No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Murari Stuti || मुरारि स्तुति : Full Lyrics; भगवान श्री हरि विष्णु की महिमा; इन्दीवराखिल- समानविशालनेत्रो |
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।|| मुरारि स्तुति ||
(Murari Stuti)
इन्दीवराखिल- समानविशालनेत्रो
हेमाद्रिशीर्षमुकुटः कलितैकदेवः।
आलेपितामल- मनोभवचन्दनाङ्गो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
सत्यप्रियः सुरवरः कविताप्रवीणः
शक्रादिवन्दितसुरः कमनीयकान्तिः।
पुण्याकृतिः सुवसुदेवसुतः कलिघ्नो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
नानाप्रकारकृत- भूषणकण्ठदेशो
लक्ष्मीपतिर्जन- मनोहरदानशीलः।
यज्ञस्वरूपपरमाक्षर- विग्रहाख्यो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
भीष्मस्तुतो भवभयापहकार्यकर्ता
प्रह्लादभक्तवरदः सुलभोऽप्रमेयः।
सद्विप्रभूमनुज- वन्द्यरमाकलत्रो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
नारायणो मधुरिपुर्जनचित्तसंस्थः
सर्वात्मगोचरबुधो जगदेकनाथः।
तृप्तिप्रदस्तरुण- मूर्तिरुदारचित्तो
भूतिं करोतु मम भूमिभवो मुरारिः।
Related to Krishna
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 7 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - सप्तमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के सप्तमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग और ईश्वर की अद्वितीयता के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Nanda Kumar Ashtkam (नंद कुमार अष्टकम्)
नंद कुमार अष्टकम् भगवान कृष्ण के बाल रूप की स्तुति करने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को बाल कृष्ण की लीलाओं और उनकी महिमा का वर्णन करने में मदद करता है।Ashtakam
Sudarshan Shatkam (सुदर्शन षट्कम्)
सुदर्शन षट्कम् भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की महिमा और उसकी शक्तियों का वर्णन करता है।Shatakam
Gita Govindam trutiyah sargah - Mugdh Madhusudanah (गीतगोविन्दं तृतीयः सर्गः - मुग्ध मधुसूदनः)
गीतगोविन्दं के तृतीय सर्ग में मुग्ध मधुसूदन का वर्णन किया गया है। यह खंड कृष्ण की चंचलता और राधा के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।Gita-Govindam
Sudarshan Ashtakam (सुदर्शन अष्टकम्)
सुदर्शन अष्टकम् भगवान विष्णु के दिव्य चक्र सुदर्शन की महिमा का वर्णन करता है, जो बुराई का नाश करता है और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करता है।Ashtakam
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 3 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - तृतीयोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के तृतीयोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को निष्काम कर्मयोग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 14 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - चतुर्दशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का चतुर्दशो अध्याय गुणत्रय विभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण तीन गुणों - सत्व, रजस, और तमस - के प्रभाव की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Uddhava Gita - Chapter 7 (उद्धवगीता - सप्तमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के सप्तमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में धर्म, अर्थ, काम, और मोक्ष के महत्व पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita