Navaratri Navami (नवमी) Date :- 11.10.2024

Navaratri Navami (नवमी) Date :- 11.10.2024 Time :- 12:06 PM on Oct 11,2024 to 10:58 AM on Oct 12, 2024 महानवमी दुर्गा पूजा का तीसरा और अंतिम दिन है। महानवमी पर दुर्गा पूजा महास्नान और षोडशोपचार पूजा से शुरू होती है। महानवमी पर देवी दुर्गा की पूजा महिषासुरमर्दिनी के रूप में की जाती है जिसका अर्थ है भैंसा राक्षस का नाश करने वाली। ऐसा माना जाता है कि महानवमी के दिन दुर्गा ने राक्षस महिषासुर का वध किया था। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि पिछले दिन नवमी तिथि के आरंभ समय के आधार पर महानवमी पूजा और उपवास अष्टमी तिथि पर किए जा सकते हैं। सटीक नियम यह है कि यदि अष्टमी तिथि पर संयाकाल से पहले अष्टमी और नवमी का मिलन हो जाता है तो अष्टमी पूजा और संधि पूजा सहित नवमी पूजा एक ही दिन की जाती है। हालाँकि दुर्गा बलिदान हमेशा उदय व्यापिनी नवमी तिथि पर किया जाता है। निर्णयसिंधु के अनुसार नवमी पर बलिदान करने का सबसे उपयुक्त समय अपराह्न काल है।नवमी कब और कैसे मनाई जाती है? नवरात्रि नवमी या महानवमी नवरात्रि के नौवें दिन मनाई जाती है, जो अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को होती है। यह त्योहार मुख्यतः भारत में मनाया जाता है। इस दिन लोग माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। नवमी का पौराणिक महत्व क्या है? नवमी का पौराणिक महत्व देवी दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप से जुड़ा है। कथा के अनुसार, देवी सिद्धिदात्री ने भगवान शिव को सभी सिद्धियाँ प्रदान कीं और उन्हें अर्धनारीश्वर रूप दिया। इस दिन उनकी पूजा करने से सभी प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं। नवमी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? नवमी का धार्मिक महत्व माँ दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा और उनके आशीर्वाद से जुड़ा है। इस दौरान लोग व्रत रखते हैं और देवी सिद्धिदात्री की विशेष पूजा करते हैं। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, नवमी एक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह उत्सव देवी सिद्धिदात्री के प्रति श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। नवमी की तैयारी कैसे होती है? नवमी की तैयारी में लोग विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। घरों और मंदिरों को सजाया जाता है और देवी सिद्धिदात्री की मूर्तियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग इस दौरान विशेष पकवान बनाते हैं और उन्हें देवी सिद्धिदात्री को अर्पित करते हैं। नवमी का उत्सव कैसे मनाया जाता है? नवमी के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं। दिन भर वे देवी सिद्धिदात्री की पूजा करते हैं और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और देवी सिद्धिदात्री के रूप का स्मरण किया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में नवमी कैसे मनाई जाती है? भारत के विभिन्न हिस्सों में नवमी को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में भी इसे उतने ही उत्साह से मनाया जाता है। नवमी का समग्र महत्व क्या है? नवमी केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, नवमी का उत्सव न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीयों द्वारा बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमें अपने जीवन में खुशियों, समृद्धि और शांति की ओर अग्रसर करता है और समाज में एकजुटता और प्रेम का संदेश फैलाता है।

Recommendations

Ramayana Jai ​​Mantra (रामायण जय मन्त्रम्)

रामायण जय मन्त्र भगवान राम और रामायण महाकाव्य की दिव्य ऊर्जा के आशीर्वाद को बुलाने वाला एक पवित्र मंत्र है। इस मंत्र का जाप करने से विजय, शांति और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
Mantra

Govinda Damodara Stotram (गोविंद दामोदर स्तोत्रम्)

गोविंद दामोदर स्तोत्रम् भगवान श्रीकृष्ण की महिमा का वर्णन करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को गोविंद, दामोदर और माधव के नामों की महिमा का अनुभव करने में मदद करता है।
Stotra

Narayaniyam Dashaka 10 (नारायणीयं दशक 10)

नारायणीयं दशक 10 में भगवान नारायण की कृपा और आशीर्वाद की अपेक्षा है। यह दशक भक्तों को भगवान के दिव्य समर्थन और संजीवनी शक्ति की विशेषता को समझाता है।
Narayaniyam-Dashaka

Narayaniyam Dashaka 5 (नारायणीयं दशक 5)

