No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Durga Maa Mantra || दुर्गा माँ मंत्र : A Powerful Sacred Chant for overcoming Obstacles, Negativity, and Spiritual Empowerment
Durga Maa Mantra (दुर्गा माँ मंत्र)
दुर्गा माँ मंत्र देवी दुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है। यह Durga Mantra for Protection भक्तों को बुराई, संकटों और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाता है, मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करता है। Devi Durga Powerful Mantra न केवल दुर्गा माँ के प्रति आस्था को बढ़ाता है, बल्कि यह जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पॉजिटिव एनर्जी लाने में सहायक होता है। Durga Beej Mantra और Mantra to Remove Negativity विशेष रूप से उन भक्तों के लिए प्रभावी हैं जो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं। यह मंत्र Maa Durga Aarti और दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ और अधिक फलदायक होता है। Durga Maa Ki Puja और Mantra for Peace and Security का नियमित जाप जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कराता है। माँ दुर्गा श्लोक
न तातो न माता, न बन्धुर्न दाता,
न पुत्रो न पुत्री न भ्रत्यो न भर्ता।
न जाया न विद्या न वर्तिमम्मेव,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
भवाब्धावपारे महादुःखभीरु,
पपात प्रकामी प्रलोभी प्रमत्तः।
कुसंसारपाशप्रबद्धः सदाहं,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
न जानामि दानं न च ध्यानयोगं,
न जानामि तन्त्रं न च स्तोत्रमन्त्रम्।
न जानामि पूजां न च न्यासयोगं,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
न जानामि पुण्यं न जानामि तीर्थं,
न जानामि मुक्तिं लयं वा कदाचित्।
न जानामि भक्तिं व्रतं वापि मातर्,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
कुकर्मी कुसङ्गी कुबुद्धिः कुदासः,
कुलाचारहीनः कदाचारलीनः।
कुदृष्टिः कुवाक्यप्रबन्धः सदाहं,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
प्रजेशं रमेशं महेशं सुरेशं,
दिनेशं निशीथेश्वरं वा कदाचित्।
न जानामि चान्यत् सदाहं शरण्ये,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
विवादे विषादे प्रमादे प्रवासे,
जले चानले पर्वते शत्रुमध्ये।
अरण्ये शरण्ये सदा मां प्रपाहि,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
अनाथो दरिद्रो जरारोगयुक्तो,
महाक्षीणदीनः सदा जाड्यवक्त्रः।
विपत्तौ प्रविष्टः प्रनष्टः सदाहं,
गतिस्त्वं गतिस्त्वं त्वमेका भवानि॥
2. दुर्गा मन्त्र (Durga Mantra): -
ॐ दुं दुर्गाये नमः
3. नर्वाण मन्त्र (Nrwan Mantra): -
ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाये विच्चे
4. दुर्गतिनाशक दुर्गा मन्त्र (Durgtinashk Durga Mantra): -
ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं दुर्गतिनाशिन्ये महामाये स्वाहा
5. कल्याणक दुर्गा मन्त्र (Kalyank Durga Mantra): -
ॐ सर्व मङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वाथसाधिके,
शरण्ये त्रयंबके गौरि नारायणि नमोस्तुते
6. महिषासुर मर्दिनी मन्त्र (Mahishasur Mardini Mantra): -
ॐ ह्रीं महामहिषमर्दिनी स्वाहा
7. दुर्गा रक्षा मन्त्रा (Durga Protection Mantra): -
ॐ ह्रीं दुर्गे दुर्गे रक्षणी स्वाहा
8. दुर्गा नमस्कार मन्त्र (Durga Namaskar Mantra): -
या देवी सर्वभुतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
या देवी सर्वभुतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
Related to Durga
Navavarana Vidhi (नवावर्ण विधि)
नवावर्ण विधि: यह नवदुर्गा के पूजा और अनुष्ठान की विधि का वर्णन करता है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 10 Chapter (दसवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य, चण्डी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में बाँटा गया है। दुर्गा सप्तशती का दशम अध्याय "शुम्भ वध" पर आधारित है।Durga-Saptashati
Shri Shitalashtakam Stotram (श्री शीतला अष्टकम स्तोत्रम्)
श्री शीतलाष्टकम् स्तोत्रम् देवी Shitala Mata की स्तुति है, जो Hindu religion में disease healing और health goddess के रूप में पूजनीय हैं। इस स्तोत्र का पाठ smallpox और अन्य infectious diseases से protection पाने के लिए किया जाता है। इसे peace, prosperity और divine blessings प्राप्त करने का माध्यम माना गया है। Shitala Devi की पूजा से health, hygiene और spiritual energy का संचार होता है। यह स्तोत्र भक्तों को negativity से मुक्त कर सकारात्मकता प्रदान करता है।Devi-Stotra
