सिद्धिर्भवति निश्चितम् ।
यदि स्यात् सिद्ध कवचो रुद्र तुल्यो भवेद् ध्रुवम् ॥ १६॥
तव स्नेहान् मयाऽऽख्यातं प्रवक्तव्यं न कस्यचित् ।
कवचं काण्व शाखोक्तं अतिगोप्यं सुदुर्लभम् ॥ १७॥
अश्वमेध सहस्राणि राजसूय शतानि च ।
सर्वाणि कवचस्यास्य फलं नार्हन्ति षोडशीम् ॥ १८॥
कवचस्य प्रसादेन जीवन्मुक्तो भवेन्नरः ।
सर्वज्ञः सर्वसिद्धेशो मनोयायी भवेद् ध्रुवम् ॥ १९॥
इदं कवचं अज्ञात्वा भवेत् यः शङ्करप्रभुम् ।
शतलक्षं प्रजप्तोऽपि न मन्त्रः सिद्धिदायकः ॥ २०॥
॥ इति श्री ब्रह्माण्डविजय शिव कवचम् सम्पूर्णम् ॥
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Shiva Bhujangam (शिव भुजङ्गम्)
शिव भुजङ्गम् भगवान शिव की स्तुति में रचित एक भजन है, जो उनके दिव्य स्वरूप और महिमा का वर्णन करता है।Shloka-Mantra
Shri Rudrashtakam Stotra (श्रीरुद्राष्टकम्)
सनातन धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि शिव जी आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। यदि कोई भक्त श्रद्धा पूर्वक उन्हें केवल एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। यदि आप शिव जी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं 'श्री शिव रूद्राष्टकम' का पाठ करना चाहिए। 'शिव रुद्राष्टकम' अपने-आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से शिव जी बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश पल भर में करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था।Stotra
Amogh Shiva Kavach (अमोघ शिव कवच)
Amogh Shiv Kavach एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह Lord Shiva के Rudra form का प्रतीक है। जो व्यक्ति नियमित रूप से Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, उसे Lord Shiva's special grace प्राप्त होती है। यह Kavach व्यक्ति को सभी Graha Dosh पीड़ा, Tantra Badha, Nazar Dosh, Pitru Dosh, Sudden Death, Physical troubles, Mental troubles, Financial troubles आदि से बचाता है। जो व्यक्ति Shiv Kavach Pendant पहनता है, उसके जीवन से negativity धीरे-धीरे समाप्त होने लगती है। यदि साधक Shiva Yantra Kavach पहनकर Amogh Shiv Kavach का पाठ करता है, तो वह भयंकर calamities से छुटकारा पाने लगता है। Navagraha के evil effects में कमी आने लगती है। साधक सभी प्रकार की diseases, Tantra-Mantra-Yantra से सुरक्षित रहता है। हर व्यक्ति को इस Amogh Shiv Kavach का पाठ अपनी daily worship में अवश्य करना चाहिए, ताकि वह और उसका परिवार troubles से बच सके।Kavacha
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श्री कालभैरव अष्टकम भगवान कालभैरव, जो भगवान शिव के उग्र और भयानक रूप हैं, की स्तुति में रचित एक पवित्र स्तोत्र है। इसमें काल (समय) के स्वामी कालभैरव की महिमा का वर्णन किया गया है, जो भक्तों को पापों, भय और बाधाओं से मुक्ति प्रदान करते हैं। भगवान कालभैरव का वास विशेष रूप से काशी (वाराणसी) में माना जाता है, जहां वे काशी के रक्षक देवता के रूप में पूजे जाते हैं। इस अष्टकम में उनके त्रिशूल, डमरू, और उनके दिव्य रूप का उल्लेख है, जो उनकी शक्ति और करूणा का प्रतीक है। श्री कालभैरव की आराधना कालाष्टमी, महाशिवरात्रि, और अमावस्या के दिनों में अत्यधिक फलदायी मानी जाती है। उज्जैन, त्र्यंबकेश्वर, और सोमनाथ जैसे पवित्र स्थलों पर उनकी पूजा विशेष रूप से प्रभावशाली मानी जाती है।Ashtakam
Shri Amarnath Ashtakam (श्री अमरनाथाष्टकम्)
Shri Amarnath Ashtakam भगवान शिव के अमरनाथ धाम में स्थित उनके दिव्य रूप की महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें "Lord of Immortality" और "Supreme Divine Protector" माना जाता है। यह स्तोत्र अमरनाथ यात्रा की महिमा और शिवलिंग के दिव्य स्वरूप की पूजा करता है, जिसे "Sacred Shiva Lingam" और "Cosmic Energy Source" के रूप में पूजित किया जाता है। Shri Amarnath Ashtakam का पाठ "Shiva Devotional Hymn" और "Divine Blessings Chant" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को "Spiritual Protection" और "Inner Peace" प्राप्त होती है। यह स्तोत्र "Lord Shiva's Divine Grace" और "Blessings for Prosperity" के रूप में अत्यधिक प्रभावी है। इसका जाप करने से जीवन में "Positive Energy" का प्रवाह होता है और व्यक्ति को "Spiritual Awakening" और "Cosmic Protection" मिलती है। Shri Amarnath Ashtakam को "Sacred Prayer for Blessings" और "Shiva's Eternal Grace" के रूप में पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।Ashtakam
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Shivanand Lahari (शिवानन्द लहरि)
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