No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Durga Saptashati Chapter 9 (दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं
दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः (Durga Saptashati Chapter 9)
निशुंभवधोनाम नवमोध्यायः ॥
ध्यानं
ॐ बंधूक कांचननिभं रुचिराक्षमालां
पाशांकुशौ च वरदां निजबाहुदंडैः ।
बिभ्राणमिंदु शकलाभरणां त्रिनेत्रां-
अर्धांबिकेशमनिशं वपुराश्रयामि ॥
राजौवाच॥1॥
विचित्रमिदमाख्यातं भगवन् भवता मम ।
देव्याश्चरितमाहात्म्यं रक्त बीजवधाश्रितम् ॥ 2॥
भूयश्चेच्छाम्यहं श्रोतुं रक्तबीजे निपातिते ।
चकार शुंभो यत्कर्म निशुंभश्चातिकोपनः ॥3॥
ऋषिरुवाच ॥4॥
चकार कोपमतुलं रक्तबीजे निपातिते।
शुंभासुरो निशुंभश्च हतेष्वन्येषु चाहवे ॥5॥
हन्यमानं महासैन्यं विलोक्यामर्षमुद्वहन्।
अभ्यदावन्निशुंबोऽथ मुख्ययासुर सेनया ॥6॥
तस्याग्रतस्तथा पृष्ठे पार्श्वयोश्च महासुराः
संदष्टौष्ठपुटाः क्रुद्धा हंतुं देवीमुपाययुः ॥7॥
आजगाम महावीर्यः शुंभोऽपि स्वबलैर्वृतः।
निहंतुं चंडिकां कोपात्कृत्वा युद्दं तु मातृभिः ॥8॥
ततो युद्धमतीवासीद्देव्या शुंभनिशुंभयोः।
शरवर्षमतीवोग्रं मेघयोरिव वर्षतोः ॥9॥
चिच्छेदास्तांछरांस्ताभ्यां चंडिका स्वशरोत्करैः।
ताडयामास चांगेषु शस्त्रौघैरसुरेश्वरौ ॥10॥
निशुंभो निशितं खड्गं चर्म चादाय सुप्रभम्।
अताडयन्मूर्ध्नि सिंहं देव्या वाहनमुत्तमम्॥11॥
ताडिते वाहने देवी क्षुर प्रेणासिमुत्तमम्।
शुंभस्याशु चिच्छेद चर्म चाप्यष्ट चंद्रकम् ॥12॥
छिन्ने चर्मणि खड्गे च शक्तिं चिक्षेप सोऽसुरः।
तामप्यस्य द्विधा चक्रे चक्रेणाभिमुखागताम्॥13॥
कोपाध्मातो निशुंभोऽथ शूलं जग्राह दानवः।
आयातं मुष्ठिपातेन देवी तच्चाप्यचूर्णयत्॥14॥
आविद्ध्याथ गदां सोऽपि चिक्षेप चंडिकां प्रति।
सापि देव्यास् त्रिशूलेन भिन्ना भस्मत्वमागता॥15॥
ततः परशुहस्तं तमायांतं दैत्यपुंगवं।
आहत्य देवी बाणौघैरपातयत भूतले॥16॥
तस्मिन्नि पतिते भूमौ निशुंभे भीमविक्रमे।
भ्रातर्यतीव संक्रुद्धः प्रययौ हंतुमंबिकाम्॥17॥
स रथस्थस्तथात्युच्छै र्गृहीतपरमायुधैः।
भुजैरष्टाभिरतुलै र्व्याप्या शेषं बभौ नभः॥18॥
तमायांतं समालोक्य देवी शंखमवादयत्।
ज्याशब्दं चापि धनुष श्चकारातीव दुःसहम्॥19॥
पूरयामास ककुभो निजघंटा स्वनेन च।
समस्तदैत्यसैन्यानां तेजोवधविधायिना॥20॥
ततः सिंहो महानादै स्त्याजितेभमहामदैः।
पुरयामास गगनं गां तथैव दिशो दश॥21॥
ततः काली समुत्पत्य गगनं क्ष्मामताडयत्।
कराभ्यां तन्निनादेन प्राक्स्वनास्ते तिरोहिताः॥22॥
अट्टाट्टहासमशिवं शिवदूती चकार ह।
वैः शब्दैरसुरास्त्रेसुः शुंभः कोपं परं ययौ॥23॥
दुरात्मं स्तिष्ट तिष्ठेति व्याज हारांबिका यदा।
तदा जयेत्यभिहितं देवैराकाश संस्थितैः॥24॥
शुंभेनागत्य या शक्तिर्मुक्ता ज्वालातिभीषणा।
आयांती वह्निकूटाभा सा निरस्ता महोल्कया॥25॥
सिंहनादेन शुंभस्य व्याप्तं लोकत्रयांतरम्।
निर्घातनिःस्वनो घोरो जितवानवनीपते॥26॥
शुंभमुक्तांछरांदेवी शुंभस्तत्प्रहितांछरान्।
चिच्छेद स्वशरैरुग्रैः शतशोऽथ सहस्रशः॥27॥
ततः सा चंडिका क्रुद्धा शूलेनाभिजघान तम्।
स तदाभि हतो भूमौ मूर्छितो निपपात ह॥28॥
ततो निशुंभः संप्राप्य चेतनामात्तकार्मुकः।
आजघान शरैर्देवीं कालीं केसरिणं तथा॥29॥
पुनश्च कृत्वा बाहुनामयुतं दनुजेश्वरः।
चक्रायुधेन दितिजश्चादयामास चंडिकाम्॥30॥
ततो भगवती क्रुद्धा दुर्गादुर्गार्ति नाशिनी।
चिच्छेद देवी चक्राणि स्वशरैः सायकांश्च तान्॥31॥
ततो निशुंभो वेगेन गदामादाय चंडिकाम्।
अभ्यधावत वै हंतुं दैत्य सेनासमावृतः॥32॥
तस्यापतत एवाशु गदां चिच्छेद चंडिका।
खड्गेन शितधारेण स च शूलं समाददे॥33॥
शूलहस्तं समायांतं निशुंभममरार्दनम्।
हृदि विव्याध शूलेन वेगाविद्धेन चंडिका॥34॥
खिन्नस्य तस्य शूलेन हृदयान्निःसृतोऽपरः।
महाबलो महावीर्यस्तिष्ठेति पुरुषो वदन्॥35॥
तस्य निष्क्रामतो देवी प्रहस्य स्वनवत्ततः।
शिरश्चिच्छेद खड्गेन ततोऽसावपतद्भुवि॥36॥
ततः सिंहश्च खादोग्र दंष्ट्राक्षुण्णशिरोधरान्।
असुरां स्तांस्तथा काली शिवदूती तथापरान्॥37॥
कौमारी शक्तिनिर्भिन्नाः केचिन्नेशुर्महासुराः
ब्रह्माणी मंत्रपूतेन तोयेनान्ये निराकृताः॥38॥
माहेश्वरी त्रिशूलेन भिन्नाः पेतुस्तथापरे।
वाराहीतुंडघातेन केचिच्चूर्णी कृता भुवि॥39॥
खंडं खंडं च चक्रेण वैष्णव्या दानवाः कृताः।
वज्रेण चैंद्री हस्ताग्र विमुक्तेन तथापरे॥40॥
केचिद्विनेशुरसुराः केचिन्नष्टामहाहवात्।
भक्षिताश्चापरे कालीशिवधूती मृगाधिपैः॥41॥
॥ स्वस्ति श्री मार्कंडेय पुराणे सावर्निके मन्वंतरे देवि महत्म्ये निशुंभवधोनाम नवमोध्याय समाप्तम् ॥
आहुति
ॐ क्लीं जयंती सांगायै सशक्तिकायै सपरिवारायै सवाहनायै महाहुतिं समर्पयामि नमः स्वाहा ॥
Related to Durga
Durga Saptashati Chapter 6 (दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं
दुर्गा सप्तशति षष्ठोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला छठा अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Shri Kamakhya Devi Kavacham (श्री कामाख्या देवी कवचम्)
shri Kamakhya kavachaShri Kamakhya Kavacha (श्री कामाख्या कवच) आज हर व्यक्ति उन्नति, यश, वैभव, कीर्ति और धन-संपदा प्राप्त करना चाहता है, वह भी बिना किसी बाधा के। Maa Kamakhya Devi का कवच पाठ करने से सभी Obstacles समाप्त हो जाते हैं, और साधक को Success तथा Prosperity प्राप्त होती है। यदि आप अपने जीवन में मनोकामना पूर्ति चाहते हैं, तो इस कवच का नियमित पाठ करें। यह Maa Kamakhya की Divine Protection प्रदान करता है और जीवन से Negative Energies तथा दुर्भाग्य को दूर करता है।Kavacha
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 4 Chapter (चौथी अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय " देवी स्तुति " पर आधारित है ।Durga-Saptashati
Maa Durga Kavacha Path (माँ दुर्गा कवच पाठ)
माँ दुर्गा कवच पाठ का यह शक्तिशाली मंत्र हमारे आसपास की नकारात्मक ऊर्जा का क्षय कर एक सकारात्मक ऊर्जा की कवच के रूप में कार्य करता है। जिससे हमारे आसपास सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मंत्रो में नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित कर देने की असीम क्षमता होती है। ऐसा अनुभव किया गया है कि जो व्यक्ति पूरी आस्था, श्रद्धा एवं भक्ति से, शुद्ध उच्चारण में, नियमित रूप से देवी कवच का पाठ करता है, वह सभी प्रकार की बुराइयों पर विजय प्राप्त कर लेता है। नवरात्रि के समय देवी कवच का पाठ करना अत्यंत ही शुभ तथा फलदायी माना गया है।Kavacha
Shri Durga Chalisa (श्री दुर्गा चालीसा)
