No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Bhagavad Gita Chapter 8: Akshara Brahma Yoga in Hindi-English | भगवद गीता अध्याय 8: अक्षर ब्रह्म योग
Bhagavad Gita Nineth Chapter (भगवद गीता नौवाँ अध्याय)
भगवद गीता नौवां अध्याय "राज विद्या राज गुह्य योग" कहलाता है। इसमें श्रीकृष्ण भक्ति के महत्व को बताते हैं और इसे सबसे गोपनीय ज्ञान कहते हैं। वे यह भी समझाते हैं कि जो व्यक्ति ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखता है, वह उनके विशेष कृपा का पात्र बनता है। यह अध्याय "भक्ति योग", "ईश्वर की कृपा", और "गुप्त ज्ञान" को उजागर करता है।Page no.
/ 5
error
Page no. / 5
Related to Krishna
Shri Krishna Ashtakam Stotra (श्रीकृष्णाष्टकम्)
Shri krishna Ashtakam: श्रीरीकृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। पुराणों के अनुसार इनका जन्म द्वापर युग में माना गया है। भगवान कृष्ण को प्रसन्न करने के लिए लोग उनकी पूजा करते है उन्हे माखन खिलाते है। इन्हे श्रीकृष्ण अष्टकम् का पाठ करके भी प्रसन्न किया जा सकता है। रोज श्रीकृष्ण अष्टकम पढ़ने पर विशेष पुण्य लाभ मिलता है। भगवान के इस पाठ को करने वाले मनुष्य का जीवन में कभी कोई कार्य नहीं रुकता और उसे हमेशा विजय की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से यदि कोई व्यक्ति श्रीकृष्ण अष्टक का पाठ करता है तो भगवान उस पर अपनी कृपा दृष्टी बनाएं रखते है और वह हमेशा विजयी रहता है।Stotra
Shri Narayana Ashtakam stotra (श्रीनारायणाष्टकम्)
श्री नारायण अष्टकम् (Shri Narayan Ashtakam): हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, नियमित रूप से श्री नारायण अष्टकम् का जप करना भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली उपाय है। जो लोग भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।Stotra
Bhagavad Gita Fifteenth Chapter (भगवत गीता पन्द्रहवाँ अध्याय)
भगवद गीता पंद्रहवाँ अध्याय "पुरुषोत्तम योग" कहलाता है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण अश्वत्थ वृक्ष का उदाहरण देकर जीवन और ब्रह्मांड की वास्तविकता को समझाते हैं। वे कहते हैं कि पुरुषोत्तम (सर्वोच्च आत्मा) को पहचानने से ही मोक्ष संभव है। यह अध्याय "ब्रह्मांड का रहस्य", "आध्यात्मिक ज्ञान", और "मोक्ष का मार्ग" सिखाता है।Bhagwat-Gita
Uddhava Gita - Chapter 10 (उद्धवगीता - दशमोऽध्यायः)
उद्धवगीता के दशमोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की वार्ता में योग और समाधि के महत्व पर चर्चा होती है।Uddhava-Gita
Govinda Damodar Stotram (गोविन्द दामोदर स्तोत्रम्)
गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् (Govinda Damodar Stotram) गोविन्द दामोदर स्तोत्रम् (लघु) करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् । वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव । जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 1 विक्रेतुकामाखिलगोपकन्या मुरारिपादार्पितचित्तवृत्तिः । दध्यादिकं मोहवशादवोचत् गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 2 गृहे गृहे गोपवधूकदम्बाः सर्वे मिलित्वा समवाप्य योगम् । पुण्यानि नामानि पठन्ति नित्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 3 सुखं शयाना निलये निजेऽपि नामानि विष्णोः प्रवदन्ति मर्त्याः । ते निश्चितं तन्मयतां व्रजन्ति गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 4 जिह्वे सदैवं भज सुन्दराणि नामानि कृष्णस्य मनोहराणि । समस्त भक्तार्तिविनाशनानि गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 5 सुखावसाने इदमेव सारं दुःखावसाने इदमेव ज्ञेयम् । देहावसाने इदमेव जाप्यं गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 6 जिह्वे रसज्ञे मधुरप्रिये त्वं सत्यं हितं त्वां परमं वदामि । अवर्णयेथा मधुराक्षराणि गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 7 त्वामेव याचे मम देहि जिह्वे समागते दण्डधरे कृतान्ते । वक्तव्यमेवं मधुरं सुभक्त्या गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 8 श्रीकृष्ण राधावर गोकुलेश गोपाल गोवर्धननाथ विष्णो । जिह्वे पिबस्वामृतमेतदेव गोविन्द दामोदर माधवेति ॥ 9Stotra
Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram (श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनामस्तोत्रम्)
श्री कृष्ण अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्रम् (Shri Krishna Ashtottara Sata Nama Stotram) भगवान श्री कृष्ण (Lord Krishna) के 108 पवित्र नामों का वर्णन करता है, जो भक्तों (devotees) को सुख, शांति और समृद्धि (happiness, peace, and prosperity) प्रदान करता है। यह स्तोत्रम् असुर शक्तियों (evil forces) से बचाने और नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) को दूर करने में सहायक है। गोविंद, मुकुंद, माधव (Govinda, Mukunda, Madhava) जैसे पवित्र नामों का जप करने से आध्यात्मिक उन्नति (spiritual growth) और पापों से मुक्ति (freedom from sins) प्राप्त होती है। यह ईश्वरीय अनुग्रह (divine grace) पाने और जीवन में सफलता (success in life) के लिए अत्यंत फलदायी है। श्री हरि विष्णु (Shri Hari Vishnu) के नाम स्मरण से कलियुग के दोषों (Kali Yuga Dosha) से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।Stotra
Madhura Ashtakam (मधुरा अष्टकम्)
Madhura Ashtakam (मधुरा अष्टकम): श्री कृष्ण माधुराष्टकम् का धार्मिक ग्रंथों में बहुत अधिक महत्व है, और इसमें श्री कृष्ण की "माधुरता" का जो चित्रण किया गया है, वह अन्य सभी स्तुतियों से बिलकुल अलग है। इस छोटे से स्तोत्र में मुरली मनोहर का अद्भुत रूप सामने आता है, साथ ही उनके सर्वव्यापी और भौतिक रूप में उनके भक्तों के प्रति स्नेह का भी वर्णन किया जाता है। यह स्तोत्र श्री वल्लभाचार्य द्वारा 1478 ई. में रचित था, जो भगवान श्री कृष्ण की महान माधुरता का वर्णन करता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुंदरता, समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। माधुराष्टकम् संस्कृत में रचित है और इसे समझना आसान है। इस स्तोत्र में 'मधुरम्' शब्द का बार-बार उपयोग किया गया है, जो भगवान श्री कृष्ण के सुंदर रूप और उनकी माधुरता को व्यक्त करता है। श्री कृष्ण माधुराष्टकम् में कुल 8 श्लोक होते हैं, और हर श्लोक में 'मधुर' शब्द का प्रयोग 7 बार किया गया है। 'आष्ट' का अर्थ है आठ, और 'मधुराष्टकम्' का मतलब है "आठ श्लोकों वाला मधुर स्तोत्र"। इस स्तोत्र में भगवान श्री कृष्ण के रूप, उनके नृत्य, उनके लीला, उनके प्यारे रूप आदि की इतनी सुंदरता और माधुर्यता का वर्णन किया गया है कि भक्त केवल भगवान कृष्ण के रूप को ही नहीं, बल्कि उनके सम्पूर्ण अस्तित्व को भी आकर्षण के रूप में महसूस करते हैं। भगवान श्री कृष्ण के होठ, उनका रूप, उनकी प्यारी मुस्कान, उनकी आँखें, उनका त्रिभंगी रूप, सब कुछ 'मधुर' है। हिंदू मान्यता के अनुसार, श्री कृष्ण माधुराष्टकम् का नियमित पाठ करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और सौंदर्य प्राप्त होता है।Ashtakam
Gita Govindam Panchamah sargah - Sakanksh Pundarikakshah (गीतगोविन्दं पञ्चमः सर्गः - साकाङ्क्ष पुण्डरीकाक्षः)
गीतगोविन्दं के पंचम सर्ग में साकाङ्क्ष पुण्डरीकाक्षः का वर्णन किया गया है। यह खंड कृष्ण की राधा के प्रति इच्छा और उनकी प्रेम की गहराई को दर्शाता है।Gita-Govindam