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श्रीमद भगवत गीता सार- अध्याय 5 |Shrimad Bhagawad Geeta
Bhagavad Gita fifth chapter (भगवद गीता पांचवां अध्याय)
भगवद गीता पांचवां अध्याय "कर्म-वैराग्य योग" कहलाता है। इसमें श्रीकृष्ण बताते हैं कि त्याग और कर्म के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। वे सिखाते हैं कि जब व्यक्ति फल की इच्छा छोड़े बिना कर्म करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह अध्याय हमें "कर्मयोग" और "सन्यास" के बीच संतुलन बनाने का मार्ग दिखाता है।Page no.
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Krishna Sahasranama Stotram (कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम्)
श्री कृष्ण सहस्त्रनाम का पाठ ऐसा पाठ है जिसे करने से मनुष्य भयंकर रोग से, हर प्रकार के कर्ज से, हर प्रकार की चिंता, अवसाद आदि से मुक्ति पा सकता है। श्री कृष्ण सहस्त्रनाम के पाठ से मनुष्य के घर-परिवार में शांति रहती है, शत्रु का नाश होता है, सौभाग्य में वृद्धि होती है, अपार धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।Sahasranama-Stotram
Shri Nandakumar Ashtakam (श्री नन्दकुमार अष्टकम् )
Nandkumar Ashtakam (नन्दकुमार अष्टकम): Shri Nandkumar Ashtakam का पाठ विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के Janmashtami या भगवान श्री कृष्ण से संबंधित अन्य festivals पर किया जाता है। Shri Nandkumar Ashtakam का नियमित recitation करने से भगवान श्री कृष्ण की teachings से व्यक्ति प्रसन्न होते हैं। श्री वल्लभाचार्य Shri Nandkumar Ashtakam के composer हैं। ‘Ashtakam’ शब्द संस्कृत के ‘Ashta’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है "eight"। Poetry रचनाओं के संदर्भ में, 'Ashtakam' एक विशेष काव्य रूप को दर्शाता है, जो आठ verses में लिखा जाता है। Shri Krishna का नाम स्वयं में यह दर्शाता है कि वह हर किसी को attract करने में सक्षम हैं। कृष्ण नाम का अर्थ है ultimate truth। वह भगवान Vishnu के आठवें और सबसे प्रसिद्ध avatar हैं, जो truth, love, dharma, और courage का सर्वोत्तम उदाहरण माने जाते हैं। Ashtakam से जुड़ी परंपराएँ अपनी literary history में 2500 वर्षों से अधिक की यात्रा पर विकसित हुई हैं। Ashtakam writers में से एक प्रसिद्ध नाम Adi Shankaracharya का है, जिन्होंने एक Ashtakam cycle तैयार किया, जिसमें Ashtakam के समूह को एक विशेष देवता की worship में व्यवस्थित किया गया था, और इसे एक साथ एक काव्य कार्य के रूप में पढ़ने के लिए डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने विभिन्न देवताओं की stuti में 30 से अधिक Ashtakam रचे थे। Nandkumar Ashtakam Adi Shankaracharya द्वारा भगवान श्री कृष्ण की praise में रचित है। Nandkumar Ashtakam का पाठ भगवान श्री कृष्ण से संबंधित अधिकांश अवसरों पर किया जाता है, जिसमें Krishna Janmashtami भी शामिल है। यह इतना लोकप्रिय है कि इसे नियमित रूप से homes और विभिन्न Krishna temples में chant किया जाता है। Ashtakam में कई बार, quatrains (चार पंक्तियों का समूह) अचानक समाप्त हो जाती है या अन्य मामलों में, एक couplet (दो पंक्तियाँ) के साथ समाप्त होती है। Body में चौकड़ी में कवि एक theme स्थापित करता है और फिर उसे अंतिम पंक्तियों में समाधान कर सकता है, जिन्हें couplet कहा जाता है, या इसे बिना हल किए छोड़ सकता है। कभी-कभी अंत का couplet कवि की self-identification भी हो सकता है। संरचना meter rules द्वारा भी बंधी होती है, ताकि recitation और classical singing के लिए उपयुक्त हो। हालांकि, कई Ashtakam ऐसे भी हैं जो नियमित संरचना का पालन नहीं करते।Ashtakam
Shri Krishna Vandana (श्री कृष्ण वंदना)
श्री कृष्ण वंदना भगवान कृष्ण के गुणों और लीलाओं की प्रशंसा में गाई जाने वाली स्तुति है। इसमें भगवान के दिव्य प्रेम, ज्ञान, और धैर्य की महिमा का वर्णन किया गया है। यह वंदना "भक्ति" और "आध्यात्मिक प्रेरणा" का अद्भुत स्रोत है।Vandana
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
Bhagavad Gita sixth chapter (भगवद गीता छठा अध्याय)
भगवद गीता छठा अध्याय "ध्यान योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान कृष्ण ध्यान और आत्म-संयम के महत्व पर जोर देते हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति मन और इंद्रियों को वश में रखकर ध्यान करता है, वही सच्चा योगी है। यह अध्याय हमें "ध्यान योग", "मन का नियंत्रण", और "आध्यात्मिक उन्नति" के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
Shri Krishnan Chalisa (श्री कृष्णन चालीसा)
कृष्ण चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण पर आधारित है। कृष्ण चालीसा एक लोकप्रिय प्रार्थना है जो 40 छन्दों से बनी है। कई लोग जन्माष्टमी सहित भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य त्योहारों पर कृष्ण चालीसा का पाठ करते हैं। इस चालीसा के पाठ से भक्तों को spiritual peace और blessings मिलती हैं। Krishna mantra for positivity का जाप जीवन में love और prosperity लाने का एक प्रभावी उपाय है।Chalisa
Bhagavad Gita Sixteenth Chapter (भगवत गीता सोलहवाँ अध्याय)
भगवद गीता सोलहवाँ अध्याय "दैवासुर सम्पद विभाग योग" है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण दैवी (सद्गुण) और आसुरी (दुर्गुण) स्वभाव का वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि दैवी गुण से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है और आसुरी गुण से बंधन में फंसता है। यह अध्याय "सद्गुणों की महिमा", "दुर्गुणों का परित्याग", और "सही जीवनशैली" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita fourth chapter (भगवद गीता चौथा अध्याय)
भगवद गीता चौथा अध्याय "ज्ञान-कर्म-संन्यास योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ज्ञान, कर्म, और संन्यास के महत्व को समझाते हैं। वे बताते हैं कि कैसे ईश्वर के प्रति समर्पण और सच्चे ज्ञान के साथ किया गया कर्म आत्मा को शुद्ध करता है। श्रीकृष्ण यह भी समझाते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान समय-समय पर संतों और भक्तों को प्रदान किया है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि "निष्काम कर्म" और "आध्यात्मिक ज्ञान" के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित करें।Bhagwat-Gita