No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shri Hari Sharanashtakam || श्री हरि शरणाष्टकम् : Full Lyrics; पाप नाशक कल्याणकारी श्री हरि शरण अष्टकम्
Shri Hari Sharanashtakam (श्री हरि शरणाष्टकम् )
Hari Sharan Ashtakam (हरि शरण अष्टकम): हरी शरण अष्टकम Lord Hari या Mahavishnu को समर्पित एक Ashtakam है। Mahabharata के Vishnu Sahasranama Stotra में "Hari" नाम Vishnu का 650वां नाम है। संस्कृत शब्द 'Sharanam' का अर्थ है Shelter। यह मंत्र हमें Hari's Shelter में लाने की प्रार्थना करता है, जो Place of Refuge है। Hari's Protection का आशीर्वाद सभी Anxieties को दूर कर देता है। Hari Sharan Ashtakam Stotra Prahlad द्वारा Lord Hari की Praise में रचित और गाया गया था। यह प्रार्थना Vishnu को Hari के रूप में समर्पित है। Hari का अर्थ है वह जो आपको True Path दिखाते हैं और उस Illusion (Maya) को दूर करते हैं जिसमें आप जी रहे हैं। यदि इस Stotra का सच्चे मन और Devotion के साथ पाठ किया जाए, तो यह व्यक्ति को Moksha (Ultimate Liberation) के मार्ग पर स्थापित कर सकता है। Hari Vedas, Guru Granth Sahib, और South Asian Sacred Texts में Supreme Absolute का एक नाम है। Rigveda's Purusha Suktam (जो Supreme Cosmic Being की Praise करता है), में Hari God (Brahman) का पहला और सबसे महत्वपूर्ण नाम है। Yajurveda's Narayan Suktam के अनुसार, Hari और Purusha के बाद Supreme Being का वैकल्पिक नाम Narayan है। Hindu Tradition में, Hari और Vishnu को एक-दूसरे के समान माना जाता है। Vedas में, किसी भी Recitation के पहले "Hari Om" Mantra का उच्चारण करने का नियम है, ताकि यह घोषित किया जा सके कि हर Ritual उस Supreme Divine को समर्पित है, भले ही वह किसी भी Demi-God की Praise क्यों न हो। Hinduism में, किसी भी God's Praise Song को "Hari Kirtan" कहा जाता है और Storytelling को "Hari Katha" के रूप में जाना जाता है।श्री हरि शरणाष्टकम्
(Shri Hari Sharanashtakam)
॥ श्री हरि शरणाष्टकम् ॥
ध्येयं वदन्ति शिवमेव हि केचिदन्येशक्तिं गणेशमपरे तु दिवाकरं वै।
रूपैस्तु तैरपि विभासि यतस्त्वमेवतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥1॥
नो सोदरो न जनको जननी न जायानैवात्मजो न च कुलं विपुलं बलं वा।
संदृष्यते न किल कोऽपि सहायको मेतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥2॥
नोपासिता मदमपास्य मया महान्तस्तीर्थानिचास्तिकधिया न हि सेवितानि।
देवार्चनं च विधिवन्न कृतं कदापितस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥3॥
दुर्वासना मम सदा परिकर्षयन्तिचित्तं शरीरमपि रोगगणा दहन्ति।
सञ्जीवनं च परहस्तगतं सदैवतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥4॥
पूर्वं कृतानि दुरितानि मया तु यानिस्मृत्वाखिलानि ह्रदयं परिकम्पते मे।
ख्याता च ते पतितपावनता तु यस्मात्तस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥5॥
दुःखं जराजननजं विविधाश्च रोगा:काकश्वसूकरजनिर्निरय च पात:।
त्वद्विस्मॄतेः फलमिदं विततं हि लोकेतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥6॥
नीचोऽपि पापवलितोऽपि विनिन्दितोऽपिब्रूयात्तवाहमिति यस्तु किलैकवारम्।
तं यच्छसीश निजलोकमिति व्रतं तेतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥7॥
वेदेषु धर्मवचनेषु तथागमेषुरामायणेऽपि च पुराणकदम्बके वा।
सर्वत्र सर्वविधिना गदितस्त्वमेवतस्मात्त्वमेव शरणं मम दीनबन्धो॥8॥
॥ इति श्रीमत्परमहंसस्वामिब्रह्मानन्दविरचितं श्रीहरिशरणाष्टकं सम्पूर्णम् ॥
Bhagwan Vishnu
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 83 (नारायणीयं दशक 83)
नारायणीयं का तिरासीवां दशक भगवान विष्णु के अनंत महिमा और उनकी लीलाओं का वर्णन करता है। इस दशक में भगवान की दिव्यता और उनकी लीला का गुणगान किया गया है। भक्त भगवान की महिमा और उनकी असीम कृपा का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 23 (नारायणीयं दशक 23)
नारायणीयं का तेईसवां दशक भगवान नारायण की कृपा और भक्तों की भक्ति के बारे में है। इसमें भगवान की महानता और उनकी लीला का वर्णन है। भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी शरण में जाने की प्रेरणा मिलती है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Badrinathji Arti (भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती)
भगवान श्री बद्रीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप की वंदना है। बद्रीनाथ धाम, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, को मोक्ष और दिव्यता का स्थान माना जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की कृपा, शांति, संपत्ति, और मोक्ष का गुणगान किया गया है। Badrinath Ji Aarti गाने से भक्तों को धार्मिक शुद्धि, आत्मिक शांति, और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है।Arti
Narayaniyam Dashaka 27 (नारायणीयं दशक 27)
नारायणीयं का सत्ताईसवां दशक भगवान विष्णु की असीम कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके अनुग्रह का वर्णन करता है। इस दशक में, भगवान की कृपा और उनके भक्तों के प्रति उनके प्रेम की महिमा की गई है। भक्त भगवान की अनंत कृपा और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Shri Vishnu Chalisa (श्री विष्णु चालीसा)
विष्णु चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान विष्णु पर आधारित है। हिन्दू मान्यतानुसार भगवान विष्णु त्रिदेवों में से एक हैं। Vishnu Chalisa का पाठ विशेष रूप से Vaikuntha Ekadashi और अन्य पूजा अवसरों पर किया जाता है। यह divine protection और blessings प्राप्त करने का एक अत्यंत शक्तिशाली साधन है। Vishnu mantra जीवन में peace और spiritual growth को बढ़ावा देता है।Chalisa
Narayaniyam Dashaka 15 (नारायणीयं दशक 15)
नारायणीयं दशक 15 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Shri Vishnu Ashtottara Satanam Stotram (श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्)
श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम भगवान विष्णु के 108 पावन नामों का महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करता है। इस स्तोत्र में भगवान के पालनकर्ता, नारायण, जनार्दन, मधुसूदन, केशव जैसे दिव्य नामों का स्मरण किया गया है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को संकटों का नाश, धन-वैभव की प्राप्ति, और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है। इस स्तोत्र का पाठ व्रत, पूजा, एकादशी और विशेष अवसरों पर करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान विष्णु के 108 नामों का जप व्यक्ति को सफलता, धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।Stotra
Narayaniyam Dashaka 14 (नारायणीयं दशक 14)
नारायणीयं दशक 14 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka