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Gita govindam Pratham Sargaah - Samoda Damodarah (गीतगोविन्दं प्रथमः सर्गः - सामोद दामोदरः)
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Related to Krishna
Bhagavad Gita Fourteenth Chapter (भगवत गीता चौदहवाँ अध्याय)
भगवद गीता चौदहवाँ अध्याय "गुणत्रय विभाग योग" के रूप में जाना जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण सत्व, रजस, और तमस नामक तीन गुणों का विस्तार से वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि इन गुणों का संतुलन ही व्यक्ति के जीवन को नियंत्रित करता है। यह अध्याय "गुणों का प्रभाव", "सत्वगुण की महिमा", और "आध्यात्मिक उन्नति" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita Twelveth Chapter (भगवद गीता बारहवाँ अध्याय)
भगवद गीता बारहवाँ अध्याय "भक्ति योग" के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण भक्ति को सबसे सरल और श्रेष्ठ मार्ग बताते हैं। वे कहते हैं कि जो भक्त पूर्ण श्रद्धा और प्रेम के साथ उनकी आराधना करता है, वह उनका प्रिय होता है। यह अध्याय "भक्ति की महिमा", "ईश्वर के प्रति प्रेम", और "सच्चे भक्त के गुण" का वर्णन करता है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita Eighth Chapter (भगवद गीता आठवां अध्याय)
भगवद गीता आठवां अध्याय "अक्षर ब्रह्म योग" के रूप में प्रसिद्ध है। इसमें श्रीकृष्ण मृत्यु, आत्मा, और परम ब्रह्म के रहस्यों को उजागर करते हैं। वे बताते हैं कि जो व्यक्ति अंतिम समय में ईश्वर का स्मरण करता है, वह उनके परम धाम को प्राप्त करता है। यह अध्याय "अक्षर ब्रह्म", "मोक्ष का मार्ग", और "ध्यान का महत्व" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Shri Govinda Ashtakam (श्री गोविन्द अष्टकम्)
श्रीमद भागवत के अनुसार Shri Krishna सर्वकष्ट विनाशी माने जाते है। अगर सच्चे मन से उनकी worship किया जाए और Shri Govinda Ashtakam का recitation किया जाए तो humans को कोई भी परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है। Shri Govinda Ashtakam का chanting नियमित रूप से करने से Shri Krishna भगवान भी प्रसन्न हो जाते है और अपने devotees पर पूर्ण रूप से blessing बनाये रखते है। अगर practitioner सच्चे मन से Shri Govinda Ashtakam का recitation करता है तो उसके सारे sins धुल जाते है इस chanting को करने से human life की सभी प्रकार की diseases व suffering नष्ट होने लगते है। और positive energy जीवन में बनाये रखता है। Shri Govinda Ashtakam recitation को करने से desired wishes भी fulfilled होती है।Ashtakam
Shri Nandakumar Ashtakam (श्री नन्दकुमार अष्टकम् )
Nandkumar Ashtakam (नन्दकुमार अष्टकम): Shri Nandkumar Ashtakam का पाठ विशेष रूप से भगवान श्री कृष्ण के Janmashtami या भगवान श्री कृष्ण से संबंधित अन्य festivals पर किया जाता है। Shri Nandkumar Ashtakam का नियमित recitation करने से भगवान श्री कृष्ण की teachings से व्यक्ति प्रसन्न होते हैं। श्री वल्लभाचार्य Shri Nandkumar Ashtakam के composer हैं। ‘Ashtakam’ शब्द संस्कृत के ‘Ashta’ से लिया गया है, जिसका अर्थ है "eight"। Poetry रचनाओं के संदर्भ में, 'Ashtakam' एक विशेष काव्य रूप को दर्शाता है, जो आठ verses में लिखा जाता है। Shri Krishna का नाम स्वयं में यह दर्शाता है कि वह हर किसी को attract करने में सक्षम हैं। कृष्ण नाम का अर्थ है ultimate truth। वह भगवान Vishnu के आठवें और सबसे प्रसिद्ध avatar हैं, जो truth, love, dharma, और courage का सर्वोत्तम उदाहरण माने जाते हैं। Ashtakam से जुड़ी परंपराएँ अपनी literary history में 2500 वर्षों से अधिक की यात्रा पर विकसित हुई हैं। Ashtakam writers में से एक प्रसिद्ध नाम Adi Shankaracharya का है, जिन्होंने एक Ashtakam cycle तैयार किया, जिसमें Ashtakam के समूह को एक विशेष देवता की worship में व्यवस्थित किया गया था, और इसे एक साथ एक काव्य कार्य के रूप में पढ़ने के लिए डिज़ाइन किया गया था। उन्होंने विभिन्न देवताओं की stuti में 30 से अधिक Ashtakam रचे थे। Nandkumar Ashtakam Adi Shankaracharya द्वारा भगवान श्री कृष्ण की praise में रचित है। Nandkumar Ashtakam का पाठ भगवान श्री कृष्ण से संबंधित अधिकांश अवसरों पर किया जाता है, जिसमें Krishna Janmashtami भी शामिल है। यह इतना लोकप्रिय है कि इसे नियमित रूप से homes और विभिन्न Krishna temples में chant किया जाता है। Ashtakam में कई बार, quatrains (चार पंक्तियों का समूह) अचानक समाप्त हो जाती है या अन्य मामलों में, एक couplet (दो पंक्तियाँ) के साथ समाप्त होती है। Body में चौकड़ी में कवि एक theme स्थापित करता है और फिर उसे अंतिम पंक्तियों में समाधान कर सकता है, जिन्हें couplet कहा जाता है, या इसे बिना हल किए छोड़ सकता है। कभी-कभी अंत का couplet कवि की self-identification भी हो सकता है। संरचना meter rules द्वारा भी बंधी होती है, ताकि recitation और classical singing के लिए उपयुक्त हो। हालांकि, कई Ashtakam ऐसे भी हैं जो नियमित संरचना का पालन नहीं करते।Ashtakam
Srimad Bhagwad Gita Chapter 18 (श्रीमद्भगवद्गीता मूलम् - अष्टादशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता मूलम् - अष्टादशोऽध्यायः भगवद्गीता का 18वां अध्याय है जो मुक्ति और कर्म योग की महिमा का वर्णन करता है। यह अध्याय भगवान कृष्ण और अर्जुन के बीच संवाद के रूप में प्रस्तुत किया गया है।Bhagwat-Gita
Panduranga Ashtkam (श्री पांडुरंग अष्टकम्)
श्री पांडुरंग अष्टकम् भगवान विट्ठल की स्तुति करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को पांडुरंग की कृपा और भक्ति का अनुभव करने में मदद करता है।Ashtakam
Bhagavad Gita sixth chapter (भगवद गीता छठा अध्याय)
भगवद गीता छठा अध्याय "ध्यान योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान कृष्ण ध्यान और आत्म-संयम के महत्व पर जोर देते हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति मन और इंद्रियों को वश में रखकर ध्यान करता है, वही सच्चा योगी है। यह अध्याय हमें "ध्यान योग", "मन का नियंत्रण", और "आध्यात्मिक उन्नति" के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita