No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shri Narayana Ashtakam Stotra: श्रीनारायणाष्टकम् | 8 Verses for Vishnu’s Narayana Avatar
Shri Narayana Ashtakam stotra (श्रीनारायणाष्टकम्)
श्री नारायण अष्टकम् (Shri Narayan Ashtakam): हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, नियमित रूप से श्री नारायण अष्टकम् का जप करना भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली उपाय है। जो लोग भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।श्रीनारायणाष्टकम्
वात्सल्यादभयप्रदानसमयादार्तार्तिनिर्वापणादौदार्यादघशोषणादगणितश्रेयः पदप्रापणात् ।
सेव्यः श्रीपतिरेक एव जगतामेतेऽभवन्साक्षिणः प्रह्लादश्च विभीषणश्च करिराट् पाञ्चाल्यहल्या ध्रुवः ॥ १ ॥
प्रह्लादास्ति यदीश्वरो वद हरिः सर्वत्र मे दर्शय स्तम्भे चैवमिति ब्रुवन्तमसुरं तत्राविरासीद्धरिः ।
वक्षस्तस्य विदारयन्निजनखैर्वात्सल्यमापादय- न्नार्तत्राणपरायणः स भगवान्नारायणो मे गतिः ॥ २ ॥
श्रीरामात्र विभीषणोऽयमनघो रक्षोभयादागतः सुग्रीवानय पालयैनमधुना पौलस्त्यमेवागतम् ।
इत्युक्त्वाभयमस्य सर्वविदितं यो राघवो दत्तवानार्त० ।। ३ ।।
नक्रग्रस्तपदं समुद्धतकरं ब्रह्मादयो भो सुराः पाल्यन्तामिति दीनवाक्यकरिणं देवेष्वशक्तेषु यः ।
मा भैषीरिति यस्य नक्रहनने चक्रायुधः श्रीधर । आर्त० ॥ ४ ॥
भो कृष्णाच्युत भो कृपालय हरे भो पाण्डवानां सखे क्वासि क्वासि सुयोधनादपहृतां भो रक्ष मामातुराम् ।
इत्युक्तोऽक्षयवस्त्रसंभृततनुं योऽपालयद्रौपदीमार्त० ॥ ५ ॥
यत्पादाब्जनखोदकं त्रिजगतां पाौघविध्वसन यन्नामामृतपूरकं च पिबतां संसारसन्तारकम् ।
पाषाणोऽपि यदङ्घ्रिपद्मरजसा शापान्मुनेर्मोचित । आर्त० ॥ ६ ॥
पित्रा भ्रातरमुत्तमासनगतं चौत्तानपादिध्रुवो दृष्ट्वा तत्सममारुरुक्षुरधृतो मात्रावमानं गतः ।
यं गत्वा शरणं यदाप तपसा हेमाद्रिसिंहासनमार्त० ॥ ७ ॥
आर्ता विषण्णाः शिथिलाश्च भीता घोरेषु च व्याधिषु वर्तमानाः ।
सङ्कीर्त्य नारायणशब्दमात्रं विमुक्तदुःखाः सुखिनो भवन्ति ॥ ८ ॥
इति श्रीकूरेशस्वामिविरचितं श्रीनारायणाष्टकं सम्पूर्णम् ।
Related to Krishna
Bhagavad Gita Eleventh Chapter (भगवद गीता ग्यारहवाँ अध्याय)
भगवद गीता ग्यारहवां अध्याय "विश्व रूप दर्शन योग" है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विश्वरूप दिखाया, जिसमें उन्होंने अपने संपूर्ण ब्रह्मांडीय स्वरूप का दर्शन कराया। यह अध्याय भगवान की महानता और असीम शक्ति को प्रकट करता है।Bhagwat-Gita
Venu Gopala Ashtakam (वेणु गोपाल अष्टकम्)
वेणु गोपाल अष्टकम् भगवान कृष्ण की बांसुरी की मधुर ध्वनि की स्तुति करने वाला एक अद्वितीय स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोपाल की बांसुरी की धुन और उनकी महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।Ashtakam
Bhagavad Gita second chapter (भगवद गीता दूसरा अध्याय)
भगवद गीता के दूसरे अध्याय का नाम "सांख्य योग" या "ज्ञान का योग" है। यह अध्याय गीता का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान देते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को आत्मा की अमरता, कर्मयोग का महत्व और समभाव बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। यह अध्याय जीवन में सही दृष्टिकोण अपनाने और अपने धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
Govinda Damodara Stotram (गोविंद दामोदर स्तोत्रम्)
गोविंद दामोदर स्तोत्रम् भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोविंद, दामोदर और माधव के नामों की महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।Stotra
Shri Krishna Naam Kavacham (श्री कृष्ण नाम कवचम्)
Shri Krishan Naam Kavacha Narad Uvacha एक अत्यंत शक्तिशाली कवच है, जो भक्तों को Divine Protection, Peace और Spiritual Strength प्रदान करता है। जब कोई व्यक्ति इस कवच का नियमित पाठ करता है, तो उसे Shri Krishna की Divine Grace प्राप्त होती है, जिससे जीवन में Happiness और Success का आगमन होता है। अगर किसी व्यक्ति का मन Tensions और Negative Thoughts से भरा रहता है या उसे Life Challenges का सामना करना पड़ रहा है, तो उसे इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक बल को बढ़ाता है। जो लोग अपने Career या Business में Success प्राप्त करना चाहते हैं, उनके लिए भी यह कवच अत्यंत लाभकारी है। यह न केवल Divine Protection देता है बल्कि Financial Stability और Prosperity को भी आकर्षित करता है। जीवन में Shri Krishna की Divine Blessings पाने के लिए इस कवच का नियमित पाठ करना अति आवश्यक है।Kavacha
Bhagavad Gita Fifteenth Chapter (भगवत गीता पन्द्रहवाँ अध्याय)
भगवद गीता पंद्रहवाँ अध्याय "पुरुषोत्तम योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अश्वत्थ वृक्ष का उदाहरण देकर जीवन और ब्रह्मांड की वास्तविकता को समझाते हैं। वे कहते हैं कि पुरुषोत्तम (सर्वोच्च आत्मा) को पहचानने से ही मोक्ष संभव है। यह अध्याय "ब्रह्मांड का रहस्य", "आध्यात्मिक ज्ञान", और "मोक्ष का मार्ग" सिखाता है।Bhagwat-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 2 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वितीयोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वितीयोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा की अमरता और कर्मयोग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram (श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम्)
श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram) भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के 108 पवित्र नामों का वर्णन करता है, जो भक्तों (devotees) को सुख, शांति और समृद्धि (happiness, peace, and prosperity) प्रदान करता है। यह स्तोत्रम् असुर शक्तियों (evil forces) से बचाने और नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को दूर करने में सहायक है। गोविंद, मुकुंद, माधव (Govinda, Mukunda, Madhava) जैसे पवित्र नामों का जप करने से आध्यात्मिक उन्नति (spiritual growth) और पापों से मुक्ति (freedom from sins) प्राप्त होती है। यह ईश्वरीय अनुग्रह (divine grace) पाने और जीवन में सफलता (success in life) के लिए अत्यंत फलदायी है। श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) के नाम स्मरण से कलियुग के दोषों (Kali Yuga Dosha) से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।Stotra