Raksha Bandhan (रक्षाबंधन) Date :- 19.08.2024

Raksha Bandhan (रक्षाबंधन) 2024:- Date :- 19.08.2024 Time :- 01:25 PM to 09:08 PM on 19.08.2024 श्रावण शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि 19 अगस्त सोमवार को दिन में 1.25 बजे तक भद्रा व्याप्त है अत: भद्रा के अगले दिन दोपहर 1.25 बजे के बाद से रक्षाबंधन! शुभ समय बन रहा है. कहते हैं 'यह भलाई में नहीं करना चाहिए। इनमें से दो काम भाद्र, श्रावणी और फाल्गुनी माह में नहीं करना चाहिए। श्रावणी ने राजा को मार डाला 'फाल्गुनी ने गाँव को जला दिया।" रक्षा बंधन बहनें अपने भाइयों और पुजारियों और ब्राह्मणों की रक्षा के लिए यह पवित्र कार्य करती हैं, इसलिए भद्रा का निवास कहीं भी वर्जित है।" रक्षाबंधन का महत्व (Importance of Raksha Bandhan) हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति में राखी का त्योहार काफी महत्व रखता है. यह त्योहार भाई-बहनों में प्यार और स्नेह का प्रतीक है. इस दिन बहन-भाई पारंपरिक पोशाक पहनते हैं. बहनें राखी, रोली, चावल के दाने, मिठाई, दीया और रक्षा सूत्र की थाली तैयार करती हैं. बहनें भाई की आरती करके उनके माथे पर तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधती हैं. भाई बहन को प्यार से उपहार और पैसे देते हैं. राखी सुरक्षा, देखभाल और सम्मान को दिखाता है. यह एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदारियों का एहसास दिलाता है. रक्षाबंधन कब और कैसे मनाया जाता है? रक्षाबंधन श्रावण मास में मनाया जाता है। यह त्योहार भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का पर्व है। रक्षाबंधन में हम भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनके लंबी उम्र और खुशियों की कामना करती हैं, जबकि भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व क्या है? रक्षाबंधन का पौराणिक महत्व कई कथाओं से जुड़ा है। सबसे प्रमुख कथा भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की है। जब राजा बलि ने तीनों लोकों पर अधिकार कर लिया, तो भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर उनसे उनका राज्य वापस लिया। राजा बलि ने भगवान विष्णु से हमेशा अपने साथ रहने का वचन लिया, जिसे भगवान ने स्वीकार किया। देवी लक्ष्मी ने राजा बलि को राखी बांधकर उन्हें अपना भाई बनाया और भगवान विष्णु को वापस ले आईं। इस घटना की याद में रक्षाबंधन मनाया जाता है। रक्षाबंधन का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व भगवान विष्णु, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा से जुड़ा है। इस दिन लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और अपने परिवार के सदस्यों के साथ समय बिताते हैं। रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के अटूट प्रेम और सुरक्षा का प्रतीक है। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, रक्षाबंधन सामाजिक और पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का समय है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर त्योहार का आनंद लेते हैं। रक्षाबंधन का पर्व समाज में प्रेम, भाईचारे और सद्भावना का संदेश देता है। रक्षाबंधन की तैयारी कैसे होती है? रक्षाबंधन की तैयारी कई दिनों पहले से शुरू हो जाती है। बहनें अपने भाइयों के लिए सुंदर राखियाँ खरीदती हैं और मिठाइयाँ तैयार करती हैं। बाजारों में राखियों, मिठाइयों और उपहारों की दुकानों पर रौनक रहती है। लोग नए कपड़े पहनते हैं और त्योहार की खुशी में एक दूसरे को उपहार देते हैं। रक्षाबंधन का उत्सव कैसे मनाया जाता है? रक्षाबंधन के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं। बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं, तिलक लगाती हैं और उनकी लंबी उम्र और खुशियों की कामना करती हैं। भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं और उनकी रक्षा का वचन देते हैं। इस दिन लोग विशेष पकवान बनाते हैं और अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर उत्सव मनाते हैं। भारत के विभिन्न हिस्सों में रक्षाबंधन कैसे मनाया जाता है? भारत के विभिन्न हिस्सों में रक्षाबंधन को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि पश्चिम और दक्षिण भारत में भी इसे उतने ही उत्साह से मनाया जाता है। गुजरात में इस दिन पाटीदार समुदाय विशेष पूजा-अर्चना करता है। राजस्थान में महिलाएं अपने भाइयों के लिए विशेष राखियाँ बनाती हैं और परिवार में एकजुटता का माहौल बनता है। रक्षाबंधन का समग्र महत्व क्या है? रक्षाबंधन केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह त्योहार सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और लोगों के बीच प्रेम, भाईचारा और सौहार्द को बढ़ावा देता है। रक्षाबंधन का उत्सव हमें यह सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की हमेशा जीत होती है और हमें अपने जीवन में नैतिकता और सत्य को अपनाना चाहिए। इस प्रकार, रक्षाबंधन का त्योहार न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीयों द्वारा बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमें अपने जीवन में खुशियों, समृद्धि और शांति की ओर अग्रसर करता है और समाज में एकजुटता और प्रेम का संदेश फैलाता है।

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