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Narayaniyam Dashaka 25 (नारायणीयं दशक 25)
नारायणीयं दशक 25 (Narayaniyam Dashaka 25)
स्तंभे घट्टयतो हिरण्यकशिपोः कर्णौ समाचूर्णय-
न्नाघूर्णज्जगदंडकुंडकुहरो घोरस्तवाभूद्रवः ।
श्रुत्वा यं किल दैत्यराजहृदये पूर्वं कदाप्यश्रुतं
कंपः कश्चन संपपात चलितोऽप्यंभोजभूर्विष्टरात् ॥1॥
दैत्ये दिक्षु विसृष्टचक्षुषि महासंरंभिणि स्तंभतः
संभूतं न मृगात्मकं न मनुजाकारं वपुस्ते विभो ।
किं किं भीषणमेतदद्भुतमिति व्युद्भ्रांतचित्तेऽसुरे
विस्फूर्ज्जद्धवलोग्ररोमविकसद्वर्ष्मा समाजृंभथाः ॥2॥
तप्तस्वर्णसवर्णघूर्णदतिरूक्षाक्षं सटाकेसर-
प्रोत्कंपप्रनिकुंबितांबरमहो जीयात्तवेदं वपुः ।
व्यात्तव्याप्तमहादरीसखमुखं खड्गोग्रवल्गन्महा-
जिह्वानिर्गमदृश्यमानसुमहादंष्ट्रायुगोड्डामरम् ॥3॥
उत्सर्पद्वलिभंगभीषणहनु ह्रस्वस्थवीयस्तर-
ग्रीवं पीवरदोश्शतोद्गतनखक्रूरांशुदूरोल्बणम् ।
व्योमोल्लंघि घनाघनोपमघनप्रध्वाननिर्धावित-
स्पर्धालुप्रकरं नमामि भवतस्तन्नारसिंहं वपुः ॥4॥
नूनं विष्णुरयं निहन्म्यमुमिति भ्राम्यद्गदाभीषणं
दैत्येंद्रं समुपाद्रवंतमधृथा दोर्भ्यां पृथुभ्याममुम् ।
वीरो निर्गलितोऽथ खड्गफलकौ गृह्णन्विचित्रश्रमान्
व्यावृण्वन् पुनरापपात भुवनग्रासोद्यतं त्वामहो ॥5॥
भ्राम्यंतं दितिजाधमं पुनरपि प्रोद्गृह्य दोर्भ्यां जवात्
द्वारेऽथोरुयुगे निपात्य नखरान् व्युत्खाय वक्षोभुवि ।
निर्भिंदन्नधिगर्भनिर्भरगलद्रक्तांबु बद्धोत्सवं
पायं पायमुदैरयो बहु जगत्संहारिसिंहारवान् ॥6॥
त्यक्त्वा तं हतमाशु रक्तलहरीसिक्तोन्नमद्वर्ष्मणि
प्रत्युत्पत्य समस्तदैत्यपटलीं चाखाद्यमाने त्वयि ।
भ्राम्यद्भूमि विकंपितांबुधिकुलं व्यालोलशैलोत्करं
प्रोत्सर्पत्खचरं चराचरमहो दुःस्थामवस्थां दधौ ॥7॥
तावन्मांसवपाकरालवपुषं घोरांत्रमालाधरं
त्वां मध्येसभमिद्धकोपमुषितं दुर्वारगुर्वारवम् ।
अभ्येतुं न शशाक कोपि भुवने दूरे स्थिता भीरवः
सर्वे शर्वविरिंचवासवमुखाः प्रत्येकमस्तोषत ॥8॥
भूयोऽप्यक्षतरोषधाम्नि भवति ब्रह्माज्ञया बालके
प्रह्लादे पदयोर्नमत्यपभये कारुण्यभाराकुलः ।
शांतस्त्वं करमस्य मूर्ध्नि समधाः स्तोत्रैरथोद्गायत-
स्तस्याकामधियोऽपि तेनिथ वरं लोकाय चानुग्रहम् ॥9॥
एवं नाटितरौद्रचेष्टित विभो श्रीतापनीयाभिध-
श्रुत्यंतस्फ़उटगीतसर्वमहिमन्नत्यंतशुद्धाकृते ।
तत्तादृङ्निखिलोत्तरं पुनरहो कस्त्वां परो लंघयेत्
प्रह्लादप्रिय हे मरुत्पुरपते सर्वामयात्पाहि माम् ॥10॥
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Narayaniyam Dashaka 97 (नारायणीयं दशक 97)
नारायणीयं दशक 97 भगवान विष्णु की लीलाओं और उनकी महिमा का विस्तार से वर्णन करता है। यह अध्याय भक्तों के लिए अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव और ज्ञान की गंगा प्रदान करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)
विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।Chalisa
Sudarshan Kavach (श्री सुदर्शन कवच )
सुदर्शन कवच (Sudarshan Kavach) भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का महान रक्षात्मक कवच (protective shield) है। इस कवच का पाठ (recitation) करने से व्यक्ति गंभीर बीमारियों (serious illnesses), बुरी नजर (evil eye), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित रहता है और उसे उत्तम स्वास्थ्य (good health) प्राप्त होता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी गंभीर बीमारी (chronic disease) से पीड़ित है, जिसे उपचार (treatment) और दवाओं (medication) के बावजूद राहत नहीं मिल रही है, जिसके कारण उसे बहुत शारीरिक कष्ट (physical suffering) और पीड़ा सहनी पड़ रही है और उसका परिवार भी अत्यधिक परेशान है, तो ऐसी स्थिति में इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए। इस पाठ (recitation) से गंभीर बीमारियां (serious illnesses) धीरे-धीरे ठीक होने लगती हैं और शारीरिक स्वास्थ्य (physical health) भी अच्छा बना रहता है। व्यक्ति को दीर्घायु (longevity) का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यदि किसी व्यक्ति के घर में किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), बुरी नजर (evil eye), तंत्र-मंत्र (tantra-mantra) का प्रभाव, काला जादू (black magic) आदि