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Bhairava Rupa Shiva Stuti || भैरवरूप शिव स्तुति : कालभैरव के दिव्य स्वरूप की स्तुति
Bhairava Rupa Shiva Stuti (भैरवरूप शिव स्तुति)
Bhairava Rupa Shiva Stuti (भैरवरूप शिव स्तुति) भगवान Shiva के उग्र और Bhairava स्वरूप को समर्पित एक दिव्य stuti है। भगवान भैरव को protector, destroyer of negativity और guardian of cosmic order माना जाता है। यह hymn भगवान शिव के उन गुणों को दर्शाता है, जिनमें वे fearlessness, protection, और justice के प्रतीक हैं। इस stuti का पाठ करने से व्यक्ति के जीवन से fear, obstacles, और negative energies समाप्त होती हैं। विशेष रूप से Kalabhairava Ashtami और Amavasya के दिन इसका recitation अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। Bhairava के भक्तों को इस stuti का नित्य पाठ करना चाहिए, जिससे वे courage, strength, और divine blessings प्राप्त कर सकें।॥ भैरवरूप शिव स्तुति ॥
(Bhairava Rupa Shiva Stuti)
देव, भीषणाकार, भैरव, भयंकर,
भूत-प्रेत-प्रमथाधिपति, विपति-हर्ता ।
मोह-मूषक-मार्जार, संसार-भय-हरण,
तारण-तरण, अभय कर्ता ॥
अतुल बल, विपुलविस्तार, विग्रहगौर,
अमल अति धवल धरणीधराभं ।
शिरसि संकुलित-कल-जूट पिंगलजटा,
पटल शत-कोटि-विद्युच्छटाभं ॥
भ्राज विबुधापगा आप पावन परम,
मौलि-मालेव शोभा विचित्रं ।
ललित लल्लाटपर राज रजनीशकल,
कलाधर, नौमि हर धनद-मित्रं ॥
इंदु-पावक-भानु-भानुनयन, मर्दन-मयन,
गुण-अयन, ज्ञान-विज्ञान-रूपं ।
रमण-गिरिजा, भवन भूधराधिप सदा,
श्रवण कुंडल, वदनछवि अनूपं ॥
चर्म-चर्म असि-शूल-धर, डमरु-शर-चाप-कर,
यान वृषभेश, करुणा-निधानं ।
जरत सुर-असुर, नरलोक शोकाकुलं,
मृदुलचित, अजित, कृत गरलपानं ॥
भस्म तनु-तनुभूषणं, भूषणंव्याघ्र-चर्माम्बरं,
उरग-नर-मौलि उर मालधारी ।
डाकिनी, शाकिनी, खेचरं, भूचरं,
यंत्र-मंत्र-भंजन, प्रबल कल्मषारी ॥
काल-अतिकाल, कलिकाल, व्यालादि-खग,
त्रिपुर-मर्दन, भीम-कर्म भारी ।
सकल लोकान्त-कल्पान्त शूलाग्र
कृत दिग्गजाव्यक्त-गुण नृत्यकारी ॥
पाप-संताप-घनघोर संसृति दीन,
भ्रमत जग योनि नहिं कोपि त्राता ।
पाहि भैरव-रूप राम-रूपी रुद्र, बंधु,
बंधुगुरु, जनक, जननी, विधाता ॥
यस्य गुण-गण गणति विमल मति शारधा,
निगम नारद-प्रमुख ब्रह्मचारी ।
शेष, सर्वेश, आसीन आनंदवन,
दास टुलसी प्रणत-त्रासहारी ॥
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