No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 9 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - नवमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - नवमोऽध्यायः (Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 9)
ॐ श्रीपरमात्मने नमः
अथ नवमोऽध्यायः
राजविद्याराजगुह्ययोगः
श्री भगवानुवाच
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे ।
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥1॥
राजविद्या राजगुह्यं पवित्रमिदमुत्तमम् ।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ॥2॥
अश्रद्दधानाः पुरुषाः धर्मस्यास्य परंतप ।
अप्राप्य मां निवर्तंते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥3॥
मया ततमिदं सर्वं जगदव्यक्तमूर्तिना ।
मत्स्थानि सर्वभूतानि न चाहं तेष्ववस्थितः ॥4॥
न च मत्स्थानि भूतानि पश्य मे योगमैश्वरम् ।
भूतभृन्न च भूतस्थः ममात्मा भूतभावनः ॥5॥
यथाऽऽकाशस्थितो नित्यं वायुः सर्वत्रगो महान् ।
तथा सर्वाणि भूतानि मत्स्थानीत्युपधारय ॥6॥
सर्वभूतानि कौंतेय प्रकृतिं यांति मामिकाम् ।
कल्पक्षये पुनस्तानि कल्पादौ विसृजाम्यहम् ॥7॥
प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः ।
भूतग्राममिमं कृत्स्नम् अवशं प्रकृतेर्वशात् ॥8॥
न च मां तानि कर्माणि निबध्नंति धनंजय ।
उदासीनवदासीनम् असक्तं तेषु कर्मसु ॥9॥
मयाध्यक्षेण प्रकृतिः सूयते सचराचरम् ।
हेतुनाऽनेन कौंतेय जगद्विपरिवर्तते ॥10॥
अवजानंति मां मूढाः मानुषीं तनुमाश्रितम् ।
परं भावमजानंतः मम भूतमहेश्वरम् ॥11॥
मोघाशा मोघकर्माणः मोघज्ञाना विचेतसः ।
राक्षसीमासुरीं चैव प्रकृतिं मोहिनीं श्रिताः ॥12॥
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः ।
भजंत्यनन्यमनसः ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम् ॥13॥
सततं कीर्तयंतो मां यतंतश्च दृढव्रताः ।
नमस्यंतश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ॥14॥
ज्ञानयज्ञेन चाप्यन्ये यजंतो मामुपासते ।
एकत्वेन पृथक्त्वेन बहुधा विश्वतोमुखम् ॥15॥
अहं क्रतुरहं यज्ञः स्वधाहमहमौषधम् ।
मंत्रोऽहमहमेवाज्यम् अहमग्निरहं हुतम् ॥16॥
पिताऽहमस्य जगतः माता धाता पितामहः ।
वेद्यं पवित्रमोंकारः ऋक्साम यजुरेव च ॥17॥
गतिर्भर्ता प्रभुः साक्षी निवासः शरणं सुहृत् ।
प्रभवः प्रलयः स्थानं निधानं बीजमव्ययम् ॥18॥
तपाम्यहमहं वर्षं निगृह्णाम्युत्सृजामि च ।
अमृतं चैव मृत्युश्च सदसच्चाहमर्जुन ॥19॥
त्रैविद्या मां सोमपाः पूतपापाः यज्ञैरिष्ट्वा स्वर्गतिं प्रार्थयंते ।
ते पुण्यमासाद्य सुरेंद्रलोकम् अश्नंति दिव्यांदिवि देवभोगान् ॥20॥
ते तं भुक्त्वा स्वर्गलोकं विशालं क्षीणे पुण्ये मर्त्यलोकं विशंति ।
एवं त्रयीधर्ममनुप्रपन्नाः गतागतं कामकामा लभंते ॥21॥
अनन्याश्चिंतयंतो मां ये जनाः पर्युपासते ।
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् ॥22॥
येऽप्यन्यदेवता भक्ताः यजंते श्रद्धयान्विताः ।
तेऽपि मामेव कौंतेय यजंत्यविधिपूर्वकम् ॥23॥
अहं हि सर्वयज्ञानां भोक्ता च प्रभुरेव च ।
न तु मामभिजानंति तत्त्वेनातश्च्यवंति ते ॥24॥
यांति देवव्रता देवान् पितॄन्यांति पितृव्रताः ।
भूतानि यांति भूतेज्याः यांति मद्याजिनोऽपि माम् ॥25॥
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति ।
तदहं भक्त्युपहृतम् अश्नामि प्रयतात्मनः ॥26॥
यत्करोषि यदश्नासि यज्जुहोषि ददासि यत् ।
यत्तपस्यसि कौंतेय तत्कुरुष्व मदर्पणम् ॥27॥
शुभाशुभफलैरेवं मोक्ष्यसे कर्मबंधनैः ।
सन्न्यासयोगयुक्तात्मा विमुक्तो मामुपैष्यसि ॥28॥
समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः ।
ये भजंति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम् ॥29॥
अपि चेत्सुदुराचारः भजते मामनन्यभाक् ।
साधुरेव स मंतव्यः सम्यग्व्यवसितो हि सः ॥30॥
क्षिप्रं भवति धर्मात्मा शश्वच्छांतिं निगच्छति ।
कौंतेय प्रति जानीहि न मे भक्तः प्रणश्यति ॥31॥
मां हि पार्थ व्यपाश्रित्य येऽपि स्युः पापयोनयः ।
स्त्रियो वैश्यास्तथा शूद्राः तेऽपि यांति परां गतिम् ॥32॥
किं पुनर्ब्राह्मणाः पुण्याः भक्ता राजर्षयस्तथा ।
अनित्यमसुखं लोकम् इमं प्राप्य भजस्व माम् ॥33॥