दुर्गा चालीसा एक भक्ति गीत है जो माँ दुर्गा पर आधारित है। दुर्गा माता को शक्ति, महिषासुरमर्दिनी, और सर्वमंगल के रूप में जाना जाता है। Durga mantra for strength जैसे "ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे" का जाप दुर्गा चालीसा पाठ के साथ करना भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करता है। Durga Chalisa benefits में मानसिक शांति, सुरक्षा और इच्छाओं की पूर्ति शामिल हैं।Chalisa
Shri Durga Sahasranama Stotram (श्री दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्)
दुर्गा सहस्रनाम देवी दुर्गा (Goddess Durga) के एक हजार नामों (1000 names) का संग्रह है। दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्र (Durga Sahasranama Stotra) वास्तव में एक ऐसा स्तोत्र (hymn) है, जिसमें देवी की महिमा का गुणगान (eulogizing) किया जाता है और उनके हजार नामों का पाठ (recitation) किया जाता है। नवरात्रि (Navaratri) के पावन अवसर पर, दुर्गा सहस्रनाम का श्रद्धा (devotion) और समर्पण (dedication) के साथ जप करने से देवी की कृपा (blessings) और वरदान (boons) प्राप्त होते हैं। दुर्गा सहस्रनाम में नामों को ऐसे क्रम में लिखा गया है कि कोई नाम दोहराया नहीं गया है। संस्कृत में "दुर्गा" का अर्थ है "जो समझ से परे (incomprehensible) या पहुंचने में कठिन (difficult to reach)" है। देवी दुर्गा शक्ति (Shakti) का ऐसा रूप हैं, जिनकी पूजा उनकी सौम्य (gracious) और उग्र (terrifying) दोनों रूपों में की जाती है। वह ब्रह्मांड (Universe) की माता हैं और अनंत शक्ति (infinite power) का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा का प्रकट होना उनके निराकार स्वरूप (formless essence) से होता है, और ये दोनों स्वरूप अभिन्न (inseparable) हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त देवी दुर्गा (Durga Sahasranama) की प्रार्थना (pray) करते हैं, वे शुरू में बाधाओं (obstacles) का सामना करते हैं, लेकिन समय के साथ, ये बाधाएं सूर्य की गर्मी से पिघलती हुई बर्फ की तरह समाप्त हो जाती हैं। मां दुर्गा सहस्रनाम की कृपा (grace) का वर्णन शब्दों से परे है।Sahasranama-Stotram
Durga Saptashati(दुर्गा सप्तशती) 6 Chapter (छठा अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय " धूम्रलोचन के वध " पर आधारित है ।Durga-Saptashati
Shri Mahishasura Mardini Stotram (Aigiri Nandini) (श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि))
Shri Mahishasura Mardini Stotram देवी Durga की divine power और supreme strength का गुणगान करने वाला एक sacred hymn है। यह holy chant उनके द्वारा Mahishasura नामक demon के विनाश और cosmic balance स्थापित करने का वर्णन करता है। इस stotra के पाठ से negative energy समाप्त होती है और spiritual protection मिलती है। भक्तों को courage, prosperity, और divine blessings प्राप्त होते हैं। यह powerful mantra bhakti, karma, और moksha की प्राप्ति में सहायक होता है। Shri Mahishasura Mardini Stotram का जाप जीवन में positivity और inner strength लाने में मदद करता है।Stotra