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Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki || श्री कृष्ण कन्हैया की आरती : Full Lyrics in Sanskrit; मथुरा-कारागृह-अवतारी !!
Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki (श्री कृष्ण कन्हैया की आरती)
आरती श्री Krishna Kanhaiya की भगवान श्रीकृष्ण की divine glory और leela का गुणगान करती है। यह आरती उनके devotees को love, joy और spiritual enlightenment का अनुभव कराती है। Hindu religion में श्रीकृष्ण को God of love, compassion और dharma restoration का प्रतीक माना गया है। इस आरती का गान भक्तों के heart को positivity, peace और blessings से भर देता है। श्रीकृष्ण की पूजा troubles दूर करने और life में prosperity और happiness लाने के लिए की जाती है।श्री कृष्ण कन्हैया की आरती (Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki)
मथुरा-कारागृह-अवतारी,
गोकुल जसुदा-गोद-विहारी|
नंदलाल नटवर गिरिधारी,
वासुदेव हलधर-भैयाकी ॥
आरती श्री कृष्ण …
मोर-मुकुट पीताम्बर छाजै,
कटि काछनि, कर मुरलि विराजे|
पूर्ण सरद ससि मुख लखि लाजै,
काम कोटि छबि जितवैयाकी ॥
आरती श्री कृष्ण …
गोपीजन-रस-रास-विलासी,
कौरव-कालिय-कंस-बिनासी|
हिमकर-भानु-कृसानु-प्रकासी,
सर्वभूत-हिय-बसवैयाकी ॥
आरती श्री कृष्ण …
कहुँ रन चढ़े भागि कहुँ जावै,
कहुँ नूप कर, कहुँ गाय चरावै|
कहुँ जागेस, बेद जस गावै,
जग नचाय ब्रज-नचवैयाकी ॥
आरती श्री कृष्ण …
अगुन-सगुन लीला-बपु-धारी,
अनुपम गीता-ज्ञान-प्रचारी|
दामोदर सब बिधि बलिहारी,
बिप्र-धेनु-सुर-रखबवैयाकी ॥
आरती श्री कृष्ण …
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गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् (Govinda Damodar Stotram) गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् (लघु) करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् । वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव । जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 1 विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्तिः । दध्यादिकं मोहवशादवोचत् गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 2 गृहे गृहे गोपवधूकदम्बाः सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम् । पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 3 सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णोः प्रवदन्ति मर्त्याः । ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 4 जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि । समस्त भक्तार्तिविनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 5 सुखावसाने इदमेव सारं दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम् । देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 6 जिह्वे रसज्ञे मधुरप्रिये त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि । अवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 7 त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते । वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 8 श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धननाथ विष्णो । जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 9Stotra
Uddhava Gita - Chapter 2 (उद्धवगीता - द्वितीयोऽध्यायः)
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श्रीमद भागवत के अनुसार Shri Krishna सर्वकष्ट विनाशी माने जाते है। अगर सच्चे मन से उनकी worship किया जाए और Shri Govinda Ashtakam का recitation किया जाए तो humans को कोई भी परेशानियों का सामना नही करना पड़ता है। Shri Govinda Ashtakam का chanting नियमित रूप से करने से Shri Krishna भगवान भी प्रसन्न हो जाते है और अपने devotees पर पूर्ण रूप से blessing बनाये रखते है। अगर practitioner सच्चे मन से Shri Govinda Ashtakam का recitation करता है तो उसके सारे sins धुल जाते है इस chanting को करने से human life की सभी प्रकार की diseases व suffering नष्ट होने लगते है। और positive energy जीवन में बनाये रखता है। Shri Govinda Ashtakam recitation को करने से desired wishes भी fulfilled होती है।Ashtakam
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