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Shri Shrishail Mallikarjun Suprabhatam (श्री श्रीशैल मल्लिकार्जुन सुप्रभातम्)
श्री श्रीशैल मल्लिकार्जुन सुप्रभातम्
(Shri Shrishail Mallikarjun Suprabhatam)
प्रातस्स्मरामि गणनाथमनाथबन्धुं
सिन्दूरपूरपरिशोभितगण्डयुग्मम् ।
उद्दण्डविघ्नपरिखण्डनचण्डदण्ड-
माखण्डलादिसुरनायकवृन्दवन्द्यम् ॥ 1॥
कलाभ्यां चूडालङ्कृतशशिकलाभ्यां निजतपः
फलाभ्यां भक्तेषु प्रकटितफलाभ्यां भवतु मे ।
शिवाभ्यामास्तीकत्रिभुवनशिवाभ्यां हृदि पुन-
र्भवाभ्यामानन्दस्फुरदनुभवाभ्यां नतिरियम् ॥ 2॥
नमस्ते नमस्ते महादेव! शम्भो!
नमस्ते नमस्ते दयापूर्णसिन्धो!
नमस्ते नमस्ते प्रपन्नात्मबन्धो!
नमस्ते नमस्ते नमस्ते महेश ॥ 3॥
शश्वच्छ्रीगिरिमूर्धनि त्रिजगतां रक्षाकृतौ लक्षितां
साक्षादक्षतसत्कटाक्षसरणिश्रीमत्सुधावर्षिणीम् ।
सोमार्धाङ्कितमस्तकां प्रणमतां निस्सीमसम्पत्प्रदां
सुश्लोकां भ्रमराम्बिकां स्मितमुखीं शम्भोस्सखीं त्वां स्तुमः ॥ 4॥
मातः! प्रसीद, सदया भव, भव्यशीले !
लीलालवाकुलितदैत्यकुलापहारे !
श्रीचक्रराजनिलये ! श्रुतिगीतकीर्ते !
श्रीशैलनाथदयिते ! तव सुप्रभातम् ॥ 5॥
शम्भो ! सुरेन्द्रनुत ! शङ्कर ! शूलपाणे !
चन्द्रावतंस ! शिव ! शर्व ! पिनाकपाणे !
गङ्गाधर ! क्रतुपते ! गरुडध्वजाप्त !
श्रीमल्लिकार्जुन विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 6॥
विश्वेश ! विश्वजनसेवित ! विश्वमूर्ते !
विश्वम्भर ! त्रिपुरभेदन ! विश्वयोने !
फालाक्ष ! भव्यगुण ! भोगिविभूषणेश !
श्रीमल्लिकार्जुन विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 7॥
कल्याणरूप ! करुणाकर ! कालकण्ठ !
कल्पद्रुमप्रसवपूजित ! कामदायिन् !
दुर्नीतिदैत्यदलनोद्यत ! देव देव !
श्रीमल्लिकार्जुन विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 8॥
गौरीमनोहर ! गणेश्वरसेविताङ्घ्रे !
गन्धर्वयक्षसुरकिन्नरगीतकीर्ते !
गण्डावलम्बिफणिकुण्डलमण्डितास्य !
श्रीमल्लिकार्जुन विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 9॥
नागेन्द्रभूषण ! निरीहित ! निर्विकार !
निर्माय ! निश्चल ! निरर्गल ! नागभेदिन् ।
नारायणीप्रिय ! नतेष्टद ! निर्मलात्मन् !
श्रीपर्वताधिप ! विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 10॥
सृष्टं त्वयैव जगदेतदशेषमीश !
रक्षाविधिश्च विधिगोचर ! तावकीनः ।
संहारशक्तिरपि शङ्कर ! किङ्करी ते
श्रीशैलशेखर विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 11॥
एकस्त्वमेव बहुधा भव ! भासि लोके
निश्शङ्कधीर्वृषभकेतन ! मल्लिनाथ !
श्रीभ्रामरीप्रय ! सुखाश्रय ! लोकनाथ !
श्रीशैलशेखर विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 12॥
पातालगाङ्गजलमज्जननिर्मलाङ्गाः
भस्मत्रिपुण्ड्रसमलङ्कृतफालभागाः ।
गायन्ति देवमुनिभक्तजना भवन्तं
श्रीमल्लिकार्जुन विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 13॥
सारस्वताम्बुयुतभोगवतीश्रितायाः
ब्रह्मेशविष्णुगिरिचुम्बितकृष्णवेण्याः ।
सोपानमार्गमधिरुह्य भजन्ति भक्ताः
श्रीमल्लिकार्जुन विभो ! तव सुप्रभातम् ॥ 14॥
श्रीमल्लिकार्जुनमहेश्वरसुप्रभात-
स्तोत्रं पठन्ति भुवि ये मनुजाः प्रभाते ।
ते सर्व सौख्यमनुभूय परानवाप्यं
श्रीशाम्भवं पदमवाप्य मुदं लभन्ते ॥ 15॥
इति श्रीमल्लिकार्जुनसुप्रभातं सम्पूर्णम् ।
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Shri Rudrashtakam Stotra (श्रीरुद्राष्टकम्)
सनातन धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि शिव जी आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। यदि कोई भक्त श्रद्धा पूर्वक उन्हें केवल एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। यदि आप शिव जी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं 'श्री शिव रूद्राष्टकम' का पाठ करना चाहिए। 'शिव रुद्राष्टकम' अपने-आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से शिव जी बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश पल भर में करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था।Stotra
Belapatr Belapatr Chadhaane ka Mantra (बेलपत्र बिल्वपत्र चढ़ाने का मंत्र)
Belapatr Chadhaane ka Mantra भगवान शिव की पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो "Lord of the Universe" और "Supreme Divine Being" के रूप में पूजित हैं। बेलपत्र, जो शिव जी को अत्यंत प्रिय हैं, उनके "Divine Power" और "Cosmic Energy" का प्रतीक माना जाता है। यह मंत्र भगवान शिव के "Grace and Blessings" को आकर्षित करता है, जो जीवन में "Positive Energy" और "Cosmic Protection" का संचार करते हैं। इसका नियमित जाप करने से मानसिक शांति, सुख, समृद्धि और "Victory over Obstacles" मिलती है। Belapatr Chadhaane ka Mantra को "Shiva's Blessings Chant" और "Sacred Prayer for Prosperity" के रूप में भी माना जाता है। यह मंत्र व्यक्ति के जीवन में हर प्रकार के संकट और रुकावटों को दूर करने के लिए एक शक्तिशाली "Divine Shield" का कार्य करता है। यह पूजा "Spiritual Awakening" और "Divine Guidance" के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। शिवजी के इस मंत्र का जाप करके भक्त उनके "Divine Protection" और "Cosmic Peace" को अनुभव करते हैं।Mantra
Shiv Manas Puja Stotra (शिवमानसपूजा)
शिवमानसपूजा श्री आदि शंकराचार्य द्वारा रचित एक अद्वितीय स्तोत्र है। इसमें भक्त अपने मन में भगवान शिव के लिए पूजा की सभी सामग्री और विधियों की कल्पना करता है और श्रद्धा और भक्ति के साथ उन्हें अर्पित करता है। यह स्तोत्र आस्था और भावना की प्रधानता को रेखांकित करता है और उन लोगों के लिए एक नेत्र खोलने वाला संदेश है जो केवल अनुष्ठानों पर जोर देते हैं। इस स्तोत्र के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि विश्वास और नियत, बाहरी अनुष्ठानों से अधिक महत्वपूर्ण हैं। शिवमानसपूजा आध्यात्मिक शुद्धि और मानसिक शांति प्राप्त करने का मार्ग है।Stotra
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शिव मंत्र सनातन धर्म में भगवान शिव को देवाधिदेव महादेव कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जो साधक भगवान शिव की आराधाना करते हैं उसके जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि का वास बना रहता है। ऐसे में यदि आप रोजाना इस शिव मंत्रों का जाप करते हैं तो इससे आपको जीवन में विशेष लाभ देखने को मिल सकता है।Mantra
Mahamrityunjaya Stotram (महामृत्युञ्जयस्तोत्रम्)
महामृत्युञ्जय स्तोत्रम् भगवान शिव की स्तुति में रचित एक प्रार्थना है, जो मृत्यु और भय से मुक्ति दिलाने के लिए गाई जाती है।Stotra
Shri Shiva Mangalashtakam (श्री शिव मंगलाष्टकम्)
Shiva Mangalashtak एक Auspicious Stotra है जिसे Lord Shiva Worship के अंत में तब पढ़ा जाता है जब कोई भक्त कई Sacred Hymns का पाठ कर रहा होता है। Shiva Mangalashtak Chanting तब भी किया जाता है जब कई Devotional Songs गाए जा रहे हों या फिर कोई Auspicious Ceremony या Religious Rituals संपन्न हो रहे हों। Mangal Stotra में भक्त मूल रूप से Lord Shiva से Blessings for Prosperity and Well-being की कामना कर रहा होता है। Mangalam का अर्थ "Good Wishes" या "Prayers for a Positive Outcome" भी होता है।Ashtakam
Bhagwan Kailashwashi Arti (भगवान् कैलासवासी आरती )
शीश गंग अर्धन्ग पार्वती भगवान कैलाशवासी की सबसे प्रसिद्ध आरतियों में से एक है। इसमें Lord Kailashnath और उनकी अर्धांगिनी Goddess Parvati के प्रति श्रद्धा और भक्ति का वर्णन है। यह आरती Shiva-Parvati के मिलन और उनके दिव्य रूप की स्तुति करती है।Arti