नारायणीयं दशक 5 में भगवान नारायण के लीलाओं की विस्तृत व्याख्या की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के मार्गदर्शन और उनके विचारों को समझाता है।
Narayaniyam-Dashaka

Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam (शारदा भुजंग प्रयात अष्टकम्)

Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam एक sacred hymn है, जो Goddess Saraswati Stotra के रूप में विद्या, बुद्धि और ज्ञान प्राप्ति के लिए गाया जाता है। इस स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से Vasant Panchami, Saraswati Puja और academic success rituals के दौरान किया जाता है। यह मंत्र विद्यार्थियों, विद्वानों और कलाकारों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि इसके जाप से memory power, creativity, artistic skills और spiritual enlightenment प्राप्त होती है। माँ सरस्वती की कृपा से speech clarity, wisdom और intellectual growth बढ़ती है, जिससे पढ़ाई और कला में सफलता प्राप्त होती है। इस मंत्र की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली है। प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और Saraswati Idol or Yantra के समक्ष दीप प्रज्वलित करें। सफेद पुष्प, चंदन और अक्षत अर्पित करें और शांत मन से Sharada Bhujanga Prayata Ashtakam का जाप करें। Prasad Offering के रूप में खीर या मिश्री चढ़ाएं और भक्ति भाव से माँ सरस्वती से wisdom, knowledge, academic excellence और divine blessings की प्रार्थना करें। इस स्तोत्र का नित्य पाठ करने से success in studies, speech improvement और spiritual knowledge प्राप्त होता है।
Ashtakam

Narayaniyam Dashaka 3 (नारायणीयं दशक 3)

नारायणीयं दशक 3 में भगवान नारायण के महिमा का गान किया गया है। यह दशक भक्तों को भगवान के शक्ति और कृपा के लिए प्रार्थना करता है।
Narayaniyam-Dashaka

Durga Suktam (दुर्गा सूक्तम्)

दुर्गा सूक्तम्(Durga Suktam) ओम् । जातवेदसे सुनवाम सोम मरातीयतो निदहाति वेदः । स नः पर्-षदति दुर्गाणि विश्वा नावेव सिन्धुं दुरितात्यग्निः ॥ तामग्निवर्णां तपसा ज्वलन्तीं वैरोचनीं कर्मफलेषु जुष्टाम् । दुर्गां देवीं शरणमहं प्रपद्ये सुतरसि तरसे नमः ॥ अग्ने त्वं पारया नव्यो अस्मान्थ् स्वस्तिभिरति दुर्गाणि विश्वा । पूश्च पृथ्वी बहुला न उर्वी भवातोकाय तनयाय शंयः ॥ विश्वानि नो दुर्गहा जातवेदः सिन्धुन्न नावा दुरितातिपर्षि । अग्ने अत्रिवन्मनसा गृणानोऽस्माकं बोध्यविता तनूनाम् ॥ पृतना जितंग सहमानमुग्रमग्निंग हुवेम परमाथ्सधस्थात् । स नः पर्-षदति दुर्गाणि विश्वा क्षामद्देवो अति दुरितात्यग्निः ॥ प्रत्नोषि कमीड्यो अध्वरेषु सनाच्च होता नव्यश्च सत्सि । स्वांचाऽग्ने तनुवं पिप्रयस्वास्मभ्यं च सौभगमायजस्व ॥ गोभिर्जुष्टमयुजो निषिक्तं तवेन्द्र विष्णोरनुसंचरेम । नाकस्य पृष्ठमभि संवंसानो वैष्णवीं लोक इह मादयंताम् ॥ ॐ कात्यायनाय विद्महे कन्यकुमारि धीमहि । तन्नो दुर्गिः प्रचोदयात् ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥
Sukt

Shri Vishnu Ashtottara Satanam Stotram (श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम्)

श्री विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम भगवान विष्णु के 108 पावन नामों का महत्त्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भक्तों को सुख, समृद्धि, शांति और पापों से मुक्ति प्रदान करता है। इस स्तोत्र में भगवान के पालनकर्ता, नारायण, जनार्दन, मधुसूदन, केशव जैसे दिव्य नामों का स्मरण किया गया है। इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को संकटों का नाश, धन-वैभव की प्राप्ति, और मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मिलता है। इस स्तोत्र का पाठ व्रत, पूजा, एकादशी और विशेष अवसरों पर करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। भगवान विष्णु के 108 नामों का जप व्यक्ति को सफलता, धार्मिक ज्ञान और आध्यात्मिक शक्ति प्रदान करता है।
Stotra