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Narayaniyam Dashaka 20 (नारायणीयं दशक 20)
नारायणीयं दशक 20 (Narayaniyam Dashaka 20)
प्रियव्रतस्य प्रियपुत्रभूता-
दाग्नीध्रराजादुदितो हि नाभिः ।
त्वां दृष्टवानिष्टदमिष्टिमध्ये
तवैव तुष्ट्यै कृतयज्ञकर्मा ॥1॥
अभिष्टुतस्तत्र मुनीश्वरैस्त्वं
राज्ञः स्वतुल्यं सुतमर्थ्यमानः ।
स्वयं जनिष्येऽहमिति ब्रुवाण-
स्तिरोदधा बर्हिषि विश्वमूर्ते ॥2॥
नाभिप्रियायामथ मेरुदेव्यां
त्वमंशतोऽभूः ॠषभाभिधानः ।
अलोकसामान्यगुणप्रभाव-
प्रभाविताशेषजनप्रमोदः ॥3॥
त्वयि त्रिलोकीभृति राज्यभारं
निधाय नाभिः सह मेरुदेव्या ।
तपोवनं प्राप्य भवन्निषेवी
गतः किलानंदपदं पदं ते ॥4॥
इंद्रस्त्वदुत्कर्षकृतादमर्षा-
द्ववर्ष नास्मिन्नजनाभवर्षे ।
यदा तदा त्वं निजयोगशक्त्या
स्ववर्षमेनद्व्यदधाः सुवर्षम् ॥5॥
जितेंद्रदत्तां कमनीं जयंती-
मथोद्वहन्नात्मरताशयोऽपि ।
अजीजनस्तत्र शतं तनूजा-
नेषां क्षितीशो भरतोऽग्रजन्मा ॥6॥
नवाभवन् योगिवरा नवान्ये
त्वपालयन् भारतवर्षखंडान् ।
सैका त्वशीतिस्तव शेषपुत्र-
स्तपोबलात् भूसुरभूयमीयुः ॥7॥
उक्त्वा सुतेभ्योऽथ मुनींद्रमध्ये
विरक्तिभक्त्यन्वितमुक्तिमार्गम् ।
स्वयं गतः पारमहंस्यवृत्ति-
मधा जडोन्मत्तपिशाचचर्याम् ॥8॥
परात्मभूतोऽपि परोपदेशं
कुर्वन् भवान् सर्वनिरस्यमानः ।
विकारहीनो विचचार कृत्स्नां
महीमहीनात्मरसाभिलीनः ॥9॥
शयुव्रतं गोमृगकाकचर्यां
चिरं चरन्नाप्य परं स्वरूपम् ।
दवाहृतांगः कुटकाचले त्वं
तापान् ममापाकुरु वातनाथ ॥10॥
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Sri Vishnu Shata Nama Stotram (Vishnu Purana) (श्री विष्णु शत नाम स्तोत्रम् (विष्णु पुराण))
Sri Vishnu Shata Naam Stotram भगवान Vishnu के 100 पवित्र नामों का संगीतमय संग्रह है, जो "Preserver of Creation" और "Supreme God" के रूप में पूजित हैं। इस स्तोत्र का पाठ भक्तों को भगवान विष्णु की कृपा, शांति और सुरक्षा प्राप्त करने में सहायक होता है। हर नाम भगवान विष्णु की "Divine Qualities" और "Cosmic Power" का वर्णन करता है। यह स्तोत्र "100 Sacred Names of Vishnu" और "Positive Energy Chant" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके नियमित जाप से भक्त को मानसिक शांति, आत्मिक बल और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है। इसे "Hymn for Lord Vishnu" और "Vishnu Devotional Prayer" के रूप में पढ़ने से जीवन में सफलता और शुभता आती है।Stotra
Shri Badrinathji Arti (भगवान् श्री बदरीनाथ जी की आरती)
भगवान श्री बद्रीनाथ जी की आरती हिंदू धर्म में भगवान विष्णु के बद्रीनारायण स्वरूप की वंदना है। बद्रीनाथ धाम, जो चारधाम यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, को मोक्ष और दिव्यता का स्थान माना जाता है। इस आरती में भगवान विष्णु की कृपा, शांति, संपत्ति, और मोक्ष का गुणगान किया गया है। Badrinath Ji Aarti गाने से भक्तों को धार्मिक शुद्धि, आत्मिक शांति, और जीवन में स्थिरता की प्राप्ति होती है।Arti