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श्री दुर्गा सप्तशती, भाग-4 | Shri Durga Saptshati, Part-4
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 4 Chapter (चौथी अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय " देवी स्तुति " पर आधारित है ।Page no.
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Shri Vidya Kavacham (श्री विद्या कवचम्)
Shri Vidya Kavach (श्री विद्या कवच) एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह कवच साधक को माता सती के दस महाविद्या स्वरूपों की कृपा प्रदान करता है। इस कवच में Shri Vidya Kali, Shri Vidya Tara, Shri Vidya Chinnamasta, Shri Vidya Shodashi, Shri Vidya Bhuvaneshwari, Shri Vidya Tripura Bhairavi, Shri Vidya Dhumavati, Shri Vidya Baglamukhi, Shri Vidya Matangi और Shri Vidya Kamla की सभी शक्तियाँ समाहित होती हैं। जब साधक Shri Vidya Kavach का पाठ करता है, तो दसों Mahavidyas मिलकर उसकी रक्षा करती हैं। जैसे कि Shri Vidya Dhumavati शत्रुओं का नाश करती हैं, Shri Vidya Baglamukhi बड़े Court Cases से मुक्ति दिलाती हैं, और Shri Vidya Bhuvaneshwari साधक को Physical एवं Financial Benefits प्रदान करती हैं। यदि कोई साधक Shri Vidya Kavach का नियमित पाठ करता है, तो उसे एक नहीं बल्कि दसों महाविद्याओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। Shri Vidya Kavach के पाठ से साधक को एक ओर Wealth, Profit, Fame, Victory, Prosperity और Power प्राप्त होती है, वहीं दूसरी ओर उसे Brahmagyan और Moksha की भी प्राप्ति होती है। यदि साधक को अपने जीवन में प्रतिदिन किसी न किसी Problem का सामना करना पड़ रहा है, उसे नए कार्यों में अनेक Obstacles मिल रहे हैं, जिससे वह Success से दूर हो रहा है, तो उसे अपने घर या Workplace में Shri Vidya Yantra की स्थापना कर Shri Vidya Kavach का पाठ करना चाहिए। इससे जीवन की सभी समस्याएँ दूर होती हैं, बाधाएँ समाप्त होती हैं और जीवन Happy तथा Prosperous बनता है। Shri Vidya Kavach अपने आप में अद्वितीय और श्रेष्ठ है तथा इसकी साधना से सर्वत्र Victory और Protection प्राप्त होती है।Kavacha
Devi Mahatayam Suktam (देवी माहात्म्यं देवी सूक्तम्)
देवी माहात्म्यं देवी सूक्तम् (Devi Mahatayam Suktam) ॐ अहं रुद्रेभिर्वसुभिश्चराम्यहमादित्यैरुत विश्वदेवैः । अहं मित्रावरुणोभा बिभर्म्यहमिन्द्राग्नी अहमश्विनोभा ॥1॥ अहं सोममाहनसं बिभर्म्यहं त्वष्टारमुत पूषणं भगम् । अहं दधामि द्रविणं हविष्मते सुप्राव्ये यजमानाय सुन्वते ॥2॥ अहं राष्ट्री संगमनी वसूनां चिकितुषी प्रथमा यज्ञियानाम् । तां मा देवा व्यदधुः पुरुत्रा भूरिस्थात्रां भूर्यावेशयंतीम् ॥3॥ मया सो अन्नमत्ति यो विपश्यति यः प्राणिति य ईं शृणोत्युक्तम् । अमन्तवोमांत उपक्षियंति श्रुधि श्रुतं श्रद्धिवं ते वदामि ॥4॥ अहमेव स्वयमिदं वंदामि जुष्टं देवेभिरुत मानुषेभिः । यं कामये तं तमुग्रं कृणोमि तं ब्रह्माणं तमृषिं तं सुमेधाम् ॥5॥ अहं रुद्राय धनुरातनोमि ब्रह्मद्विषे शरवे हंत वा उ । अहं जनाय समदं कृणोम्यहं द्यावापृथिवी आविवेश ॥6॥ अहं सुवे पितरमस्य मूर्धन् मम योनिरप्स्वंतः समुद्रे । ततो वितिष्ठे भुवनानु विश्वोतामूं द्यां वर्ष्मणोप स्पृशामि ॥7॥ अहमेव वात इव प्रवाम्यारभमाणा भुवनानि विश्वा । परो दिवापर एना पृथिव्यैतावती महिना संबभूव ॥8॥ ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ॥ ॥ इति ऋग्वेदोक्तं देवीसूक्तं समाप्तम् ॥ ॥तत् सत्॥Sukt
Durga Saptashati(दुर्गासप्तशती) 2 Chapter (दूसरा अध्याय)
दुर्गा सप्तशती जिसे देवी महात्म्य और चंडी पाठ के नाम से भी जाना जाता है, एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का वर्णन किया गया है। यह ऋषि मार्कंडेय द्वारा लिखित मार्कंडेय पुराण का हिस्सा है। दुर्गा सप्तशती का द्वितीय अध्याय "महिषासुर की सेनाओं का वध" पर आधारित है।Durga-Saptashati
Durga Saptashati Chapter 1 (दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः देवी माहात्म्यं)
दुर्गा सप्तशति प्रथमोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला पहला अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Manidvipa Varnan - 2 (Devi Bhagavatam) मणिद्वीप वर्णन - 2 (देवी भागवतम्)
मणिद्वीप का वर्णन देवी भागवतम् के अनुसार। यह खंड देवी के स्वर्गीय निवास, मणिद्वीप की दिव्य और आध्यात्मिक महत्ता का अन्वेषण करता है। देवी की भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान चाहने वालों के लिए आदर्श।Manidvipa-Varnan
Eighteen Shaktipeeth Stotram (अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्)
श्री आदि शंकराचार्य ने इस अष्टदशा शक्ति पीठ स्तोत्रम की रचना की। अष्टदशा शक्ति पीठ स्तोत्रम एक पवित्र स्तोत्र है जिसमें 18 शक्तिपीठों और वहां पूजी जाने वाली देवी-देवताओं के नामों का उल्लेख है। इसकी रचना श्री आदि शंकराचार्य ने की थी। अष्टदशा का शाब्दिक अर्थ अठारह होता है। अष्टदशा शक्ति पीठ भारतीय उपमहाद्वीप में 18 पवित्र स्थान हैं जहाँ देवी शक्ति/पार्वती/गौरी की पूजा की जाती है। दक्ष यज्ञ के दौरान आग में कूदकर सती की मृत्यु हो जाने के बाद, भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने दक्ष को मार डाला। भगवान शिव को उनकी सामान्य स्थिति में वापस लाने के लिए, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र छोड़ा, जिसने सती के मृत शरीर को 18 टुकड़ों में विभाजित कर दिया, जो उपमहाद्वीप में 18 अलग-अलग स्थानों पर गिरा। ये 18 स्थान 18 शक्ति पीठ या अष्टदशा शक्ति पीठ हैं, जहाँ देवी पार्वती की अलग-अलग रूपों में पूजा की जाती है।Stotra
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 8 chapter(आठवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य, चण्डी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में बाँटा गया है। दुर्गा सप्तशती का अष्टम अध्याय "रक्तबीज वध" पर आधारित है।Durga-Saptashati
Dakaradi Shri Durga Sahasranama Stotram (दकारादि श्री दुर्गा सहस्र नाम स्तोत्रम्)
दकारादि श्री दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम एक शक्तिशाली Hindu Stotra है, जिसमें Maa Durga के 1000 Sacred Names वर्णित हैं। यह स्तोत्र Spiritual Protection और Divine Blessings प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। Shakti Worship में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका है, जो Negative Energy Removal में सहायक होती है। भक्तगण इसे पढ़कर Success & Prosperity की प्राप्ति करते हैं। यह Vedic Scriptures में वर्णित Goddess Durga Stotra में से एक है। इसका नियमित पाठ Karma Cleansing और Positive Vibrations को बढ़ाता है। Devotional Chanting से भक्त को Inner Peace & Strength मिलती है।Sahasranama-Stotram