है, जिसके कारण परिवार के सदस्यों के बीच रोज किसी न किसी बात पर झगड़े होते हैं, सभी के मन में एक-दूसरे के प्रति नाराजगी रहती है, और घर में अशांति रहती है, तो ऐसी स्थिति में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) करने और घर में सुदर्शन यंत्र (Sudarshan Yantra) स्थापित करने से व्यक्ति और उसका परिवार सभी नकारात्मक ऊर्जा (negative energy), काले जादू (black magic) आदि से सुरक्षित होने लगता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपनी दैनिक पूजा (daily worship) में सुदर्शन कवच का पाठ (Sudarshan Kavach recitation) अवश्य करना चाहिए, ताकि वह भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के दिव्य आशीर्वाद (divine blessings) प्राप्त कर सके।Kavacha
Dashaavatara Stotram (दशावतार स्तोत्रम्)
दशावतार स्तोत्रम् भगवान Vishnu के दस अवतारों की महिमा का वर्णन करता है, जो "Preserver of Universe" और "Supreme Protector" के रूप में पूजित हैं। यह स्तोत्रम् भक्तों को भगवान के Matsya, Kurma, Varaha, Narasimha, Vamana, Parashurama, Rama, Krishna, Buddha, और Kalki अवतारों के दिव्य कार्यों और उनके उद्देश्यों की याद दिलाता है। प्रत्येक अवतार पृथ्वी पर धर्म की रक्षा और अधर्म का नाश करने के लिए अवतरित हुआ है। यह स्तोत्रम् "Divine Chant for Vishnu Avatars" और "Evil Destroyer Hymn" के रूप में लोकप्रिय है। दशावतार स्तोत्रम् का नियमित पाठ "Spiritual Devotion" और "Positive Energy Mantra" के रूप में लाभकारी माना जाता है। भगवान Vishnu के इन अवतारों की स्तुति से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है। इसे "Vishnu Avatars Prayer" और "Hymn of Divine Incarnations" के रूप में पढ़ने से आध्यात्मिक जागरूकता और भक्तिभाव को बढ़ावा मिलता है।Stotra
Shri Badrinathji Arti (भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती)
भगवान श्री बद्रीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप की वंदना है। बद्रीनाथ धाम, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, को मोक्ष और दिव्यता का स्थान माना जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की कृपा, शांति, संपत्ति, और मोक्ष का गुणगान किया गया है। Badrinath Ji Aarti गाने से भक्तों को धार्मिक शुद्धि, आत्मिक शांति, और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है।Arti
Dashavatara Stuti (दशावतार स्तुति)
Dashavatara Stuti भगवान Vishnu के दस incarnations (avatars) की स्तुति है, जिसमें वे demons और evil forces का नाश कर universe की रक्षा करते हैं। इसमें Matsya (Fish), Kurma (Tortoise), Varaha (Boar), Narasimha (Lion-Man), Vamana (Dwarf), Parashurama, Rama, Krishna, Buddha, और Kalki के गुण गाए जाते हैं। यह holy hymn भक्तों को spiritual power और divine blessings प्रदान करता है। Dashavatara Stotra का पाठ करने से negativity दूर होती है और positive energy बढ़ती है। यह sacred chant भगवान Vishnu की glory का वर्णन करता है और devotion को बढ़ाता है। इस स्तुति का जाप karma, dharma, और moksha प्राप्त करने के लिए किया जाता है।Stuti
Narayaniyam Dashaka 31 (नारायणीयं दशक 31)
नारायणीयं दशक 31 भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनके भक्तों को प्रदान की गई सहायता का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनके अनंत अनुग्रह का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Achyutashtakam (अच्युताष्टकम्)
Achyutashtakam भगवान Lord Vishnu की अष्टकशरण स्तुति है, जो उनके दिव्य रूप और Divine Qualities का वर्णन करती है। इस Hindu Devotional Stotra का Chanting करने से भक्तों को Spiritual Growth, Protection, और Blessings मिलती है। Lord Vishnu Worship से जीवन में Peace, Prosperity, और Positive Transformation आती है। इस Sacred Hymn के पाठ से Divine Grace प्राप्त होती है और हर संकट से मुक्ति मिलती है। Achyutashtakam का पाठ करने से भक्तों को Inner Peace और Happiness प्राप्त होती है। यह Auspicious Stotra भक्तों के Spiritual Journey को उन्नति की ओर ले जाता है।Ashtakam