No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Shri Maha Mrityunjay Kavach || श्री महा मृत्युञ्जय कवच : Hymn to lord Shiva with Meaning and Lyrics
Shri Maha Mrityunjay Kavach (श्री महा मृत्युञ्जय कवच)
महा मृत्युञ्जय कवच का पाठ करने से जपकर्ता की देह सुरक्षित होती है। जिस प्रकार सैनिक की रक्षा उसके द्वारा पहना गया कवच करता है उसी प्रकार साधक की रक्षा यह कवच करता है। इस कवच को लिखकर गले में धारण करने से शत्रु परास्त होता है। इसका प्रातः, दोपहर व सायं तीनों काल में जप करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं। इसके धारण मात्र से किसी शत्रु द्वारा कराए गए तांत्रिक अभिचारों का अंत हो जाता है। धन के इच्छुक को धन, संतान के इच्छुक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।श्री महा मृत्युञ्जय कवच(Shri Maha Mrityunjay Kavach)
श्रीदेव्युवाच। भगवन् सर्वधर्मज्ञ सृष्टिस्थितिलयात्मक ।
पृत्युंजयस्य देवस्य कवचं में प्रकाशय ॥ श्री ईश्वर उवाच ॥
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिदम्। मार्कण्डेयोऽपि
यद्धुत्वा चिरंजीवी व्यजायत॥ तथैव सर्वदिक््पाला
अमरावमवाप्लुयुः । कवचस्य ऋषिर्ब्रह्मा छन्दोऽनुष्टुबुदाहतन् ॥
मृत्युंजयः समुद्दिष्टो देवता पार्वतीपतिः । देहारोग्यदलायुष्ट्वे
विनियोगः प्रकीर्तितः। ओं तर्यम्बकं मे शिरः पातु ललाटं मे
यजामहे। सुगन्धिं पातु हृदयं जठरं पुष्टिवर्धनम् ॥
नाधिमुर्वारुकमिव पातु मां पार्वतीपतिः। वन्धनादूरुयुग्मं मे
पातु वामाङ्कशासनः ॥ मत्योजानुयुगं पातु दक्षयज्ञविनाशनः ।
जंघायुग्मं च मुक्षीय पातु मां चन्द्रशेखर: ॥ मामृताच्च पददवनदर
पातु सर्वेश्वरो हरः। प्रसौ मे श्रीशिवः पातु नीलकण्ठश्च
पार्वयोः ॥ ऊर्ध्वमेव सदा पातु सोमसूर्याग्निलोचनः। अधः
पातु सदा शम्भुः सर्वापद्विनिवारणः ॥ वारुण्यापर्धनारीशो
वायव्यां पातु शंकरः। कपदों पातु कौवेयमिशान्यां
ईश्वरोऽवत्॥ ईशान: सलिले पायदघोरः पातु कानने। अन्तरिक्ष
वामदेवः पायात्तत्पुरुषो भुवि ॥ श्रीकण्ठः शयने पातु भोजने
नीललोहितः। गमने त्र्यम्बकः पातु सर्वकार्येषु भुवतः। सर्वत्र
सर्वदेहं मे सदा मृत्युंजयो5वतु। इति ते कर्थितं दिव्यं कवचं
सर्वकामदम्॥ सर्वरक्षाकरं सर्व॑ग्रहपीड़ा-निवारणम्।
दुःस्वणनाशनं पुण्यमायुरारोग्यदायकम्॥ त्रिसंध्यं यः
पठेदेतन्मृत्युतस्य न विद्यते। लिखितं भूर्जपत्रे तु य इदं मे
व्यधारयेत् ॥ तं दृष्टैव पलायन्ते भूतप्रेतपिशाचकाः ।
डाकिन्यश्चैव योगिन्यः सिद्धगन्धर्वराक्षसः ।। बालग्रहादिदोषा
हि नश्यन्ति तस्य दर्शनात्। उपग्रहाश्चैव मारीभयं
चौराभिचारिणः ॥ इदं कवचमायुष्यं कथितं तव सुन्दरि । न
दातव्यं प्रयत्नेन न प्रकाश्यं कदाचन् ॥
Related to Shiv
Kashi Vishwanathashtakam (काशी विश्वनाथाष्टकम्)
Kashi Vishwanath Ashtakam भगवान शिव के काशी स्थित विश्वनाथ रूप की महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें "Lord of the Universe" और "Supreme Divine Protector" माना जाता है। यह स्तोत्र काशी, जो "Spiritual Capital" और "Sacred City of Lord Shiva" के रूप में प्रसिद्ध है, उसकी महिमा और शक्ति को प्रणाम करता है। Kashi Vishwanath Ashtakam का पाठ "Shiva Devotional Chant" और "Divine Blessings Hymn" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित जाप से व्यक्ति को "Spiritual Awakening" और "Inner Peace" प्राप्त होती है। यह स्तोत्र "Blessings of Lord Shiva" और "Cosmic Energy Prayer" के रूप में प्रभावी है। इसका जाप करने से जीवन में "Spiritual Protection" और "Positive Energy" का प्रवाह होता है। Kashi Vishwanath Ashtakam को "Divine Shiva Prayer" और "Blessings for Prosperity" के रूप में पढ़ने से सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं। काशी विश्वनाथ की कृपा से जीवन में शांति, समृद्धि और आत्मिक संतुलन आता है।Ashtakam