मन्मना भव मद्भक्तः मद्याजी मां नमस्कुरु ।
मामेवैष्यसि युक्त्वैवम् आत्मानं मत्परायणः ॥34॥
॥ ॐ तत्सदिति श्रीमद्भगवद्गीतासु उपनिषत्सु ब्रह्मविद्यायां
योगशास्त्रे श्रीकृष्णार्जुनसंवादे राजविद्याराजगुह्ययोगो नाम नवमोऽध्यायः ॥
Related to Krishna
Uddhava Gita - Chapter 3 (उद्धवगीता - तृतीयोऽध्यायः)
उद्धवगीता के तृतीयोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में कर्मयोग और उसकी महत्ता पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Shri Krishna Kavacham (Trilokya Mangal Kavacham) श्री कृष्ण कवचं (त्रैलोक्य मङ्गल कवचम्)
श्री कृष्ण कवचं, जिसे त्रैलोक्य मङ्गल कवचम् भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण के आशीर्वादों को तीनों लोकों में सुरक्षा और कल्याण के लिए बुलाने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करने से सुरक्षा और आध्यात्मिक समृद्धि सुनिश्चित होती है।Kavacha
Gita Govindam Panchamah sargah - Sakanksh Pundarikakshah (गीतगोविन्दं पञ्चमः सर्गः - साकाङ्क्ष पुण्डरीकाक्षः)
गीतगोविन्दं के पंचम सर्ग में साकाङ्क्ष पुण्डरीकाक्षः का वर्णन किया गया है। यह खंड कृष्ण की राधा के प्रति इच्छा और उनकी प्रेम की गहराई को दर्शाता है।Gita-Govindam
Shri Krishna Sharanam mam (श्रीकृष्णः शरणं मम)
श्री कृष्ण शरणम मम: भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था, और उन्हें वृंदावन में नंद और यशोदा ने पाल-पोसा। चंचल और शरारती भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से उनकी बाल्य और युवावस्था की रूप में की जाती है, जो भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रचलित है। श्री कृष्ण शरणम मम: का उच्चारण करके भक्त भगवान श्री कृष्ण की शरण में आते हैं, यह मंत्र श्री कृष्ण की कृपा और संरक्षण प्राप्त करने का एक प्रमुख उपाय माना जाता है।Stotra
Santana Gopala Stotram (संतान गोपाल स्तोत्रम्)
संतान गोपाल स्तोत्रम् भगवान कृष्ण की स्तुति करने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र विशेष रूप से संतान की प्राप्ति के लिए गाया जाता है और भक्तों को गोपाल की कृपा का अनुभव करने में मदद करता है।Stotra
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 6 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - षष्ठोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के षष्ठोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को ध्यान योग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Bhagavad Gita Tenth Chapter (भगवद गीता दसवाँ अध्याय)
भगवद गीता दसवाँ अध्याय "विभूति योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी दिव्य विभूतियों का वर्णन किया है। वे कहते हैं कि वे सृष्टि के हर उत्तम गुण, सत्य, और शक्ति के आधार हैं। यह अध्याय "ईश्वर की महानता", "दिव्य शक्तियों", और "ईश्वर के प्रति भक्ति" को विस्तार से समझाता है।Bhagwat-Gita
Shri Govinda Stuti (श्री गोविंदास्तुति)
Govinda Stuti (गोविंदास्तुति)/ Govinda Ashtakam (गोविंदा अष्टकम) एक devotional Stotra है, जिसे Adi Shankaracharya ने Lord Vishnu के Govinda रूप की स्तुति में लिखा था। Hindu Mythology के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति regularly इस स्तोत्र का chanting करता है, तो वह Lord Govinda को प्रसन्न कर उनकी divine blessings प्राप्त कर सकता है। Best results प्राप्त करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ early morning स्नान करने के बाद, Lord Govinda की idol या picture के सामने बैठकर करना चाहिए। इस स्तोत्र के meaning in Hindi को समझकर पाठ करने से इसका effect और अधिक बढ़ जाता है। Govinda का नाम before eating anything अवश्य लेना चाहिए। Kshatrabandhu की कथा Govinda Nama के महत्व को दर्शाती है। Kshatrabandhu एक cruel man था, जो जंगलों में यात्रा करने वालों को लूटता था। लेकिन जब एक sage से उसने Govinda नाम सुना, तो उसका salvation हो गया।Stuti