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Bhagavad Gita 17 Chapter || भगवत गीता सातवाँ अध्याय :
Bhagavad Gita 17 Chapter (भगवत गीता सातवाँ अध्याय)
भगवद्गीता का 17वां अध्याय "श्रद्धात्रयविभाग योग" (The Yoga of Threefold Faith) है, जो श्रद्धा (Faith) के तीन प्रकारों – सात्त्विक (Pure), राजसिक (Passionate), और तामसिक (Ignorant) – का वर्णन करता है। श्रीकृष्ण (Lord Krishna) अर्जुन (Arjuna) को बताते हैं कि व्यक्ति की श्रद्धा उसके स्वभाव (Nature) और गुणों (Qualities) पर आधारित होती है। इस अध्याय में भोजन (Food), यज्ञ (Sacrifice), तप (Austerity), और दान (Charity) को सात्त्विक, राजसिक, और तामसिक श्रेणियों में विभाजित कर उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण बताते हैं कि केवल सात्त्विक कर्म (Pure Actions) और श्रद्धा से ही आध्यात्मिक प्रगति (Spiritual Progress) और मोक्ष (Liberation) प्राप्त किया जा सकता है। यह अध्याय व्यक्ति को सद्गुणों (Virtues) और धर्म (Righteousness) के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।Page no.
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गीतगोविन्दं के चतुर्थ सर्ग में स्निग्ध मधुसूदन का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण के प्रेम और स्नेह को दर्शाता है।Gita-Govindam
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श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram) भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के 108 पवित्र नामों का वर्णन करता है, जो भक्तों (devotees) को सुख, शांति और समृद्धि (happiness, peace, and prosperity) प्रदान करता है। यह स्तोत्रम् असुर शक्तियों (evil forces) से बचाने और नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को दूर करने में सहायक है। गोविंद, मुकुंद, माधव (Govinda, Mukunda, Madhava) जैसे पवित्र नामों का जप करने से आध्यात्मिक उन्नति (spiritual growth) और पापों से मुक्ति (freedom from sins) प्राप्त होती है। यह ईश्वरीय अनुग्रह (divine grace) पाने और जीवन में सफलता (success in life) के लिए अत्यंत फलदायी है। श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) के नाम स्मरण से कलियुग के दोषों (Kali Yuga Dosha) से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।Stotra
Mukunda Mala Stotram (मुकुंदमाला स्तोत्रम्)
संत राजा कुलशेखर की प्रार्थनाएं भगवान श्रीकृष्ण से उनकी सेवा का वरदान मांगती हैं। Mukunda-mala-stotra, जिसे राजा कुलशेखर ने एक हजार वर्ष पूर्व लिखा था, आज भी truth की ताजगी के साथ हमें संबोधित करता है। यह एक realized soul की आवाज़ है, जो अत्यंत sincerity के साथ Lord Krishna और हमसे संवाद करता है। राजा कुलशेखर सभी से disease of birth and death का उपचार सुनने का आह्वान करते हैं। Mukunda-mala-stotra उनके devotion to Krishna और इस शुभ अनुभव को सभी के साथ साझा करने की eagerness का सीधा और सरल expression है।Stotra
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
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