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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 11 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - एकादशोऽध्यायः)
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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 16 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - षोडशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का षोडशो अध्याय दैवासुर संपद्विभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण दैवी और आसुरी गुणों की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 5 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - पंचमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के पंचमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को संन्यास और कर्मयोग के महत्व समझाए हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 14 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - चतुर्दशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का चतुर्दशो अध्याय गुणत्रय विभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण तीन गुणों - सत्व, रजस, और तमस - के प्रभाव की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Sudarshan Ashtakam (सुदर्शन अष्टकम्)
सुदर्शन अष्टकम् भगवान विष्णु के दिव्य चक्र सुदर्शन की महिमा का वर्णन करता है, जो बुराई का नाश करता है और भक्तों को सुरक्षा प्रदान करता है।Ashtakam
Venu Gopala Ashtakam (वेणु गोपाल अष्टकम्)
वेणु गोपाल अष्टकम् भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि की स्तुति करने वाला एक अद्वितीय स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोपाल की बांसुरी की धुन और उनकी महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।Ashtakam
Sudarshan Shatkam (सुदर्शन षट्कम्)
सुदर्शन षट्कम् भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की महिमा और उसकी शक्तियों का वर्णन करता है।Shatakam
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 4 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - चतुर्थोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के चतुर्थोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञानयोग और कर्मयोग के पारस्परिक संबंध समझाए हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 12 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वादशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वादशोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग की महत्ता और इसके साधनों के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan