No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Narayaniyam Dashaka 45 (नारायणीयं दशक 45)
नारायणीयं दशक 45 (Narayaniyam Dashaka 45)
अयि सबल मुरारे पाणिजानुप्रचारैः
किमपि भवनभागान् भूषयंतौ भवंतौ ।
चलितचरणकंजौ मंजुमंजीरशिंजा-
श्रवणकुतुकभाजौ चेरतुश्चारुवेगात् ॥1॥
मृदु मृदु विहसंतावुन्मिषद्दंतवंतौ
वदनपतितकेशौ दृश्यपादाब्जदेशौ ।
भुजगलितकरांतव्यालगत्कंकणांकौ
मतिमहरतमुच्चैः पश्यतां विश्वनृणाम् ॥2॥
अनुसरति जनौघे कौतुकव्याकुलाक्षे
किमपि कृतनिनादं व्याहसंतौ द्रवंतौ ।
वलितवदनपद्मं पृष्ठतो दत्तदृष्टी
किमिव न विदधाथे कौतुकं वासुदेव ॥3॥
द्रुतगतिषु पतंतावुत्थितौ लिप्तपंकौ
दिवि मुनिभिरपंकैः सस्मितं वंद्यमानौ ।
द्रुतमथ जननीभ्यां सानुकंपं गृहीतौ
मुहुरपि परिरब्धौ द्राग्युवां चुंबितौ च ॥4॥
स्नुतकुचभरमंके धारयंती भवंतं
तरलमति यशोदा स्तन्यदा धन्यधन्या ।
कपटपशुप मध्ये मुग्धहासांकुरं ते
दशनमुकुलहृद्यं वीक्ष्य वक्त्रं जहर्ष ॥5॥
तदनुचरणचारी दारकैस्साकमारा-
न्निलयततिषु खेलन् बालचापल्यशाली ।
भवनशुकविडालान् वत्सकांश्चानुधावन्
कथमपि कृतहासैर्गोपकैर्वारितोऽभूः ॥6॥
हलधरसहितस्त्वं यत्र यत्रोपयातो
विवशपतितनेत्रास्तत्र तत्रैव गोप्यः ।
विगलितगृहकृत्या विस्मृतापत्यभृत्या
मुरहर मुहुरत्यंताकुला नित्यमासन् ॥7॥
प्रतिनवनवनीतं गोपिकादत्तमिच्छन्
कलपदमुपगायन् कोमलं क्वापि नृत्यन् ।
सदययुवतिलोकैरर्पितं सर्पिरश्नन्
क्वचन नवविपक्वं दुग्धमप्यापिबस्त्वम् ॥8॥
मम खलु बलिगेहे याचनं जातमास्ता-
मिह पुनरबलानामग्रतो नैव कुर्वे ।
इति विहितमतिः किं देव संत्यज्य याच्ञां
दधिघृतमहरस्त्वं चारुणा चोरणेन ॥9॥
तव दधिघृतमोषे घोषयोषाजनाना-
मभजत हृदि रोषो नावकाशं न शोकः ।
हृदयमपि मुषित्वा हर्षसिंधौ न्यधास्त्वं
स मम शमय रोगान् वातगेहाधिनाथ ॥10॥
शाखाग्रे विधुं विलोक्य फलमित्यंबां च तातं मुहुः
संप्रार्थ्याथ तदा तदीयवचसा प्रोत्क्षिप्तबाहौ त्वयि।
चित्रं देव शशी स ते कर्मगात् किं ब्रूमहे संपतः
ज्योतिर्मंडलपूरिताखिलवपुः प्रागा विराड्रूपताम् ॥ 11॥
किं किं बतेदमिति संभ्रम भाजमेनं
ब्रह्मार्णवे क्षणममुं परिमज्ज्य तातम् ।
मायां पुनस्तनय-मोहमयीं वितन्वन्
आनंदचिन्मय जगन्मय पाहि रोगात् ॥12॥
Related to Vishnu
Narayaniyam Dashaka 79 (नारायणीयं दशक 79)
नारायणीयं का उन्यासीवां दशक भगवान विष्णु के दिव्य स्वरूप और उनकी लीला का गहन विवरण प्रदान करता है। इस दशक में, भगवान की महिमा और उनके द्वारा किए गए अद्भुत कार्यों का वर्णन किया गया है। भक्त भगवान की अनंत कृपा और उनकी दिव्यता का अनुभव करते हैं।Narayaniyam-Dashaka
Shri Venkateswara Prapatti (श्री वेङ्कटेश्वर प्रपत्ति)
श्री वेङ्कटेश्वर प्रपत्ति भगवान वेंकटेश्वर को समर्पित एक प्रार्थना है, जो भक्तों को शरणागति और भक्ति का अनुभव कराती है।MahaMantra
Shri Maha Vishnu Stotram (श्री महा विष्णु स्तोत्रम् )
Shri Maha Vishnu Stotram भगवान Vishnu की divine power और supreme authority का गुणगान करने वाला एक sacred hymn है। यह holy chant उनके infinite strength, protection, और grace का वर्णन करता है। इस stotra के पाठ से negative energy समाप्त होती है और spiritual awakening होती है। भक्तों को peace, prosperity, और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह powerful mantra karma, dharma, और moksha की प्राप्ति में सहायक होता है। Shri Maha Vishnu Stotram का जाप जीवन में positivity और harmony लाता है।Stotra
Bhaj Govindam (भज गोविन्दम्)
भज गोविन्दम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक भजन है, जो भगवान कृष्ण की स्तुति में गाया जाता है और भक्तों को भक्ति और साधना की शिक्षा देता है।Shloka-Mantra
Narayaniyam Dashaka 24 (नारायणीयं दशक 24)
नारायणीयं का चौबीसवां दशक भगवान नारायण की महिमा और उनकी भक्ति के महत्त्व को उजागर करता है। इसमें भगवान के अनंत रूपों और उनके अवतारों की महानता का वर्णन है, जो भक्तों को उनकी भक्ति में और भी दृढ़ बनाता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 6 (नारायणीयं दशक 6)
नारायणीयं दशक 6 में भगवान नारायण की भक्तों पर कृपा और आशीर्वाद की प्राप्ति की प्रार्थना की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के प्रेम और करुणा की विशेषता को समझाता है।Narayaniyam-Dashaka
Narayaniyam Dashaka 20 (नारायणीयं दशक 20)
नारायणीयं दशक 20 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।Narayaniyam-Dashaka
Sarvrup Hari Vandana (सर्वरूप हरि-वन्दन)
सर्वरूप हरि वंदना में भगवान हरि के सभी रूपों की पूजा और वंदना की जाती है। यह वंदना भगवान के सर्वशक्तिमान, निराकार, और सृष्टि के पालनहार रूपों की महिमा का वर्णन करती है। Sarvaroop Hari Vandana गाने से भक्त भगवान की अद्वितीय शक्ति, करुणा, और मंगलकारी रूप की अनुभूति करते हैं।Vandana