Bhagwan Shri Shivshankar Arti (भगवान् श्री शिवशंकर की आरती)
भगवान महादेव की आरती भगवान शिव की स्तुति में गाया जाने वाला एक भक्तिपूर्ण गीत है। इस आरती के माध्यम से भक्त Lord Shiva से आशीर्वाद, दुखों का नाश, और मोक्ष की कामना करते हैं।Arti
Rudrasukt (रुद्रसूक्त)
आदिपुरुष भगवान् सदाशिव को प्रसन्न करने के लिए रुद्रसूक्त के पाठ का विशेष महत्व है। भगवान शिव के पूजन में रुद्राभिषेक की परम्परा है, जिसमें रुद्रसूक्त का ही प्रमुखता से उच्चारण किया जाता है। रुद्राभिषेक के अन्तर्गत रुद्राष्टाध्यायी के पाठ में ग्यारह बार रुद्रसूक्त का उच्चारण करने पर ही पूर्ण रुद्राभिषेक माना जाता है। 'रुद्रसूक्त' आध्यात्मिक (spiritual), आधिदैविक (divine) एवं आधिभौतिक- त्रिविध तापों से मुक्त कराने तथा अमृतत्व (eternal bliss) की ओर अग्रसर करने का अन्यतम उपाय है।Sukt
Bhagwan Mahadev Arti (भगवान् महादेव की आरती)
हर हर हर महादेव भगवान शिव की प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। यह आरती Lord Shiva के प्रति भक्तों की भक्ति, संकटों से मुक्ति, और आशीर्वाद की अभिव्यक्ति है। Mahadev की यह आरती उनके शिव-तांडव और शक्ति का वर्णन करती है।Arti
Shri Shiva Mangalashtakam (श्री शिव मंगलाष्टकम्)
Shiva Mangalashtak एक Auspicious Stotra है जिसे Lord Shiva Worship के अंत में तब पढ़ा जाता है जब कोई भक्त कई Sacred Hymns का पाठ कर रहा होता है। Shiva Mangalashtak Chanting तब भी किया जाता है जब कई Devotional Songs गाए जा रहे हों या फिर कोई Auspicious Ceremony या Religious Rituals संपन्न हो रहे हों। Mangal Stotra में भक्त मूल रूप से Lord Shiva से Blessings for Prosperity and Well-being की कामना कर रहा होता है। Mangalam का अर्थ "Good Wishes" या "Prayers for a Positive Outcome" भी होता है।Ashtakam
Shiva Bhujanga Prayat Stotram (शिव भुजंग प्रयात स्तोत्रम्)
शिव भुजंग प्रयात स्तोत्रम भगवान शिव की अपार महिमा और उनकी अद्भुत शक्तियों का वर्णन करने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इसे संस्कृत भाषा में भुजंग प्रयात छंद में रचा गया है, जो अपने लय और माधुर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस स्तोत्र में भगवान शिव को "Destroyer of Evil", "Lord of Meditation", और "Supreme God" के रूप में संबोधित किया गया है। "Shiva Mantras", "Hindu Prayers", और "Shiva Stotras" जैसे विषयों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली है। यह स्तोत्र भगवान शिव के सौम्य और रौद्र रूपों की आराधना का माध्यम है, जो भक्तों को उनके संरक्षण और कृपा का अनुभव कराता है। शिव भुजंग प्रयात स्तोत्रम का पाठ करने से "spiritual awakening", "inner peace", और "divine blessings" प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान शिव के "Tandava", "Meditative State", और "Cosmic Power" का गुणगान करता है। "Mahadev Worship", "Shivratri Prayers", और "Shiva's Cosmic Dance" जैसे विषयों से प्रेरणा लेने वालों के लिए यह स्तोत्र जीवन में भक्ति और ऊर्जा का एक उत्कृष्ट स्रोत है।Stotra
Sharabheshashtakam (शरभेशाष्टकम्)
शरभेशाष्टकम् भगवान शरभेश्वर को समर्पित एक भजन है, जो उनकी अनंत महिमा और शक्तियों का वर्णन करता है।Ashtakam
Bhagwan Shri Shankar Arti (भगवान् श्री शंकर की आरती )
जयति जयति जग-निवास भगवान शंकर की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Shankar या Shiva, जिन्हें Lord of the Universe कहा जाता है, के प्रति असीम भक्ति और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है।Arti