No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Bhagavad Gita Chapter 13: Kshetra Kshetrajna Vibhaga Yoga in Hindi-English | भगवद गीता अध्याय 13: क्षेत्र क्षेत्रज्ञ विभाग योग
Bhagavad Gita Thirteenth Chapter (भगवद गीता तेरहवाँ अध्याय)
भगवद गीता तेरहवाँ अध्याय "क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विवेक योग" है। इसमें श्रीकृष्ण ने क्षेत्र (शरीर) और क्षेत्रज्ञ (आत्मा) के बीच के अंतर को समझाया है। वे बताते हैं कि शरीर नश्वर है, जबकि आत्मा अमर और शाश्वत है। यह अध्याय "आत्मा और शरीर", "अध्यात्म का विज्ञान", और "सत्य ज्ञान" की महत्ता को प्रकट करता है।Page no.
/ 5
error
Page no. / 5
Related to Krishna
Bhagwan Natwar Ji Arti (भगवान नटवर जी की आरती)
भगवान नटवर जी की आरती श्रीकृष्ण के नटखट और मनमोहक स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इस आरती में भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) को नटवर (Divine Performer) और मुरलीधर (Flute Player) के रूप में पूजित किया गया है, जो भक्तों (Devotees) के कष्ट हरने वाले और आनंद (Joy) प्रदान करने वाले हैं। भगवान नटवर जी की यह आरती उनकी लीलाओं (Divine Pastimes) और सर्वशक्तिमान स्वरूप (Omnipotent Form) का स्मरण कराती है। यह आरती भगवान कृष्ण के प्रेम (Love), भक्ति (Devotion) और करुणा (Compassion) को व्यक्त करती है, जो जीवन के हर पहलू को आध्यात्मिक प्रकाश (Spiritual Light) से भर देती है। भगवान नटवर जी की आरती में उनकी मुरली (Flute) और उनके नटखट स्वभाव (Playful Nature) का विशेष वर्णन किया गया है, जो भक्तों को भगवान के साथ गहरा आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में मदद करता है।Arti
Bhagavad Gita Fifteenth Chapter (भगवत गीता पन्द्रहवाँ अध्याय)
भगवद गीता पंद्रहवाँ अध्याय "पुरुषोत्तम योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अश्वत्थ वृक्ष का उदाहरण देकर जीवन और ब्रह्मांड की वास्तविकता को समझाते हैं। वे कहते हैं कि पुरुषोत्तम (सर्वोच्च आत्मा) को पहचानने से ही मोक्ष संभव है। यह अध्याय "ब्रह्मांड का रहस्य", "आध्यात्मिक ज्ञान", और "मोक्ष का मार्ग" सिखाता है।Bhagwat-Gita
Gita Govindam Shashtah sargah - Kunth Vaikunthah (गीतगोविन्दं षष्टः सर्गः - कुण्ठ वैकुण्ठः)
गीतगोविन्दं के षष्ट सर्ग में कुण्ठ वैकुण्ठः का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण के बीच की कठिनाइयों और उनके प्रेम की परीक्षा को दर्शाता है।Gita-Govindam
Uddhava Gita - Chapter 1 (उद्धवगीता - प्रथमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के प्रथमोऽध्याय में उद्धव और भगवान कृष्ण के बीच की वार्ता का प्रारंभ होता है। यह अध्याय आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति के महत्व को दर्शाता है।Uddhava-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 2 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वितीयोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वितीयोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा की अमरता और कर्मयोग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Uddhava Gita - Chapter 4 (उद्धवगीता - चतुर्थोऽध्यायः)
उद्धवगीता के चतुर्थोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में वैराग्य और आध्यात्मिक साधना पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 8 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - अष्टमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के अष्टमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा की अजर-अमरता और जीवन के सत्य के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shri Krishnan Chalisa (श्री कृष्णन चालीसा)
कृष्ण चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण पर आधारित है। कृष्ण चालीसा एक लोकप्रिय प्रार्थना है जो 40 छन्दों से बनी है। कई लोग जन्माष्टमी सहित भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य त्योहारों पर कृष्ण चालीसा का पाठ करते हैं। इस चालीसा के पाठ से भक्तों को spiritual peace और blessings मिलती हैं। Krishna mantra for positivity का जाप जीवन में love और prosperity लाने का एक प्रभावी उपाय है।Chalisa