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Bhagavad Gita Chapter 16: Daivasura Sampad Vibhaga Yoga in Hindi-English | भगवद गीता अध्याय 16: दैवासुर सम्पद विभाग योग
Bhagavad Gita Sixteenth Chapter (भगवत गीता सोलहवाँ अध्याय)
भगवद गीता सोलहवाँ अध्याय "दैवासुर सम्पद विभाग योग" है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण दैवी (सद्गुण) और आसुरी (दुर्गुण) स्वभाव का वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि दैवी गुण से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है और आसुरी गुण से बंधन में फंसता है। यह अध्याय "सद्गुणों की महिमा", "दुर्गुणों का परित्याग", और "सही जीवनशैली" पर आधारित है।Page no.
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Bhagavad Gita second chapter (भगवद गीता दूसरा अध्याय)
भगवद गीता के दूसरे अध्याय का नाम "सांख्य योग" या "ज्ञान का योग" है। यह अध्याय गीता का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान देते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को आत्मा की अमरता, कर्मयोग का महत्व और समभाव बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। यह अध्याय जीवन में सही दृष्टिकोण अपनाने और अपने धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 9 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - नवमोऽध्यायः)
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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 18 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - अष्टादशोऽध्यायः)
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Gita Govindam Shashtah sargah - Kunth Vaikunthah (गीतगोविन्दं षष्टः सर्गः - कुण्ठ वैकुण्ठः)
गीतगोविन्दं के षष्ट सर्ग में कुण्ठ वैकुण्ठः का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण के बीच की कठिनाइयों और उनके प्रेम की परीक्षा को दर्शाता है।Gita-Govindam
Uddhava Gita - Chapter 4 (उद्धवगीता - चतुर्थोऽध्यायः)
उद्धवगीता के चतुर्थोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में वैराग्य और आध्यात्मिक साधना पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita