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Bhagavad Gita Chapter 16: Daivasura Sampad Vibhaga Yoga in Hindi-English | भगवद गीता अध्याय 16: दैवासुर सम्पद विभाग योग
Bhagavad Gita Sixteenth Chapter (भगवत गीता सोलहवाँ अध्याय)
भगवद गीता सोलहवाँ अध्याय "दैवासुर सम्पद विभाग योग" है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण दैवी (सद्गुण) और आसुरी (दुर्गुण) स्वभाव का वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि दैवी गुण से व्यक्ति मोक्ष प्राप्त करता है और आसुरी गुण से बंधन में फंसता है। यह अध्याय "सद्गुणों की महिमा", "दुर्गुणों का परित्याग", और "सही जीवनशैली" पर आधारित है।Page no.
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Bhagavad Gita Fourteenth Chapter (भगवत गीता चौदहवाँ अध्याय)
भगवद गीता चौदहवाँ अध्याय "गुणत्रय विभाग योग" के रूप में जाना जाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण सत्व, रजस, और तमस नामक तीन गुणों का विस्तार से वर्णन करते हैं। वे बताते हैं कि इन गुणों का संतुलन ही व्यक्ति के जीवन को नियंत्रित करता है। यह अध्याय "गुणों का प्रभाव", "सत्वगुण की महिमा", और "आध्यात्मिक उन्नति" पर आधारित है।Bhagwat-Gita
Uddhava Gita - Chapter 2 (उद्धवगीता - द्वितीयोऽध्यायः)
उद्धवगीता के द्वितीयोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की चर्चा का विस्तार होता है, जिसमें भक्तियोग और ज्ञानयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।Uddhava-Gita
Shri Govinda Stuti (श्री गोविंदास्तुति)
Govinda Stuti (गोविंदास्तुति)/ Govinda Ashtakam (गोविंदा अष्टकम) एक devotional Stotra है, जिसे Adi Shankaracharya ने Lord Vishnu के Govinda रूप की स्तुति में लिखा था। Hindu Mythology के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति regularly इस स्तोत्र का chanting करता है, तो वह Lord Govinda को प्रसन्न कर उनकी divine blessings प्राप्त कर सकता है। Best results प्राप्त करने के लिए इस स्तोत्र का पाठ early morning स्नान करने के बाद, Lord Govinda की idol या picture के सामने बैठकर करना चाहिए। इस स्तोत्र के meaning in Hindi को समझकर पाठ करने से इसका effect और अधिक बढ़ जाता है। Govinda का नाम before eating anything अवश्य लेना चाहिए। Kshatrabandhu की कथा Govinda Nama के महत्व को दर्शाती है। Kshatrabandhu एक cruel man था, जो जंगलों में यात्रा करने वालों को लूटता था। लेकिन जब एक sage से उसने Govinda नाम सुना, तो उसका salvation हो गया।Stuti
Shri Krishna Kavacham (Trilokya Mangal Kavacham) श्री कृष्ण कवचं (त्रैलोक्य मङ्गल कवचम्)
श्री कृष्ण कवचं, जिसे त्रैलोक्य मङ्गल कवचम् भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण के आशीर्वादों को तीनों लोकों में सुरक्षा और कल्याण के लिए बुलाने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करने से सुरक्षा और आध्यात्मिक समृद्धि सुनिश्चित होती है।Kavacha
Shri Krishna Ashtakam (श्री कृष्णाष्टकम्)
श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार इनका जन्म द्वापर युग में माना गया है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी पूजा करते है उन्हे माखन खिलाते है। इन्हे श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करके भी प्रसन्न किया जा सकता है। रोज श्रीकृष्ण अष्टकम पढ़ने पर विशेष पुण्य लाभ मिलता है। भगवान के इस पाठ को करने वाले मनुष्य का जीवन में कभी कोई कार्य नहीं रुकता और उसे हमेशा विजय की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से यदि कोई व्यक्ति श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करता है तो भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टी बनाएं रखते है और वह हमेशा विजयी रहता है।Ashtakam
Bhagavad Gita Thirteenth Chapter (भगवद गीता तेरहवाँ अध्याय)
भगवद गीता तेरहवाँ अध्याय "क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विवेक योग" है। इसमें श्रीकृष्ण ने क्षेत्र (शरीर) और क्षेत्रज्ञ (आत्मा) के बीच के अंतर को समझाया है। वे बताते हैं कि शरीर नश्वर है, जबकि आत्मा अमर और शाश्वत है। यह अध्याय "आत्मा और शरीर", "अध्यात्म का विज्ञान", और "सत्य ज्ञान" की महत्ता को प्रकट करता है।Bhagwat-Gita
Shri Krishna Vandana (श्री कृष्ण वंदना)
श्री कृष्ण वंदना भगवान कृष्ण के गुणों और लीलाओं की प्रशंसा में गाई जाने वाली स्तुति है। इसमें भगवान के दिव्य प्रेम, ज्ञान, और धैर्य की महिमा का वर्णन किया गया है। यह वंदना "भक्ति" और "आध्यात्मिक प्रेरणा" का अद्भुत स्रोत है।Vandana
Uddhava Gita - Chapter 5 (उद्धवगीता - पंचमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के पंचमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में भक्ति के महत्व और भगवान की महिमा पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita