No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Nanda Kumar Ashtkam (नंद कुमार अष्टकम्)
नंद कुमार अष्टकम् (Nanda Kumar Ashtkam)
सुंदरगोपालं उरवनमालं नयनविशालं दुःखहरं
बृंदावनचंद्रमानंदकंदं परमानंदं धरणिधरम् ।
वल्लभघनश्यामं पूर्णकामं अत्यभिरामं प्रीतिकरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 1 ॥
सुंदरवारिजवदनं निर्जितमदनं आनंदसदनं मुकुटधरं
गुंजाकृतिहारं विपिनविहारं परमोदारं चीरहरम् ।
वल्लभपटपीतं कृत उपवीतं करनवनीतं विबुधवरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 2 ॥
शोभितसुखमूलं यमुनाकूलं निपट अतूलं सुखदतरं
मुखमंडितरेणुं चारितधेनुं वादितवेणुं मधुरसुरम् ।
वल्लभमतिविमलं शुभपदकमलं नखरुचि अमलं तिमिरहरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 3 ॥
शिरमुकुटसुदेशं कुंचितकेशं नटवरवेषं कामवरं
मायाकृतमनुजं हलधर अनुजं प्रतिहतदनुजं भारहरम् ।
वल्लभव्रजपालं सुभगसुचालं हितमनुकालं भाववरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 4 ॥
इंदीवरभासं प्रकटसरासं कुसुमविकासं वंशधरं
हृत्मन्मथमानं रूपनिधानं कृतकलगानं चित्तहरम् ।
वल्लभमृदुहासं कुंजनिवासं विविधविलासं केलिकरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 5 ॥
अतिपरमप्रवीणं पालितदीनं भक्ताधीनं कर्मकरं
मोहनमतिधीरं फणिबलवीरं हतपरवीरं तरलतरम् ।
वल्लभव्रजरमणं वारिजवदनं हलधरशमनं शैलधरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 6 ॥
जलधरद्युतिअंगं ललितत्रिभंगं बहुकृतिरंगं रसिकवरं
गोकुलपरिवारं मदनाकारं कुंजविहारं गूढतरम् ।
वल्लभव्रजचंद्रं सुभगसुछंदं कृत आनंदं भ्रांतिहरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 7 ॥
वंदितयुगचरणं पावनकरणं जगदुद्धरणं विमलधरं
कालियशिरगमनं कृतफणिनमनं घातितयमनं मृदुलतरम् ।
वल्लभदुःखहरणं निर्मलचरणं अशरणशरणं मुक्तिकरं
भज नंदकुमारं सर्वसुखसारं तत्त्वविचारं ब्रह्मपरम् ॥ 8 ॥
इति श्रीमद्वल्लभाचार्यविरचितं श्रीनंदकुमाराष्टकम् ॥
Related to Krishna
Bhagavad Gita Thirteenth Chapter (भगवद गीता तेरहवाँ अध्याय)
भगवद गीता तेरहवाँ अध्याय "क्षेत्र-क्षेत्रज्ञ विवेक योग" है। इसमें श्रीकृष्ण ने क्षेत्र (शरीर) और क्षेत्रज्ञ (आत्मा) के बीच के अंतर को समझाया है। वे बताते हैं कि शरीर नश्वर है, जबकि आत्मा अमर और शाश्वत है। यह अध्याय "आत्मा और शरीर", "अध्यात्म का विज्ञान", और "सत्य ज्ञान" की महत्ता को प्रकट करता है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita Nineth Chapter (भगवद गीता नौवाँ अध्याय)
भगवद गीता नौवां अध्याय "राज विद्या राज गुह्य योग" कहलाता है। इसमें श्रीकृष्ण भक्ति के महत्व को बताते हैं और इसे सबसे गोपनीय ज्ञान कहते हैं। वे यह भी समझाते हैं कि जो व्यक्ति ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखता है, वह उनके विशेष कृपा का पात्र बनता है। यह अध्याय "भक्ति योग", "ईश्वर की कृपा", और "गुप्त ज्ञान" को उजागर करता है।Bhagwat-Gita
Shri Krishna Ashtakam (श्री कृष्णाष्टकम्)
श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार इनका जन्म द्वापर युग में माना गया है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी पूजा करते है उन्हे माखन खिलाते है। इन्हे श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करके भी प्रसन्न किया जा सकता है। रोज श्रीकृष्ण अष्टकम पढ़ने पर विशेष पुण्य लाभ मिलता है। भगवान के इस पाठ को करने वाले मनुष्य का जीवन में कभी कोई कार्य नहीं रुकता और उसे हमेशा विजय की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से यदि कोई व्यक्ति श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करता है तो भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टी बनाएं रखते है और वह हमेशा विजयी रहता है।Ashtakam
Sudarshan Shatkam (सुदर्शन षट्कम्)
सुदर्शन षट्कम् भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र की महिमा और उसकी शक्तियों का वर्णन करता है।Shatakam
Krishna Raksha Kavacha (श्रीकृष्णरक्षाकवचम्)
श्री कृष्ण रक्षा कवचम् एक दिव्य protective shield है, जो भगवान Shri Krishna की कृपा से सभी संकटों से बचाव करता है। यह divine armor नकारात्मक ऊर्जा, शत्रुओं और बुरी शक्तियों से protection प्रदान करता है। इस कवच का पाठ करने से spiritual energy बढ़ती है और जीवन में positive vibrations आती हैं। श्रीकृष्ण के भक्त इसे अपनाकर divine blessings प्राप्त कर सकते हैं। यह sacred mantra जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक है।Kavacha
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 13 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - त्रयोदशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का त्रयोदशो अध्याय क्षेत्र-क्षेत्रज्ञविभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण आत्मा और शरीर के बीच के संबंध की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Santana Gopala Stotram (संतान गोपाल स्तोत्रम्)
संतान गोपाल स्तोत्रम् भगवान कृष्ण की स्तुति करने वाला एक विशेष स्तोत्र है। यह स्तोत्र विशेष रूप से संतान की प्राप्ति के लिए गाया जाता है और भक्तों को गोपाल की कृपा का अनुभव करने में मदद करता है।Stotra
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 2 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वितीयोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के द्वितीयोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा की अमरता और कर्मयोग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan