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Shri Kashi Vishwanath Stotram || श्री काशी विश्वनाथ स्तोत्रम् : Full Lyrics; सभी दुःख निवारण एवं मनोकामना पूर्ण हेतु
Shri Kashi Vishwanath Stotram (श्री काशी विश्वनाथ स्तोत्रम्)
Shri Kashi Vishwanath Stotram भगवान Lord Shiva के काशी स्थित Vishwanath Temple में पूजा करने का एक महत्वपूर्ण Hindu Stotra है। यह Sacred Hymn भक्तों को Spiritual Enlightenment और Divine Blessings प्रदान करता है। इस स्तोत्र का Recitation करने से जीवन में Peace, Prosperity, and Protection मिलती है। Lord Vishwanath Worship से Negative Energy का नाश होता है और Positive Transformation होती है। काशी में भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को Moksha की प्राप्ति होती है। यह Auspicious Stotra भक्तों को Spiritual Awakening और जीवन में Divine Grace प्रदान करता है।श्री काशी विश्वनाथ स्तोत्रम्
(Shri Kashi Vishwanath Stotram)
कंठे यस्य लसत्करालगरलं गंगाजलं मस्तके
वामांगे गिरिराजराजतनया जाया भवानी सती ।
नंदिस्कंदगणाधिराजसहिता श्रीविश्वनाथप्रभुः
काशीमंदिरसंस्थितोऽखिलगुरुर्देयात्सदा मंगलम् ॥ 1॥
यो देवैरसुरैर्मुनींद्रतनयैर्गंधर्वयक्षोरगै-
र्नागैर्भूतलवासिभिर्द्विजवरैः संसेवितः सिद्धये ।
या गंगोत्तरवाहिनी परिसरे तीर्थेरसंख्यैर्वृता
सा काशी त्रिपुरारिराजनगरी देयात्सदा मंगलम् ॥ 2॥
तीर्थानां प्रवरा मनोरथकरी संसारपारापरा-
नंदा नंदिगणेश्वरैरुपहिता देवैरशेषैः स्तुता ।
या शंभोर्मणिकुंडलैककणिका विष्णोस्तपोदीर्घिका
सेयं श्रीमणिकर्णिका भगवती देयात्सदा मंगलम् ॥ 3॥
एषा धर्मपताकिनी तटरुहासेवावसन्नाकिनी
पश्यन्पातकिनी भगीरथतपःसाफल्यदेवाकिनी ।
प्रेमारूढपताकिनी गिरिसुता सा केकरास्वाकिनी
काश्यामुत्तरवाहिनी सुरनदी देयात्सदा मंगलम् ॥ 4॥
विघ्नावासनिवासकारणमहागंडस्थलालंबितः
सिंदूरारुणपुंजचंद्रकिरणप्रच्छादिनागच्छविः ।
श्रीविश्वेश्वरवल्लभो गिरिजया सानंदकानंदितः
स्मेरास्यस्तव ढुंढिराजमुदितो देयात्सदा मंगलम् ॥। 5॥ ।
केदारः कलशेश्वरः पशुपतिर्धर्मेश्वरो मध्यमो
ज्येष्ठेशो पशुपश्च कंदुकशिवो विघ्नेश्वरो जंबुकः ।
चंद्रेशो ह्यमृतेश्वरो भृगुशिवः श्रीवृद्धकालेश्वरो
मध्येशो मणिकर्णिकेश्वरशिवो देयात्सदा मंगलम् ॥ 6॥
गोकर्णस्त्वथ भारभूतनुदनुः श्रीचित्रगुप्तेश्वरो
यक्षेशस्तिलपर्णसंगमशिवो शैलेश्वरः कश्यपः ।
नागेशोऽग्निशिवो निधीश्वरशिवोऽगस्तीश्वरस्तारक-
ज्ञानेशोऽपि पितामहेश्वरशिवो देयात्सदा मंगलम् ॥ 7॥
ब्रह्मांडं सकलं मनोषितरसै रत्नैः पयोभिर्हरं
खेलैः पूरयते कुटुंबनिलयान् शंभोर्विलासप्रदा ।
नानादिव्यलताविभूषितवपुः काशीपुराधीश्वरी
श्रीविश्वेश्वरसुंदरी भगवती देयात्सदा मंगलम् ॥ 8॥
या देवी महिषासुरप्रमथनी या चंडमुंडापहा
या शुंभासुररक्तबीजदमनी शक्रादिभिः संस्तुता ।
या शूलासिधनुःशराभयकरा दुर्गादिसंदक्षिणा-
माश्रित्याश्रितविघ्नशंसमयतु देयात्सदा मंगलम् ॥ 9॥
आद्या श्रीर्विकटा ततस्तु विरजा श्रीमंगला पार्वती
विख्याता कमला विशालनयना ज्येष्ठा विशिष्टानना ।
कामाक्षी च हरिप्रिया भगवती श्रीघंटघंटादिका
मौर्या षष्टिसहस्रमातृसहिता देयात्सदा मंगलम् ॥ 10॥
आदौ पंचनदं प्रयागमपरं केदारकुंडं कुरु-
क्षेत्रं मानसकं सरोऽमृतजलं शावस्य तीर्थं परम् ।
मत्स्योदर्यथ दंडखांडसलिलं मंदाकिनी जंबुकं
घंटाकर्णसमुद्रकूपसहितो देयात्सदा मंगलम् ॥ 11॥
रेवाकुंडजलं सरस्वतिजलं दुर्वासकुंडं ततो
लक्ष्मीतीर्थलवांकुशस्य सलिलं कंदर्पकुंडं तथा ।
दुर्गाकुंडमसीजलं हनुमतः कुंडप्रतापोर्जितः
प्रज्ञानप्रमुखानि वः प्रतिदिनं देयात्सदा मंगलम् ॥ 12॥
आद्यः कूपवरस्तु कालदमनः श्रीवृद्धकूपोऽपरो
विख्यातस्तु पराशरस्तु विदितः कूपः सरो मानसः ।
जैगीषव्यमुनेः शशांकनृपतेः कूपस्तु धर्मोद्भवः
ख्यातः सप्तसमुद्रकूपसहितो देयात्सदा मंगलम् ॥ 13॥
लक्ष्यीनायकबिंदुमाधवहरिर्लक्ष्मीनृसिंहस्ततो
गोविंदस्त्वथ गोपिकाप्रियतमः श्रीनारदः केशवः ।
गंगाकेशववामनाख्यतदनु श्वेतो हरिः केशवः
प्रह्लादादिसमस्तकेशवगणो देयात्सदा मंगलम् ॥ 14॥
लोलार्को विमलार्कमायुखरविः संवर्तसंज्ञो रवि-
र्विख्यातो द्रुपदुःखखोल्कमरुणः प्रोक्तोत्तरार्को रविः ।
गंगार्कस्त्वथ वृद्धवृद्धिविबुधा काशीपुरीसंस्थिताः
सूर्या द्वादशसंज्ञकाः प्रतिदिनं देयात्सदा मंगलम् ॥ 15॥
आद्यो ढुंढिविनायको गणपतिश्चिंतामणिः सिद्धिदः
सेनाविघ्नपतिस्तु वक्त्रवदनः श्रीपाशपाणिः प्रभुः ।
आशापक्षविनायकाप्रषकरो मोदादिकः षड्गुणो
लोलार्कादिविनायकाः प्रतिदिनं देयात्सदा मंगलम् ॥ 16॥।
हेरंबो नलकूबरो गणपतिः श्रीभीमचंडीगणो
विख्यातो मणिकर्णिकागणपतिः श्रीसिद्धिदो विघ्नपः ।
मुंडश्चंडमुखश्च कष्टहरणः श्रीदंडहस्तो गणः
श्रीदुर्गाख्यगणाधिपः प्रतिदिनं देयात्सदा मंगलम् ॥ 17॥
आद्यो भैरवभीषणस्तदपरः श्रीकालराजः क्रमा-
च्छ्रीसंहारकभैरवस्त्वथ रुरुश्चोन्मत्तको भैरवः ।
क्रोधश्चंडकपालभैरववरः श्रीभूतनाथादयो
ह्यष्टौ भैरवमूर्तयः प्रतिदिनं देयात्सदा मंगलम् ॥ 18॥
आधातोऽंबिकया सह त्रिनयनः सार्धं गणैर्नंदितां
काशीमाशु विशन् हरः प्रथमतो वार्षध्वजेऽवस्थितः ।
आयाता दश धेनवः सुकपिला दिव्यैः पयोभिर्हरं
ख्यातं तद्वृषभध्वजेन कपिलं देयात्सदा मंगलम् ॥ 19॥
आनंदाख्यवनं हि चंपकवनं श्रीनैमिषं खांडवं
पुण्यं चैत्ररथं त्वशाकविपिनं रंभावनं पावनम् ।
दुर्गारण्यमथोऽपि कैरववनं वृंदावनं पावनं
विख्यातानि वनानि वः प्रतिदिनं देयात्सदा मंगलम् ॥ 20॥
अलिकुलदलनीलः कालदंष्ट्राकरालः
सजलजलदनीलो व्यालयज्ञोपवीतः ।
अभयवरदहस्तो डामरोद्दामनादः
सकलदुरितभक्षो मंगलं वो ददातु ॥ 21॥
अर्धांगे विकटा गिरींद्रतनया गौरी सती सुंदरी
सर्वांगे विलसद्विभूतिधवलो कालो विशालेक्षणः ।
वीरेशः सहनंदिभृंगिसहितः श्रीविश्वनाथः प्रभुः
काशीमंदिरसंस्थितोऽखिलगुरुर्देयात्सदा मंगलम् ॥ 22॥
यः प्रातः प्रयतः प्रसन्नमनसा प्रेमप्रमोदाकुलः
ख्यातं तत्र विशिष्टपादभुवनेशेंद्रादिभिर्यत्स्तुतम् ।
प्रातः प्राङ्मुखमासनोत्तमगतो ब्रूयाच्छृणोत्यादरात्
काशीवासमुखान्यवाप्य सततं प्रीते शिवे धूर्जटि ॥ 23॥
इति श्रीमच्छंकराचार्यविरचितं काशीविश्वनाथस्तोत्रम् ॥
Related to Shiv
Shri Rudra Kavacham (श्री रुद्र कवचम्)
Shri Rudra Kavacham भगवान Shiva की शक्ति और कृपा का वर्णन करता है, जो "Destroyer of Evil" और "Supreme God" के रूप में पूजित हैं। यह Kavacham (armor) भक्त को सभी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा, बुरी शक्तियों और शत्रुओं से रक्षा प्रदान करता है। इस पाठ में महादेव की महिमा का गान करते हुए उनके विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है, जो भक्त को "Protection Mantra" और "Divine Shield" के रूप में सुरक्षा प्रदान करते हैं। Shri Rudra Kavacham का पाठ "Spiritual Armor" और "Evil Protection Prayer" के रूप में भी लोकप्रिय है। यह Kavach व्यक्ति के चारों ओर एक ऊर्जा कवच तैयार करता है, जो उसकी आंतरिक शक्ति को जागृत करता है। इसे नियमित रूप से पढ़ने से मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। भक्त इसे "Shiva's Protective Shield" के रूप में मानते हैं, जो उन्हें जीवन की कठिनाइयों से बचाता है और शुभ फल प्रदान करता है।Kavacha
Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युञ्जय स्तोत्रम्)
Shri Mrityunjaya Stotram (श्री मृत्युंजय स्तोत्रम्): श्री मृत्युंजय स्तोत्र (Shri Mrityunjay Stotra) को सबसे प्राचीन वेदों (Vedas) में से एक माना जाता है। महा मृत्युंजय मंत्र (Maha Mrityunjaya Mantra) गंभीर बीमारियों (serious ailments) से छुटकारा दिलाने में सहायक माना जाता है। यह मंत्र ऋग्वेद (Rig Veda) से लिया गया है और भगवान शिव (Lord Shiva) के रुद्र अवतार (Rudra Avatar) को संबोधित करता है। इस मंत्र का नियमित जप (regular chanting) न केवल आयु (longevity) बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि पारिवारिक कलह (familial discord), संपत्ति विवाद (property disputes), और वैवाहिक तनाव (marital stress) को भी सुलझाने में सहायक होता है। श्री मृत्युंजय स्तोत्र में अद्भुत उपचारात्मक शक्तियां (healing powers) हैं। यह हिंदुओं की सबसे आध्यात्मिक साधना (spiritual pursuit) मानी जाती है। भगवान शिव को सत्य (truth) और परमात्मा (Transcendent Lord) माना गया है। शिव के अनुयायियों का विश्वास है कि वे स्वयंभू (Swayambho) हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करना सरल है और वे अपने भक्तों (devotees) को आसानी से वरदान (boons) प्रदान करते हैं। धन (wealth), स्वास्थ्य (health), सुख (happiness), या समृद्धि (prosperity) से संबंधित कोई भी इच्छा, शिव पूरी करते हैं और भक्तों को कष्टों (sufferings) से मुक्त करते हैं। इसका उल्लेख शिव पुराण (Shiva Purana) में दो कहानियों के रूप में मिलता है। पहली कहानी के अनुसार, यह मंत्र केवल ऋषि मार्कंडेय (Rishi Markandeya) को ज्ञात था, जिन्हें स्वयं भगवान शिव ने यह मंत्र प्रदान किया था। आज के युग में शिव की पूजा (worship) का सही तरीका क्या है? सतयुग (Satyug) में मूर्ति पूजा (idol worship) प्रभावी थी, लेकिन कलयुग (Kalyug) में केवल मूर्ति के सामने प्रार्थना करना पर्याप्त नहीं है। भविषय पुराणों (Bhavishya Puranas) में भी इस बात का उल्लेख है कि सुख (happiness) और मन की शांति (peace of mind) के लिए मंत्र जप (chanting) का महत्व है। महा मृत्युंजय मंत्र का दैनिक जप (daily chanting) व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ्य (good health), धन (wealth), समृद्धि (prosperity) और दीर्घायु (long life) प्रदान करता है। यह सकारात्मक ऊर्जा (positive vibes) उत्पन्न करता है और विपत्तियों (calamities) से रक्षा करता है।Stotra
Shiva Mahimna Stotram (शिव महिम्न स्तोत्रम्)
Shiva Mahimna Stotram भगवान Lord Shiva की महिमा का वर्णन करने वाला Hindu Devotional Stotra है। इसका पाठ करने से Shiva Devotees को Divine Blessings और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इस Sacred Hymn के माध्यम से Lord Shiva Worship करने से सभी Worldly Desires पूरी होती हैं। Mahadev Bhakti और Mantra Chanting से जीवन में Positive Energy और शांति आती है। यह Powerful Stotra भक्तों के पापों को नष्ट कर मोक्ष का मार्ग दिखाता है। Shiva Mahimna Stotra Recitation करने से भगवान शिव की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।Stotra
Sarvrup Bhagwan Arti (सर्वरूप भगवान् आरती)
सर्वरूप भगवान की आरती में भगवान के सभी रूपों की आराधना और वंदना की जाती है। यह आरती भगवान को उनकी सर्वशक्तिमानता, कृपा, और संपूर्णता के लिए समर्पित है। Sarvaroop Bhagwan Aarti में ईश्वर को उनके सृष्टि रचयिता, पालनहार, और संहारक रूपों के लिए पूजा जाता है। यह आरती गाने से भक्तों को आध्यात्मिक बल, शांति, और धार्मिक उत्थान की प्राप्ति होती है।Arti
Shri Amarnath Ashtakam (श्री अमरनाथाष्टकम्)
Shri Amarnath Ashtakam भगवान शिव के अमरनाथ धाम में स्थित उनके दिव्य रूप की महिमा का वर्णन करता है, जिन्हें "Lord of Immortality" और "Supreme Divine Protector" माना जाता है। यह स्तोत्र अमरनाथ यात्रा की महिमा और शिवलिंग के दिव्य स्वरूप की पूजा करता है, जिसे "Sacred Shiva Lingam" और "Cosmic Energy Source" के रूप में पूजित किया जाता है। Shri Amarnath Ashtakam का पाठ "Shiva Devotional Hymn" और "Divine Blessings Chant" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को "Spiritual Protection" और "Inner Peace" प्राप्त होती है। यह स्तोत्र "Lord Shiva's Divine Grace" और "Blessings for Prosperity" के रूप में अत्यधिक प्रभावी है। इसका जाप करने से जीवन में "Positive Energy" का प्रवाह होता है और व्यक्ति को "Spiritual Awakening" और "Cosmic Protection" मिलती है। Shri Amarnath Ashtakam को "Sacred Prayer for Blessings" और "Shiva's Eternal Grace" के रूप में पढ़ने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।Ashtakam
Shiva Bhujanga Prayat Stotram (शिव भुजंग प्रयात स्तोत्रम्)
शिव भुजंग प्रयात स्तोत्रम भगवान शिव की अपार महिमा और उनकी अद्भुत शक्तियों का वर्णन करने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इसे संस्कृत भाषा में भुजंग प्रयात छंद में रचा गया है, जो अपने लय और माधुर्य के लिए प्रसिद्ध है। इस स्तोत्र में भगवान शिव को "Destroyer of Evil", "Lord of Meditation", और "Supreme God" के रूप में संबोधित किया गया है। "Shiva Mantras", "Hindu Prayers", और "Shiva Stotras" जैसे विषयों में रुचि रखने वाले पाठकों के लिए यह स्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली है। यह स्तोत्र भगवान शिव के सौम्य और रौद्र रूपों की आराधना का माध्यम है, जो भक्तों को उनके संरक्षण और कृपा का अनुभव कराता है। शिव भुजंग प्रयात स्तोत्रम का पाठ करने से "spiritual awakening", "inner peace", और "divine blessings" प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से भगवान शिव के "Tandava", "Meditative State", और "Cosmic Power" का गुणगान करता है। "Mahadev Worship", "Shivratri Prayers", और "Shiva's Cosmic Dance" जैसे विषयों से प्रेरणा लेने वालों के लिए यह स्तोत्र जीवन में भक्ति और ऊर्जा का एक उत्कृष्ट स्रोत है।Stotra
Dhanyaashtakam (धन्याष्टकम्)
न्याष्टकम् एक भक्तिपूर्ण भजन है जो भगवान विष्णु की महिमा और उनके दिव्य गुणों का गुणगान करता है।Ashtakam
Shri Maha Mrityunjay Kavach (श्री महा मृत्युञ्जय कवच)
महा मृत्युञ्जय कवच का पाठ करने से जपकर्ता की देह सुरक्षित होती है। जिस प्रकार सैनिक की रक्षा उसके द्वारा पहना गया कवच करता है उसी प्रकार साधक की रक्षा यह कवच करता है। इस कवच को लिखकर गले में धारण करने से शत्रु परास्त होता है। इसका प्रातः, दोपहर व सायं तीनों काल में जप करने से सभी सुख प्राप्त होते हैं। इसके धारण मात्र से किसी शत्रु द्वारा कराए गए तांत्रिक अभिचारों का अंत हो जाता है। धन के इच्छुक को धन, संतान के इच्छुक को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।Kavacha