Magha Purnima (माघ पूर्णिमा) Date:- 2025-02-12

माघ पूर्णिमा 12वाँ फरवरी 2025 Wednesday / बुधवार माघ पूर्णिमा समय माघ पूर्णिमा बुधवार, फरवरी 12, 2025 को पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय - 05:59 पी एम पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ - फरवरी 11, 2025 को 06:55 पी एम बजे पूर्णिमा तिथि समाप्त - फरवरी 12, 2025 को 07:22 पी एम बजेमाघ पूर्णिमा Magh Purnima, हिन्दू कैलेण्डर में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण दिन होता है। धर्म ग्रन्थों में Magh Month में किये जाने वाले पवित्र स्नान एवं तप की महिमा का वर्णन किया गया है। मान्यताओं के अनुसार, Magh Month का प्रत्येक दिन Charity एवं अन्य धार्मिक गतिविधियों हेतु विशेष महत्वपूर्ण होता है। Maghi Purnima, Magh Purnima के नाम से अधिक लोकप्रिय है तथा इसे Magh Month का अन्तिम एवं सर्वोत्तम दिन माना जाता है। Maghi Purnima के अवसर पर भक्तगण प्रयाग स्थित Ganga, Yamuna तथा Saraswati River के संगम स्थल त्रिवेणी पर, पवित्र स्नान, Donations, Go-Dan (गौदान), तथा Havan आदि धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। Magh Month में प्रतिदिन भक्तगण प्रातःकाल Ganga अथवा Yamuna नदी में स्नान करते हैं। यह नित्य स्नान Poush Purnima से आरम्भ होकर Magh Purnima पर समाप्त होता है। मान्यताओं के अनुसार, इस काल में किये गये Donations, आदि धार्मिक कर्म अति शीघ्र फलित होते हैं। अतः इस पावन काल में भक्तगण यथा शक्ति Charity एवं अन्य कर्म करते हैं। Magh Purnima के दिन Kalpavas का समापन भी होता है। Magh Month में अनेक भक्त एक माह तक प्रयाग स्थित Ganga Ghat पर निवास करते हैं, जिसे Kalpavas कहा जाता है। Magh Purnima के दिन सन्त रविदास जयन्ती (Sant Ravidas Jayanti) भी मनायी जाती है।

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गायत्र्यष्टोत्तरशत नामस्तोत्रम् (Gayatryashtotrashata Namastotram) तरुणादित्यसङ्काशा सहस्रनयनोज्ज्वला । विचित्रमाल्याभरणा तुहिनाचलवासिनी ॥ 1 ॥ वरदाभयहस्ताब्जा रेवातीरनिवासिनी । प्रणित्ययविशेषज्ञा यन्त्राकृतविराजित ॥ 2 ॥ भद्रपादप्रिया चैव गोविन्दपथगामिनी । देवर्षिगणसंस्तुत्या वनमालाविभूषिता ॥ 3 ॥ स्यन्दनोत्तमसंस्था च धीरजीमूतनिस्वना । मत्तमातङ्गगमना हिरण्यकमलासना ॥ 4 ॥ दीनजनोद्धारनिरता योगिनी योगधारिणी । नटनाट्यैकनिरता प्रणवाद्यक्षरात्मिका ॥ 5 ॥ चोरचारक्रियासक्ता दारिद्र्यच्छेदकारिणी । यादवेन्द्रकुलोद्भूता तुरीयपथगामिनी ॥ 6 ॥ गायत्री गोमती गङ्गा गौतमी गरुडासना । गेयगानप्रिया गौरी गोविन्दपदपूजिता ॥ 7 ॥ गन्धर्वनगरागारा गौरवर्णा गणेश्वरी । गदाश्रया गुणवती गह्वरी गणपूजिता ॥ 8 ॥ गुणत्रयसमायुक्ता गुणत्रयविवर्जिता । गुहावासा गुणाधारा गुह्या गन्धर्वरूपिणी ॥ 9 ॥ गार्ग्यप्रिया गुरुपदा गुहलिङ्गाङ्गधारिणी । सावित्री सूर्यतनया सुषुम्नानाडिभेदिनी ॥ 10 ॥ सुप्रकाशा सुखासीना सुमति-स्सुरपूजिता । सुषुप्त्यवस्था सुदती सुन्दरी सागराम्बरा ॥ 11 ॥ सुधांशुबिम्बवदना सुस्तनी सुविलोचना । सीता सत्त्वाश्रया सन्ध्या सुफला सुविधायिनी ॥ 12 ॥ सुभ्रू-स्सुवासा सुश्रोणी संसारार्णवतारिणी । सामगानप्रिया साध्वी सर्वाभरणभूषिता ॥ 13 ॥ वैष्णवी विमलाकारा महेन्द्री मन्त्ररूपिणी । महलक्ष्मी-र्महासिद्धि-र्महामाया महेश्वरी ॥ 14 ॥ मोहिनी मदनाकारा मधुसूदनचोदिता । मीनाक्षी मधुरावासा नगेन्द्रतनया उमा ॥ 15 ॥ त्रिविक्रमपदाक्रान्ता त्रिस्वरा त्रिविलोचना । सूर्यमण्डलमध्यस्था चन्द्रमण्डलसंस्थिता ॥ 16 ॥ वह्निमण्डलमध्यस्था वायुमण्डलसंस्थिता । व्योममण्डलमध्यस्था चक्रिणी चक्ररूपिणी ॥ 17 ॥ कालचक्रवितानस्था चन्द्रमण्डलदर्पणा । ज्योत्स्नातपासुलिप्ताङ्गी महामारुतवीजिता ॥ 18 ॥ सर्वमन्त्राश्रया धेनुः पापघ्नी परमेश्वरी । नमस्तेऽस्तु महालक्ष्मी-र्महासम्पत्तिदायिनि ॥ 19 ॥ नमस्ते करुणामूर्ते नमस्ते भक्तवत्सले । गायत्र्याः प्रजपेद्यस्तु नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ॥ 20 ॥ तस्य पुण्यफलं वक्तुं ब्रह्मणापि न शक्यते । इति श्रीगायत्र्यष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।
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