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श्रीमद भगवत गीता सार- अध्याय 5 |Shrimad Bhagawad Geeta
Bhagavad Gita fifth chapter (भगवद गीता पांचवां अध्याय)
भगवद गीता पांचवां अध्याय "कर्म-वैराग्य योग" कहलाता है। इसमें श्रीकृष्ण बताते हैं कि त्याग और कर्म के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। वे सिखाते हैं कि जब व्यक्ति फल की इच्छा छोड़े बिना कर्म करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह अध्याय हमें "कर्मयोग" और "सन्यास" के बीच संतुलन बनाने का मार्ग दिखाता है।Page no.
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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 4 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - चतुर्थोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के चतुर्थोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को ज्ञानयोग और कर्मयोग के पारस्परिक संबंध समझाए हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Bhagavad Gita Eighth Chapter (भगवद गीता आठवां अध्याय)
भगवद गीता आठवां अध्याय "अक्षर ब्रह्म योग" के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें श्रीकृष्ण मृत्यु, आत्मा, और परम ब्रह्म के रहस्यों को उजागर करते हैं। वे बताते हैं कि जो व्यक्ति अंतिम समय में ईश्वर का स्मरण करता है, वह उनके परम धाम को प्राप्त करता है। यह अध्याय "अक्षर ब्रह्म", "मोक्ष का मार्ग", और "ध्यान का महत्व" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Bhagwan Natwar Ji Arti (भगवान नटवर जी की आरती)
भगवान नटवर जी की आरती श्रीकृष्ण के नटखट और मनमोहक स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इस आरती में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) को नटवर (Divine Performer) और मुरलीधर (Flute Player) के रूप में पूजित किया गया है, जो भक्तों (Devotees) के कष्ट हरने वाले और आनंद (Joy) प्रदान करने वाले हैं। भगवान नटवर जी की यह आरती उनकी लीलाओं (Divine Pastimes) और सर्वशक्तिमान स्वरूप (Omnipotent Form) का स्मरण कराती है। यह आरती भगवान कृष्ण के प्रेम (Love), भक्ति (Devotion) और करुणा (Compassion) को व्यक्त करती है, जो जीवन के हर पहलू को आध्यात्मिक प्रकाश (Spiritual Light) से भर देती है। भगवान नटवर जी की आरती में उनकी मुरली (Flute) और उनके नटखट स्वभाव (Playful Nature) का विशेष वर्णन किया गया है, जो भक्तों को भगवान के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करता है।Arti
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 12 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वादशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वादशोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग की महत्ता और इसके साधनों के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Gita govindam Pratham Sargaah - Samoda Damodarah (गीतगोविन्दं प्रथमः सर्गः - सामोद दामोदरः)
गीतगोविन्दं के प्रथम सर्ग में सामोद दामोदर का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण की प्रेमकथा और उनके मधुर संबंधों को दर्शाता है।Gita-Govindam
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 13 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - त्रयोदशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का त्रयोदशो अध्याय क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण आत्मा और शरीर के बीच के संबंध की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shri Krishnan Chalisa (श्री कृष्णन चालीसा)
कृष्ण चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण पर आधारित है। कृष्ण चालीसा एक लोकप्रिय प्रार्थना है जो 40 छन्दों से बनी है। कई लोग जन्माष्टमी सहित भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य त्योहारों पर कृष्ण चालीसा का पाठ करते हैं। इस चालीसा के पाठ से भक्तों को spiritual peace और blessings मिलती हैं। Krishna mantra for positivity का जाप जीवन में love और prosperity लाने का एक प्रभावी उपाय है।Chalisa
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 9 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - नवमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के नवमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग और आत्मा की दिव्यता के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan