No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Sudarshan Ashtakam (सुदर्शन अष्टकम्)
सुदर्शन अष्टकम् (वेदान्ताचार्य कृतम्)
(Sudarshan Ashtakam)
प्रतिभटश्रेणिभीषण वरगुणस्तोमभूषण
जनिभयस्थानतारण जगदवस्थानकारण ।
निखिलदुष्कर्मकर्शन निगमसद्धर्मदर्शन
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 1 ॥
शुभजगद्रूपमण्डन सुरजनत्रासखण्डन
शतमखब्रह्मवन्दित शतपथब्रह्मनन्दित ।
प्रथितविद्वत्सपक्षित भजदहिर्बुध्न्यलक्षित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 2 ॥
निजपदप्रीतसद्गण निरुपथिस्फीतषड्गुण
निगमनिर्व्यूढवैभव निजपरव्यूहवैभव ।
हरिहयद्वेषिदारण हरपुरप्लोषकारण
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 3 ॥
स्फुटतटिज्जालपिञ्जर पृथुतरज्वालपञ्जर
परिगतप्रत्नविग्रह परिमितप्रज्ञदुर्ग्रह ।
प्रहरणग्राममण्डित परिजनत्राणपण्डित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 4 ॥
भुवननेतस्त्रयीमय सवनतेजस्त्रयीमय
निरवधिस्वादुचिन्मय निखिलशक्तेजगन्मय ।
अमितविश्वक्रियामय शमितविश्वग्भयामय
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 5 ॥
महितसम्पत्सदक्षर विहितसम्पत्षडक्षर
षडरचक्रप्रतिष्ठित सकलतत्त्वप्रतिष्ठित ।
विविधसङ्कल्पकल्पक विबुधसङ्कल्पकल्पक
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 6 ॥
प्रतिमुखालीढबन्धुर पृथुमहाहेतिदन्तुर
विकटमालापरिष्कृत विविधमायाबहिष्कृत ।
स्थिरमहायन्त्रयन्त्रित दृढदयातन्त्रयन्त्रित
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 7 ॥
दनुजविस्तारकर्तन दनुजविद्याविकर्तन
जनितमिस्राविकर्तन भजदविद्यानिकर्तन ।
अमरदृष्टस्वविक्रम समरजुष्टभ्रमिक्रम
जय जय श्रीसुदर्शन जय जय श्रीसुदर्शन ॥ 8 ॥
द्विचतुष्कमिदं प्रभूतसारं
पठतां वेङ्कटनायकप्रणीतम् ।
विषमेऽपि मनोरथः प्रधावन्
न विहन्येत रथाङ्गधुर्यगुप्तः ॥ 9 ॥
इति श्री वेदान्ताचार्यस्य कृतिषु सुदर्शनाष्टकम् ।
Related to Krishna
Krishna Sahasranama Stotram (कृष्ण सहस्रनाम स्तोत्रम्)
श्री कृष्ण सहस्त्रनाम का पाठ ऐसा पाठ है जिसे करने से मनुष्य भयंकर रोग से, हर प्रकार के कर्ज से, हर प्रकार की चिंता, अवसाद आदि से मुक्ति पा सकता है। श्री कृष्ण सहस्त्रनाम के पाठ से मनुष्य के घर-परिवार में शांति रहती है, शत्रु का नाश होता है, सौभाग्य में वृद्धि होती है, अपार धन-सम्पत्ति की प्राप्ति होती है।Sahasranama-Stotram
Bhagavad Gita Twelveth Chapter (भगवद गीता बारहवाँ अध्याय)
भगवद गीता बारहवाँ अध्याय "भक्ति योग" के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण भक्ति को सबसे सरल और श्रेष्ठ मार्ग बताते हैं। वे कहते हैं कि जो भक्त पूर्ण श्रद्धा और प्रेम के साथ उनकी आराधना करता है, वह उनका प्रिय होता है। यह अध्याय "भक्ति की महिमा", "ईश्वर के प्रति प्रेम", और "सच्चे भक्त के गुण" का वर्णन करता है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita sixth chapter (भगवद गीता छठा अध्याय)
भगवद गीता छठा अध्याय "ध्यान योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान कृष्ण ध्यान और आत्म-संयम के महत्व पर जोर देते हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति मन और इंद्रियों को वश में रखकर ध्यान करता है, वही सच्चा योगी है। यह अध्याय हमें "ध्यान योग", "मन का नियंत्रण", और "आध्यात्मिक उन्नति" के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
Govinda Damodara Stotram (गोविंद दामोदर स्तोत्रम्)
गोविंद दामोदर स्तोत्रम् भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोविंद, दामोदर और माधव के नामों की महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।Stotra
Uddhava Gita - Chapter 4 (उद्धवगीता - चतुर्थोऽध्यायः)
उद्धवगीता के चतुर्थोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में वैराग्य और आध्यात्मिक साधना पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Gita Govindam dvitiyah sargah - Aklesh Keshavah (गीतगोविन्दं द्वितीयः सर्गः - अक्लेश केशवः)
गीतगोविन्दं के द्वितीय सर्ग में अक्लेश केशव का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण के बीच की दूरी और उनकी पुनर्मिलन की कहानी को दर्शाता है।Gita-Govindam
Shri Gopal Chalisa (श्री गोपाल चालीसा)
गोपाल चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान गोपाल पर आधारित है। गोपाल भगवान कृष्ण का ही एक और नाम है। गोपाल का अर्थ है गौ रक्षक। Gopal Chalisa का जाप भगवान गोपाल की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इसे विशेष रूप से Krishna devotion और protection from evils के लिए पढ़ा जाता है।Chalisa
Gita Govindam trutiyah sargah - Mugdh Madhusudanah (गीतगोविन्दं तृतीयः सर्गः - मुग्ध मधुसूदनः)
गीतगोविन्दं के तृतीय सर्ग में मुग्ध मधुसूदन का वर्णन किया गया है। यह खंड कृष्ण की चंचलता और राधा के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।Gita-Govindam