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Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 2 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - द्वितीयोऽध्यायः)
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Related to Krishna
Murari Stuti (मुरारि स्तुति)
Shri Murari Stuti (मुरारि स्तुति) का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय peaceful और spiritual atmosphere में करना श्रेष्ठ माना जाता है। इसे Shri Krishna की idol या image के सामने बैठकर गाया जा सकता है। पाठ करने से पहले मन को शांत करें और Lord Krishna के divine form का ध्यान करें। भक्त इसे soft voice में या with music भी गा सकते हैं। Murari Stuti का गायन करने से भक्तों के हृदय में deep devotion और love for Lord Krishna उत्पन्न होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तुति का नियमित recitation करने से व्यक्ति को mental peace मिलती है और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह स्तुति positive energy को बढ़ाती है और व्यक्ति को spiritual path पर प्रेरित करती है। जो भक्त regularly इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन से अनेक प्रकार के sufferings दूर हो जाते हैं और वे divine grace प्राप्त करते हैं।Stuti
Chatushloki Stotra (चतुःश्लोकी)
चतु:श्लोकी स्तोत्र (Chatushloki Stotra): यह चार श्लोक (श्लोक) भगवद पुराण के सम्पूर्ण सार को प्रस्तुत करते हैं। इन चार श्लोकों का प्रतिदिन श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ और श्रवण करने से व्यक्ति के अज्ञान और अहंकार का नाश होता है, और उसे आत्म-ज्ञान की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति इन श्लोकों का पाठ करता है, वह अपने पापों से मुक्त हो जाता है और अपने जीवन में सत्य मार्ग का अनुसरण करता है। यह स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह जीवन के वास्तविक उद्देश्य और उद्देश्य को जानने का भी मार्ग प्रशस्त करता है।Stotra
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 3 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - तृतीयोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के तृतीयोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को निष्काम कर्मयोग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Gita Govindam Panchamah sargah - Sakanksh Pundarikakshah (गीतगोविन्दं पञ्चमः सर्गः - साकाङ्क्ष पुण्डरीकाक्षः)
गीतगोविन्दं के पंचम सर्ग में साकाङ्क्ष पुण्डरीकाक्षः का वर्णन किया गया है। यह खंड कृष्ण की राधा के प्रति इच्छा और उनकी प्रेम की गहराई को दर्शाता है।Gita-Govindam
Shri Krishnan Chalisa (श्री कृष्णन चालीसा)
कृष्ण चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान कृष्ण पर आधारित है। कृष्ण चालीसा एक लोकप्रिय प्रार्थना है जो 40 छन्दों से बनी है। कई लोग जन्माष्टमी सहित भगवान कृष्ण को समर्पित अन्य त्योहारों पर कृष्ण चालीसा का पाठ करते हैं। इस चालीसा के पाठ से भक्तों को spiritual peace और blessings मिलती हैं। Krishna mantra for positivity का जाप जीवन में love और prosperity लाने का एक प्रभावी उपाय है।Chalisa
Bhagavad Gita second chapter (भगवद गीता दूसरा अध्याय)
भगवद गीता के दूसरे अध्याय का नाम "सांख्य योग" या "ज्ञान का योग" है। यह अध्याय गीता का सबसे महत्वपूर्ण अध्याय माना जाता है, क्योंकि इसमें भगवान कृष्ण अर्जुन को जीवन, कर्तव्य और आत्मा के गूढ़ रहस्यों का ज्ञान देते हैं। श्रीकृष्ण अर्जुन को आत्मा की अमरता, कर्मयोग का महत्व और समभाव बनाए रखने की शिक्षा देते हैं। यह अध्याय जीवन में सही दृष्टिकोण अपनाने और अपने धर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करता है।Bhagwat-Gita
Bhagavad Gita 17 Chapter (भगवत गीता सातवाँ अध्याय)
भगवद्गीता का 17वां अध्याय "श्रद्धात्रयविभाग योग" (The Yoga of Threefold Faith) है, जो श्रद्धा (Faith) के तीन प्रकारों – सात्त्विक (Pure), राजसिक (Passionate), और तामसिक (Ignorant) – का वर्णन करता है। श्रीकृष्ण (Lord Krishna) अर्जुन (Arjuna) को बताते हैं कि व्यक्ति की श्रद्धा उसके स्वभाव (Nature) और गुणों (Qualities) पर आधारित होती है। इस अध्याय में भोजन (Food), यज्ञ (Sacrifice), तप (Austerity), और दान (Charity) को सात्त्विक, राजसिक, और तामसिक श्रेणियों में विभाजित कर उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है। श्रीकृष्ण बताते हैं कि केवल सात्त्विक कर्म (Pure Actions) और श्रद्धा से ही आध्यात्मिक प्रगति (Spiritual Progress) और मोक्ष (Liberation) प्राप्त किया जा सकता है। यह अध्याय व्यक्ति को सद्गुणों (Virtues) और धर्म (Righteousness) के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।Bhagwat-Gita
Govindashtakam (गोविन्दाष्टकम्)
आदि शंकराचार्य ने भगवान गोविंद की स्तुति में यह आठ श्लोकों वाला "अष्टकम" रचा। गोविंद का अर्थ है - गायों के रक्षक, पृथ्वी के रक्षक। एक अन्य अर्थ भी है, "गोविदां पतिः / Govidaam pathih" - अर्थात अच्छे वचन बोलने वालो के स्वामी। गोविंद वही हैं जो हमें वाणी (वाणी/vaani) प्रदान करते हैं। ये गोविंद के कई अर्थों में से कुछ प्रमुख हैं।Stotra