No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 4 (नारायणीयं दशक 4 )
नारायणीयं दशक 4 (Narayaniyam Dashaka 4)
कल्यतां मम कुरुष्व तावतीं कल्यते भवदुपासनं यया ।
स्पष्टमष्टविधयोगचर्यया पुष्टयाशु तव तुष्टिमाप्नुयाम् ॥1॥
ब्रह्मचर्यदृढतादिभिर्यमैराप्लवादिनियमैश्च पाविताः ।
कुर्महे दृढममी सुखासनं पंकजाद्यमपि वा भवत्पराः ॥2॥
तारमंतरनुचिंत्य संततं प्राणवायुमभियम्य निर्मलाः ।
इंद्रियाणि विषयादथापहृत्यास्महे भवदुपासनोन्मुखाः ॥3॥
अस्फुटे वपुषि ते प्रयत्नतो धारयेम धिषणां मुहुर्मुहुः ।
तेन भक्तिरसमंतरार्द्रतामुद्वहेम भवदंघ्रिचिंतका ॥4॥
विस्फुटावयवभेदसुंदरं त्वद्वपुः सुचिरशीलनावशात् ।
अश्रमं मनसि चिंतयामहे ध्यानयोगनिरतास्त्वदाश्रयाः ॥5॥
ध्यायतां सकलमूर्तिमीदृशीमुन्मिषन्मधुरताहृतात्मनाम् ।
सांद्रमोदरसरूपमांतरं ब्रह्म रूपमयि तेऽवभासते ॥6॥
तत्समास्वदनरूपिणीं स्थितिं त्वत्समाधिमयि विश्वनायक ।
आश्रिताः पुनरतः परिच्युतावारभेमहि च धारणादिकम् ॥7॥
इत्थमभ्यसननिर्भरोल्लसत्त्वत्परात्मसुखकल्पितोत्सवाः ।
मुक्तभक्तकुलमौलितां गताः संचरेम शुकनारदादिवत् ॥8॥
त्वत्समाधिविजये तु यः पुनर्मंक्षु मोक्षरसिकः क्रमेण वा ।
योगवश्यमनिलं षडाश्रयैरुन्नयत्यज सुषुम्नया शनैः ॥9॥
लिंगदेहमपि संत्यजन्नथो लीयते त्वयि परे निराग्रहः ।
ऊर्ध्वलोककुतुकी तु मूर्धतः सार्धमेव करणैर्निरीयते ॥10॥
अग्निवासरवलर्क्षपक्षगैरुत्तरायणजुषा च दैवतैः ।
प्रापितो रविपदं भवत्परो मोदवान् ध्रुवपदांतमीयते ॥11॥
आस्थितोऽथ महरालये यदा शेषवक्त्रदहनोष्मणार्द्यते ।
ईयते भवदुपाश्रयस्तदा वेधसः पदमतः पुरैव वा ॥12॥
तत्र वा तव पदेऽथवा वसन् प्राकृतप्रलय एति मुक्तताम् ।
स्वेच्छया खलु पुरा विमुच्यते संविभिद्य जगदंडमोजसा ॥13॥
तस्य च क्षितिपयोमहोऽनिलद्योमहत्प्रकृतिसप्तकावृतीः ।
तत्तदात्मकतया विशन् सुखी याति ते पदमनावृतं विभो ॥14॥
अर्चिरादिगतिमीदृशीं व्रजन् विच्युतिं न भजते जगत्पते ।
सच्चिदात्मक भवत् गुणोदयानुच्चरंतमनिलेश पाहि माम् ॥15॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 13 (नारायणीयं दशक 13)
नारायणीयं दशक 13 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 1 (नारायणीयं दशक 1)
नारायणीयं दशक 1 श्री नारायण की महिमा और महात्म्य को स्तुति करता है। यह दशक भक्तों को नारायण के प्रेम और भक्ति की अद्वितीयता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Hari Sharanashtakam (श्री हरि शरणाष्टकम् )
Hari Sharan Ashtakam (हरि शरण अष्टकम): हरी शरण अष्टकम Lord Hari या Mahavishnu को समर्पित एक Ashtakam है। Mahabharata के Vishnu Sahasranama Stotra में "Hari" नाम Vishnu का 650वां नाम है। संस्कृत शब्द 'Sharanam' का अर्थ है Shelter। यह मंत्र हमें Hari's Shelter में लाने की प्रार्थना करता है, जो Place of Refuge है। Hari's Protection का आशीर्वाद सभी Anxieties को दूर कर देता है। Hari Sharan Ashtakam Stotra Prahlad द्वारा Lord Hari की Praise में रचित और गाया गया था। यह प्रार्थना Vishnu को Hari के रूप में समर्पित है। Hari का अर्थ है वह जो आपको True Path दिखाते हैं और उस Illusion (Maya) को दूर करते हैं जिसमें आप जी रहे हैं। यदि इस Stotra का सच्चे मन और Devotion के साथ पाठ किया जाए, तो यह व्यक्ति को Moksha (Ultimate Liberation) के मार्ग पर स्थापित कर सकता है। Hari Vedas, Guru Granth Sahib, और South Asian Sacred Texts में Supreme Absolute का एक नाम है। Rigveda's Purusha Suktam (जो Supreme Cosmic Being की Praise करता है), में Hari God (Brahman) का पहला और सबसे महत्वपूर्ण नाम है। Yajurveda's Narayan Suktam के अनुसार, Hari और Purusha के बाद Supreme Being का वैकल्पिक नाम Narayan है। Hindu Tradition में, Hari और Vishnu को एक-दूसरे के समान माना जाता है। Vedas में, किसी भी Recitation के पहले "Hari Om" Mantra का उच्चारण करने का नियम है, ताकि यह घोषित किया जा सके कि हर Ritual उस Supreme Divine को समर्पित है, भले ही वह किसी भी Demi-God की Praise क्यों न हो। Hinduism में, किसी भी God's Praise Song को "Hari Kirtan" कहा जाता है और Storytelling को "Hari Katha" के रूप में जाना जाता है।Ashtakam
Narayaniyam Dashaka 23 (नारायणीयं दशक 23)
नारायणीयं का तेईसवां दशक भगवान नारायण की कृपा और भक्तों की भक्ति के बारे में है। इसमें भगवान की महानता और उनकी लीला का वर्णन है। भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी शरण में जाने की प्रेरणा मिलती है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 31 (नारायणीयं दशक 31)
नारायणीयं दशक 31 भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनके भक्तों को प्रदान की गई सहायता का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान विष्णु की महिमा और उनके अनंत अनुग्रह का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Badrinathji Arti (भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती)
भगवान श्री बद्रीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप की वंदना है। बद्रीनाथ धाम, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, को मोक्ष और दिव्यता का स्थान माना जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की कृपा, शांति, संपत्ति, और मोक्ष का गुणगान किया गया है। Badrinath Ji Aarti गाने से भक्तों को धार्मिक शुद्धि, आत्मिक शांति, और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है।Arti
Narayaniyam Dashaka 58 (नारायणीयं दशक 58)
नारायणीयं दशक 58 भगवान नारायण की महिमा का गुणगान करता है और उनकी कृपा का वर्णन करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)
विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।Chalisa