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Govinda Damodara Stotram (गोविंद दामोदर स्तोत्रम्)
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Related to Krishna
Uddhava Gita - Chapter 3 (उद्धवगीता - तृतीयोऽध्यायः)
उद्धवगीता के तृतीयोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में कर्मयोग और उसकी महत्ता पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Bhagavad Gita fifth chapter (भगवद गीता पांचवां अध्याय)
भगवद गीता पांचवां अध्याय "कर्म-वैराग्य योग" कहलाता है। इसमें श्रीकृष्ण बताते हैं कि त्याग और कर्म के माध्यम से आत्मज्ञान प्राप्त किया जा सकता है। वे सिखाते हैं कि जब व्यक्ति फल की इच्छा छोड़े बिना कर्म करता है, तो उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह अध्याय हमें "कर्मयोग" और "सन्यास" के बीच संतुलन बनाने का मार्ग दिखाता है।Bhagwat-Gita
Gita Govindam Chaturthah Sargah - Snigdh Madhusudanah (गीतगोविन्दं चतुर्थः सर्गः - स्निग्ध मधुसूदनः)
गीतगोविन्दं के चतुर्थ सर्ग में स्निग्ध मधुसूदन का वर्णन किया गया है। यह खंड राधा और कृष्ण के प्रेम और स्नेह को दर्शाता है।Gita-Govindam
Bhagavad Gita sixth chapter (भगवद गीता छठा अध्याय)
भगवद गीता छठा अध्याय "ध्यान योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान कृष्ण ध्यान और आत्म-संयम के महत्व पर जोर देते हैं। वे कहते हैं कि जो व्यक्ति मन और इंद्रियों को वश में रखकर ध्यान करता है, वही सच्चा योगी है। यह अध्याय हमें "ध्यान योग", "मन का नियंत्रण", और "आध्यात्मिक उन्नति" के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
Gita Govindam trutiyah sargah - Mugdh Madhusudanah (गीतगोविन्दं तृतीयः सर्गः - मुग्ध मधुसूदनः)
गीतगोविन्दं के तृतीय सर्ग में मुग्ध मधुसूदन का वर्णन किया गया है। यह खंड कृष्ण की चंचलता और राधा के प्रति उनके प्रेम को दर्शाता है।Gita-Govindam
Uddhava Gita - Chapter 1 (उद्धवगीता - प्रथमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के प्रथमोऽध्याय में उद्धव और भगवान कृष्ण के बीच की वार्ता का प्रारंभ होता है। यह अध्याय आध्यात्मिक ज्ञान और भक्ति के महत्व को दर्शाता है।Uddhava-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 7 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - सप्तमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के सप्तमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को भक्ति योग और ईश्वर की अद्वितीयता के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 10 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - दशमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के दशमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को ईश्वर के वैश्विक स्वरूप और उसकी महिमा के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan