No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 10 (नारायणीयं दशक 10)
नारायणीयं दशक 10 (Narayaniyam Dashaka 10)
वैकुंठ वर्धितबलोऽथ भवत्प्रसादा-
दंभोजयोनिरसृजत् किल जीवदेहान् ।
स्थास्नूनि भूरुहमयानि तथा तिरश्चां
जातिं मनुष्यनिवहानपि देवभेदान् ॥1॥
मिथ्याग्रहास्मिमतिरागविकोपभीति-
रज्ञानवृत्तिमिति पंचविधां स सृष्ट्वा ।
उद्दामतामसपदार्थविधानदून -
स्तेने त्वदीयचरणस्मरणं विशुद्ध्यै ॥2॥
तावत् ससर्ज मनसा सनकं सनंदं
भूयः सनातनमुनिं च सनत्कुमारम् ।
ते सृष्टिकर्मणि तु तेन नियुज्यमाना-
स्त्वत्पादभक्तिरसिका जगृहुर्न वाणीम् ॥3॥
तावत् प्रकोपमुदितं प्रतिरुंधतोऽस्य
भ्रूमध्यतोऽजनि मृडो भवदेकदेशः ।
नामानि मे कुरु पदानि च हा विरिंचे-
त्यादौ रुरोद किल तेन स रुद्रनामा ॥4॥
एकादशाह्वयतया च विभिन्नरूपं
रुद्रं विधाय दयिता वनिताश्च दत्वा ।
तावंत्यदत्त च पदानि भवत्प्रणुन्नः
प्राह प्रजाविरचनाय च सादरं तम् ॥5॥
रुद्राभिसृष्टभयदाकृतिरुद्रसंघ-
संपूर्यमाणभुवनत्रयभीतचेताः ।
मा मा प्रजाः सृज तपश्चर मंगलाये-
त्याचष्ट तं कमलभूर्भवदीरितात्मा ॥6॥
तस्याथ सर्गरसिकस्य मरीचिरत्रि-
स्तत्राङिगराः क्रतुमुनिः पुलहः पुलस्त्यः ।
अंगादजायत भृगुश्च वसिष्ठदक्षौ
श्रीनारदश्च भगवन् भवदंघ्रिदासः ॥7॥
धर्मादिकानभिसृजन्नथ कर्दमं च
वाणीं विधाय विधिरंगजसंकुलोऽभूत् ।
त्वद्बोधितैस्सनकदक्षमुखैस्तनूजै-
रुद्बोधितश्च विरराम तमो विमुंचन् ॥8॥
वेदान् पुराणनिवहानपि सर्वविद्याः
कुर्वन् निजाननगणाच्चतुराननोऽसौ ।
पुत्रेषु तेषु विनिधाय स सर्गवृद्धि-
मप्राप्नुवंस्तव पदांबुजमाश्रितोभूत् ॥9॥
जानन्नुपायमथ देहमजो विभज्य
स्रीपुंसभावमभजन्मनुतद्वधूभ्याम् ।
ताभ्यां च मानुषकुलानि विवर्धयंस्त्वं
गोविंद मारुतपुरेश निरुंधि रोगान् ॥10॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 76 (नारायणीयं दशक 76)
नारायणीयं दशक 76 भगवान नारायण की महिमा और उनकी कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 3 (नारायणीयं दशक 3)
नारायणीयं दशक 3 में भगवान नारायण के महिमा का गान किया गया है। यह दशक भक्तों को भगवान के शक्ति और कृपा के लिए प्रार्थना करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 6 (नारायणीयं दशक 6)
नारायणीयं दशक 6 में भगवान नारायण की भक्तों पर कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के प्रेम और करुणा की विशेषता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Jagdishwar Ji Arti (जगदीश्वर जी की आरती)
Lord Shiva, जिन्हें Mahadev, Destroyer of Evil, और Bholenath कहा जाता है, उनकी आरती में उनकी सर्वशक्तिमान और सृष्टि के पालक स्वरूप की वंदना की जाती है। Shiv Aarti का पाठ करने से negative energy समाप्त होती है और जीवन में positivity, strength, और spiritual growth आती है।Arti
Narayaniyam Dashaka 21 (नारायणीयं दशक 21)
नारायणीयं दशक 21 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 30 (नारायणीयं दशक 30)
नारायणीयं दशक 30 भगवान विष्णु को समर्पित संस्कृत भक्ति काव्य का हिस्सा है। यह अध्याय भगवान विष्णु की लीलाओं और उनके भक्तों को प्रदान किए गए आशीर्वादों का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 7 (नारायणीयं दशक 7)
नारायणीयं दशक 7 में भगवान नारायण के लीलाओं की उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य लीलाओं की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 42 (नारायणीयं दशक 42)
नारायणीयं दशक 42 भगवान विष्णु की कृपा और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की अनंत कृपा और उनकी भक्तों के प्रति अद्वितीय प्रेम का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka