No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 3 (नारायणीयं दशक 3)
नारायणीयं दशक 3 (Narayaniyam Dashaka 3)
पठंतो नामानि प्रमदभरसिंधौ निपतिताः
स्मरंतो रूपं ते वरद कथयंतो गुणकथाः ।
चरंतो ये भक्तास्त्वयि खलु रमंते परममू-
नहं धन्यान् मन्ये समधिगतसर्वाभिलषितान् ॥1॥
गदक्लिष्टं कष्टं तव चरणसेवारसभरेऽ-
प्यनासक्तं चित्तं भवति बत विष्णो कुरु दयाम् ।
भवत्पादांभोजस्मरणरसिको नामनिवहा-
नहं गायं गायं कुहचन विवत्स्यामि विजने ॥2॥
कृपा ते जाता चेत्किमिव न हि लभ्यं तनुभृतां
मदीयक्लेशौघप्रशमनदशा नाम कियती ।
न के के लोकेऽस्मिन्ननिशमयि शोकाभिरहिता
भवद्भक्ता मुक्ताः सुखगतिमसक्ता विदधते ॥3॥
मुनिप्रौढा रूढा जगति खलु गूढात्मगतयो
भवत्पादांभोजस्मरणविरुजो नारदमुखाः ।
चरंतीश स्वैरं सततपरिनिर्भातपरचि -
त्सदानंदाद्वैतप्रसरपरिमग्नाः किमपरम् ॥4॥
भवद्भक्तिः स्फीता भवतु मम सैव प्रशमये-
दशेषक्लेशौघं न खलु हृदि संदेहकणिका ।
न चेद्व्यासस्योक्तिस्तव च वचनं नैगमवचो
भवेन्मिथ्या रथ्यापुरुषवचनप्रायमखिलम् ॥5॥
भवद्भक्तिस्तावत् प्रमुखमधुरा त्वत् गुणरसात्
किमप्यारूढा चेदखिलपरितापप्रशमनी ।
पुनश्चांते स्वांते विमलपरिबोधोदयमिल-
न्महानंदाद्वैतं दिशति किमतः प्रार्थ्यमपरम् ॥6॥
विधूय क्लेशान्मे कुरु चरणयुग्मं धृतरसं
भवत्क्षेत्रप्राप्तौ करमपि च ते पूजनविधौ ।
भवन्मूर्त्यालोके नयनमथ ते पादतुलसी-
परिघ्राणे घ्राणं श्रवणमपि ते चारुचरिते ॥7॥
प्रभूताधिव्याधिप्रसभचलिते मामकहृदि
त्वदीयं तद्रूपं परमसुखचिद्रूपमुदियात् ।
उदंचद्रोमांचो गलितबहुहर्षाश्रुनिवहो
यथा विस्मर्यासं दुरुपशमपीडापरिभवान् ॥8॥
मरुद्गेहाधीश त्वयि खलु परांचोऽपि सुखिनो
भवत्स्नेही सोऽहं सुबहु परितप्ये च किमिदम् ।
अकीर्तिस्ते मा भूद्वरद गदभारं प्रशमयन्
भवत् भक्तोत्तंसं झटिति कुरु मां कंसदमन ॥9॥
किमुक्तैर्भूयोभिस्तव हि करुणा यावदुदिया-
दहं तावद्देव प्रहितविविधार्तप्रलपितः ।
पुरः क्लृप्ते पादे वरद तव नेष्यामि दिवसा-
न्यथाशक्ति व्यक्तं नतिनुतिनिषेवा विरचयन् ॥10॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 29 (नारायणीयं दशक 29)
नारायणीयं का उनत्तीसवां दशक भगवान विष्णु के अनंत महिमा और उनकी लीला का वर्णन करता है। इस दशक में, भगवान के अनंत रूपों और उनकी दिव्यता का वर्णन किया गया है। भक्त भगवान की महिमा और उनकी असीम कृपा का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)
विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।Chalisa
Narayaniyam Dashaka 100 (नारायणीयं दशक 100)
नारायणीयं दशक 100 भगवान विष्णु के अवतारों और उनकी दिव्य लीलाओं का वर्णन करता है। यह अध्याय भक्तों को भगवान के अनंत रूपों और लीलाओं के प्रति श्रद्धा से भर देता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Badrinathji Arti (भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती)
भगवान श्री बद्रीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप की वंदना है। बद्रीनाथ धाम, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, को मोक्ष और दिव्यता का स्थान माना जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की कृपा, शांति, संपत्ति, और मोक्ष का गुणगान किया गया है। Badrinath Ji Aarti गाने से भक्तों को धार्मिक शुद्धि, आत्मिक शांति, और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है।Arti
Narayaniyam Dashaka 1 (नारायणीयं दशक 1)
नारायणीयं दशक 1 श्री नारायण की महिमा और महात्म्य को स्तुति करता है। यह दशक भक्तों को नारायण के प्रेम और भक्ति की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Bhu Varaha Stotram (श्री भू वराह स्तोत्रम्)
Shri Bhu Varaha Stotram भगवान Varaha, जो भगवान Vishnu के boar incarnation हैं, की divine glory का वर्णन करता है। यह sacred hymn पृथ्वी को demons से मुक्त करने और cosmic balance स्थापित करने की उनकी supreme power का गुणगान करता है। इस holy chant के पाठ से negative energy दूर होती है और spiritual strength मिलती है। भक्तों को peace, prosperity, और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह powerful mantra dharma, karma, और moksha की प्राप्ति में सहायक होता है। Shri Bhu Varaha Stotram का जाप जीवन में positivity और harmony लाने में मदद करता है।Stotra
Narayaniyam Dashaka 6 (नारायणीयं दशक 6)
नारायणीयं दशक 6 में भगवान नारायण की भक्तों पर कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के प्रेम और करुणा की विशेषता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Dashavatar rupahari-Vandana (श्रीदशावतार रूपहरि-वन्दना)
श्री दशावतार रूपहारी वंदना भगवान विष्णु के दस दिव्य अवतारों की स्तुति है। इसमें मत्स्य से लेकर कल्कि तक सभी अवतारों की महिमा, उनके रूप और कार्यों का वर्णन किया गया है। यह वंदना भक्ति, धर्म और आदर्श जीवन मूल्यों की प्रेरणा देती है।Vandana