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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 2 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वितीयोऽध्यायः)
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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 10 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - दशमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के दशमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को ईश्वर के वैश्विक स्वरूप और उसकी महिमा के बारे में समझाया है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki (श्री कृष्ण कन्हैया की आरती)
आरती श्री Krishna Kanhaiya की भगवान श्रीकृष्ण की divine glory और leela का गुणगान करती है। यह आरती उनके devotees को love, joy और spiritual enlightenment का अनुभव कराती है। Hindu religion में श्रीकृष्ण को God of love, compassion और dharma restoration का प्रतीक माना गया है। इस आरती का गान भक्तों के heart को positivity, peace और blessings से भर देता है। श्रीकृष्ण की पूजा troubles दूर करने और life में prosperity और happiness लाने के लिए की जाती है।Arti
Shri Krishna Kavacham (Trilokya Mangal Kavacham) श्री कृष्ण कवचं (त्रैलोक्य मङ्गल कवचम्)
श्री कृष्ण कवचं, जिसे त्रैलोक्य मङ्गल कवचम् भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण के आशीर्वादों को तीनों लोकों में सुरक्षा और कल्याण के लिए बुलाने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करने से सुरक्षा और आध्यात्मिक समृद्धि सुनिश्चित होती है।Kavacha
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 16 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - षोडशोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता का षोडशो अध्याय दैवासुर संपद्विभाग योग के नाम से जाना जाता है, जिसमें भगवान कृष्ण दैवी और आसुरी गुणों की व्याख्या करते हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Bhagavad Gita Fifteenth Chapter (भगवत गीता पन्द्रहवाँ अध्याय)
भगवद गीता पंद्रहवाँ अध्याय "पुरुषोत्तम योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अश्वत्थ वृक्ष का उदाहरण देकर जीवन और ब्रह्मांड की वास्तविकता को समझाते हैं। वे कहते हैं कि पुरुषोत्तम (सर्वोच्च आत्मा) को पहचानने से ही मोक्ष संभव है। यह अध्याय "ब्रह्मांड का रहस्य", "आध्यात्मिक ज्ञान", और "मोक्ष का मार्ग" सिखाता है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita Twelveth Chapter (भगवद गीता बारहवाँ अध्याय)
भगवद गीता बारहवाँ अध्याय "भक्ति योग" के नाम से प्रसिद्ध है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण भक्ति को सबसे सरल और श्रेष्ठ मार्ग बताते हैं। वे कहते हैं कि जो भक्त पूर्ण श्रद्धा और प्रेम के साथ उनकी आराधना करता है, वह उनका प्रिय होता है। यह अध्याय "भक्ति की महिमा", "ईश्वर के प्रति प्रेम", और "सच्चे भक्त के गुण" का वर्णन करता है।Bhagwat-Gita
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 5 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - पंचमोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के पंचमोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को संन्यास और कर्मयोग के महत्व समझाए हैं।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti