No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Uddhava Gita - Chapter 1 (उद्धवगीता - प्रथमोऽध्यायः)
उद्धवगीता - प्रथमोऽध्यायः (Uddhava Gita - Chapter 1)
श्रीराधाकृष्णाभ्यां नमः ।
श्रीमद्भागवतपुराणम् ।
एकादशः स्कंधः । उद्धव गीता ।
अथ प्रथमोऽध्यायः ।
श्रीबादरायणिः उवाच ।
कृत्वा दैत्यवधं कृष्णः सरमः यदुभिः वृतः ।
भुवः अवतारवत् भारं जविष्ठन् जनयन् कलिम् ॥ 1॥
ये कोपिताः सुबहु पांडुसुताः सपत्नैः
दुर्द्यूतहेलनकचग्रहण आदिभिः तान् ।
कृत्वा निमित्तं इतर इतरतः समेतान्
हत्वा नृपान् निरहरत् क्षितिभारं ईशः ॥ 2॥
भूभारराजपृतना यदुभिः निरस्य
गुप्तैः स्वबाहुभिः अचिंतयत् अप्रमेयः ।
मन्ये अवनेः ननु गतः अपि अगतं हि भारम्
यत् यादवं कुलं अहो हि अविषह्यं आस्ते ॥ 3॥
न एव अन्यतः परिभवः अस्य भवेत् कथंचित्
मत् संश्रयस्य विभव उन्नहन् अस्य नित्यम् ।
अंतःकलिं यदुकुलस्य विध्हाय वेणुः
तंबस्य वह्निं इव शांतिं उपैमि धाम ॥ 4॥
एवं व्यवसितः राजन् सत्यसंकल्पः ईश्वरः ।
शापव्याजेन विप्राणां संजह्वे स्वकुलं विभुः ॥ 5॥
स्वमूर्त्या लोकलावण्यनिर्मुक्त्या लोचनं नृणाम् ।
गीर्भिः ताः स्मरतां चित्तं पदैः तान् ईक्षतां क्रिया ॥ 6॥
आच्छिद्य कीर्तिं सुश्लोकां वितत्य हि अंजसा नु कौ ।
तमः अनया तरिष्यंति इति अगात् स्वं पदं ईश्वरः ॥ 7॥
राजा उवाच ।
ब्रह्मण्यानां वदान्यानां नित्यं वृद्धौपसेविनाम् ।
विप्रशापः कथं अभूत् वृष्णीनां कृष्णचेतसाम् ॥ 8॥
यत् निमित्तः सः वै शापः यादृशः द्विजसत्तम ।
कथं एकात्मनां भेदः एतत् सर्वं वदस्व मे ॥ 9॥
श्रीशुकः उवाच ।
बिभ्रत् वपुः सकलसुंदरसंनिवेशम्
कर्माचरन् भुवि सुमंगलं आप्तकामः ।
आस्थाय धाम रममाणः उदारकीर्तिः
संहर्तुं ऐच्छत कुलं स्थितकृत्यशेषः ॥ 10॥
कर्माणि पुण्यनिवहानि सुमंगलानि
गायत् जगत् कलिमलापहराणि कृत्वा ।
काल आत्मना निवसता यदुदेवगेहे
पिंडारकं समगमन् मुनयः निसृष्टाः ॥ 11॥
विश्वामित्रः असितः कण्वः दुर्वासाः भृगुः अंगिराः ।
कश्यपः वामदेवः अत्रिः वसिष्ठः नारद आदयः ॥ 12॥
क्रीडंतः तान् उपव्रज्य कुमाराः यदुनंदनाः ।
उपसंगृह्य पप्रच्छुः अविनीता विनीतवत् ॥ 13॥
ते वेषयित्वा स्त्रीवेषैः सांबं जांबवतीसुतम् ।
एषा पृच्छति वः विप्राः अंतर्वत् न्यसित ईक्षणा ॥ 14॥
प्रष्टुं विलज्जति साक्षात् प्रब्रूत अमोघदर्शनाः ।
प्रसोष्यंति पुत्रकामा किंस्वित् संजनयिष्यति ॥ 15॥
एवं प्रलब्ध्वा मुनयः तान् ऊचुः कुपिता नृप ।
जनयिष्यति वः मंदाः मुसलं कुलनाशनम् ॥ 16॥
तत् शऋत्वा ते अतिसंत्रस्ताः विमुच्य सहसोदरम् ।
सांबस्य ददृशुः तस्मिन् मुसलं खलु अयस्मयम् ॥ 17॥
किं कृतं मंदभाग्यैः किं वदिष्यंति नः जनाः ।
इति विह्वलिताः गेहान् आदाय मुसलं ययुः ॥ 18॥
तत् च उपनीय सदसि परिम्लानमुखश्रियः ।
राज्ञः आवेदयान् चक्रुः सर्वयादवसंनिधौ ॥ 19॥
श्रुत्वा अमोघं विप्रशापं दृष्ट्वा च मुसलं नृप ।
विस्मिताः भयसंत्रस्ताः बभूवुः द्वारकौकसः ॥ 20॥
तत् चूर्णयित्वा मुसलं यदुराजः सः आहुकः ।
समुद्रसलिले प्रास्यत् लोहं च अस्य अवशेषितम् ॥ 21॥
कश्चित् मत्स्यः अग्रसीत् लोहं चूर्णानि तरलैः ततः ।
उह्यमानानि वेलायां लग्नानि आसन् किल ऐरिकाः ॥ 22॥
मत्स्यः गृहीतः मत्स्यघ्नैः जालेन अन्यैः सह अर्णवे ।
तस्य उदरगतं लोहं सः शल्ये लुब्धकः अकरोत् ॥ 23॥
भगवान् ज्ञातसर्वार्थः ईश्वरः अपि तदन्यथा ।
कर्तुं न ऐच्छत् विप्रशापं कालरूपी अन्वमोदत ॥ 24॥
इति श्रीमद्भागवते महापुराणे पारमहंस्यां
संहितायामेकादशस्कंधे विप्रशापो नाम प्रथमोऽध्यायः ॥
Related to Krishna
Krishna Janmashtami Puja Vidhi (कृष्ण जन्माष्टमी पूजा विधि)
यह पृष्ठ कृष्ण जन्माष्टमी के समय की जाने वाली श्री कृष्ण पूजा के सभी चरणों का वर्णन करता है। इस पृष्ठ पर दी गयी पूजा में षोडशोपचार पूजा के सभी १६ चरणों का समावेश किया गया है और सभी चरणों का वर्णन वैदिक मन्त्रों के साथ दिया गया है। जन्माष्टमी के दौरान की जाने वाली श्री कृष्ण पूजा में यदि षोडशोपचार पूजा के सोलह (१६) चरणों का समावेश हो तो उसे षोडशोपचार जन्माष्टमी पूजा विधि के रूप में जाना जाता है।Puja-Vidhi
Shri Krishna Ashtakam (श्री कृष्णाष्टकम्)
श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार इनका जन्म द्वापर युग में माना गया है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी पूजा करते है उन्हे माखन खिलाते है। इन्हे श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करके भी प्रसन्न किया जा सकता है। रोज श्रीकृष्ण अष्टकम पढ़ने पर विशेष पुण्य लाभ मिलता है। भगवान के इस पाठ को करने वाले मनुष्य का जीवन में कभी कोई कार्य नहीं रुकता और उसे हमेशा विजय की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से यदि कोई व्यक्ति श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करता है तो भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टी बनाएं रखते है और वह हमेशा विजयी रहता है।Ashtakam
Bhagwan Natwar Ji Arti (भगवान नटवर जी की आरती)
भगवान नटवर जी की आरती श्रीकृष्ण के नटखट और मनमोहक स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इस आरती में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) को नटवर (Divine Performer) और मुरलीधर (Flute Player) के रूप में पूजित किया गया है, जो भक्तों (Devotees) के कष्ट हरने वाले और आनंद (Joy) प्रदान करने वाले हैं। भगवान नटवर जी की यह आरती उनकी लीलाओं (Divine Pastimes) और सर्वशक्तिमान स्वरूप (Omnipotent Form) का स्मरण कराती है। यह आरती भगवान कृष्ण के प्रेम (Love), भक्ति (Devotion) और करुणा (Compassion) को व्यक्त करती है, जो जीवन के हर पहलू को आध्यात्मिक प्रकाश (Spiritual Light) से भर देती है। भगवान नटवर जी की आरती में उनकी मुरली (Flute) और उनके नटखट स्वभाव (Playful Nature) का विशेष वर्णन किया गया है, जो भक्तों को भगवान के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करता है।Arti
Shri Krishna Sharanam mam (श्रीकृष्णः शरणं मम)
श्री कृष्ण शरणम मम: भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था, और उन्हें वृंदावन में नंद और यशोदा ने पाल-पोसा। चंचल और शरारती भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से उनकी बाल्य और युवावस्था की रूप में की जाती है, जो भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रचलित है। श्री कृष्ण शरणम मम: का उच्चारण करके भक्त भगवान श्री कृष्ण की शरण में आते हैं, यह मंत्र श्री कृष्ण की कृपा और संरक्षण प्राप्त करने का एक प्रमुख उपाय माना जाता है।Stotra
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
Shri Nandakumar Ashtakam (श्री नन्दकुमार अष्टकम् )
Nandkumar Ashtakam (नन्दकुमार अष्टकम): Shri Nandkumar Ashtakam का पाठ विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के Janmashtami या भगवान श्री कृष्ण से संबंधित अन्य festivals पर किया जाता है। Shri Nandkumar Ashtakam का नियमित recitation करने से भगवान श्री कृष्ण की teachings से व्यक्ति प्रसन्न होते हैं। श्री वल्लभाचार्य Shri Nandkumar Ashtakam के composer हैं। ‘Ashtakam’ शब्द संस्कृत के ‘Ashta’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है "eight"। Poetry रचनाओं के संदर्भ में, 'Ashtakam' एक विशेष काव्य रूप को दर्शाता है, जो आठ verses में लिखा जाता है। Shri Krishna का नाम स्वयं में यह दर्शाता है कि वह हर किसी को attract करने में सक्षम हैं। कृष्ण नाम का अर्थ है ultimate truth। वह भगवान Vishnu के आठवें और सबसे प्रसिद्ध avatar हैं, जो truth, love, dharma, और courage का सर्वोत्तम उदाहरण माने जाते हैं। Ashtakam से जुड़ी परंपराएँ अपनी literary history में 2500 वर्षों से अधिक की यात्रा पर विकसित हुई हैं। Ashtakam writers में से एक प्रसिद्ध नाम Adi Shankaracharya का है, जिन्होंने एक Ashtakam cycle तैयार किया, जिसमें Ashtakam के समूह को एक विशेष देवता की worship में व्यवस्थित किया गया था, और इसे एक साथ एक काव्य कार्य के रूप में पढ़ने के लिए डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने विभिन्न देवताओं की stuti में 30 से अधिक Ashtakam रचे थे। Nandkumar Ashtakam Adi Shankaracharya द्वारा भगवान श्री कृष्ण की praise में रचित है। Nandkumar Ashtakam का पाठ भगवान श्री कृष्ण से संबंधित अधिकांश अवसरों पर किया जाता है, जिसमें Krishna Janmashtami भी शामिल है। यह इतना लोकप्रिय है कि इसे नियमित रूप से homes और विभिन्न Krishna temples में chant किया जाता है। Ashtakam में कई बार, quatrains (चार पंक्तियों का समूह) अचानक समाप्त हो जाती है या अन्य मामलों में, एक couplet (दो पंक्तियाँ) के साथ समाप्त होती है। Body में चौकड़ी में कवि एक theme स्थापित करता है और फिर उसे अंतिम पंक्तियों में समाधान कर सकता है, जिन्हें couplet कहा जाता है, या इसे बिना हल किए छोड़ सकता है। कभी-कभी अंत का couplet कवि की self-identification भी हो सकता है। संरचना meter rules द्वारा भी बंधी होती है, ताकि recitation और classical singing के लिए उपयुक्त हो। हालांकि, कई Ashtakam ऐसे भी हैं जो नियमित संरचना का पालन नहीं करते।Ashtakam
Krishna Raksha Kavacha (श्रीकृष्णरक्षाकवचम्)
श्री कृष्ण रक्षा कवचम् एक दिव्य protective shield है, जो भगवान Shri Krishna की कृपा से सभी संकटों से बचाव करता है। यह divine armor नकारात्मक ऊर्जा, शत्रुओं और बुरी शक्तियों से protection प्रदान करता है। इस कवच का पाठ करने से spiritual energy बढ़ती है और जीवन में positive vibrations आती हैं। श्रीकृष्ण के भक्त इसे अपनाकर divine blessings प्राप्त कर सकते हैं। यह sacred mantra जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक है।Kavacha
Mukunda Mala Stotram (मुकुंदमाला स्तोत्रम्)
संत राजा कुलशेखर की प्रार्थनाएं भगवान श्रीकृष्ण से उनकी सेवा का वरदान मांगती हैं। Mukunda-mala-stotra, जिसे राजा कुलशेखर ने एक हजार वर्ष पूर्व लिखा था, आज भी truth की ताजगी के साथ हमें संबोधित करता है। यह एक realized soul की आवाज़ है, जो अत्यंत sincerity के साथ Lord Krishna और हमसे संवाद करता है। राजा कुलशेखर सभी से disease of birth and death का उपचार सुनने का आह्वान करते हैं। Mukunda-mala-stotra उनके devotion to Krishna और इस शुभ अनुभव को सभी के साथ साझा करने की eagerness का सीधा और सरल expression है।Stotra