Shri Durga Sahasranama Stotram (श्री दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्रम्)
दुर्गा सहस्रनाम देवी दुर्गा (Goddess Durga) के एक हजार नामों (1000 names) का संग्रह है। दुर्गा सहस्रनाम स्तोत्र (Durga Sahasranama Stotra) वास्तव में एक ऐसा स्तोत्र (hymn) है, जिसमें देवी की महिमा का गुणगान (eulogizing) किया जाता है और उनके हजार नामों का पाठ (recitation) किया जाता है। नवरात्रि (Navaratri) के पावन अवसर पर, दुर्गा सहस्रनाम का श्रद्धा (devotion) और समर्पण (dedication) के साथ जप करने से देवी की कृपा (blessings) और वरदान (boons) प्राप्त होते हैं। दुर्गा सहस्रनाम में नामों को ऐसे क्रम में लिखा गया है कि कोई नाम दोहराया नहीं गया है। संस्कृत में "दुर्गा" का अर्थ है "जो समझ से परे (incomprehensible) या पहुंचने में कठिन (difficult to reach)" है। देवी दुर्गा शक्ति (Shakti) का ऐसा रूप हैं, जिनकी पूजा उनकी सौम्य (gracious) और उग्र (terrifying) दोनों रूपों में की जाती है। वह ब्रह्मांड (Universe) की माता हैं और अनंत शक्ति (infinite power) का प्रतिनिधित्व करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि देवी दुर्गा का प्रकट होना उनके निराकार स्वरूप (formless essence) से होता है, और ये दोनों स्वरूप अभिन्न (inseparable) हैं। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त देवी दुर्गा (Durga Sahasranama) की प्रार्थना (pray) करते हैं, वे शुरू में बाधाओं (obstacles) का सामना करते हैं, लेकिन समय के साथ, ये बाधाएं सूर्य की गर्मी से पिघलती हुई बर्फ की तरह समाप्त हो जाती हैं। मां दुर्गा सहस्रनाम की कृपा (grace) का वर्णन शब्दों से परे है।Sahasranama-Stotram
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 11 Chapter (ग्यारहवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य, चण्डी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में बाँटा गया है। दुर्गा सप्तशती का एकादश अध्याय "नारायणी की स्तुति" पर आधारित है।Durga-Saptashati
Durga Puja Vidhi (दुर्गा पूजा विधि)
दुर्गा पूजा विधि (Durga Puja Vidhi) हम नवरात्रि के दौरान मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा विधि का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं। दी गई पूजा विधि में षोडशोपचार (दुर्गा पूजा विधि) के सभी सोलह चरण शामिल हैं। (1.) ध्यान और आवाहन (Dhyana and Avahana) पूजा देवी दुर्गा के ध्यान और आह्वान से शुरू होनी चाहिए। देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने आवाहन मुद्रा (दोनों हथेलियों को जोड़कर और दोनों अंगूठों को अंदर की ओर मोड़कर बनाई जाती है) दिखाकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। सर्वमंगला मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोअस्तु ते॥ ब्रह्मरूपे सदानंदे परमानंद स्वरूपिणी। द्रुत सिद्धिप्रदे देवि नारायणी नमोअस्तु ते॥ शरणागतदिनर्तपरितानपरायणे। सर्वस्यार्तिहारे देवी नारायणी नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आवाहनं समर्पयामि॥ (2.) आसन (Asana) देवी दुर्गा का आह्वान करने के बाद, अंजलि में पांच फूल लें (दोनों हाथों की हथेलियां जोड़कर) और उन्हें मूर्ति के सामने छोड़ दें तथा निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आसन प्रदान करें। अनेक रत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम्। कर्तस्वरमयं दिव्यमासनाम् प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आसनं समर्पयामि॥ (3.) पाद्य प्रक्षालन (Padya Prakshalana) देवी दुर्गा को आसन प्रदान करने के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए उनके पैर धोने के लिए जल अर्पित करें। गङ्गादि सर्वतीर्थेभ्यो मया प्रार्थनायाहृतम्। तोयमेतत्सुखस्पर्श पाद्यार्थम् प्रतिगृह्यताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पद्यं समर्पयामि॥ (4.) अर्घ्य समर्पण (Arghya Samarpan) पाद्य अर्पण के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को सुगंधित जल अर्पित करें। गंधपुष्पक्षतैरयुक्तमार्घ्यं संपादितं मया। गृहाणा त्वं महादेवी प्रसन्न भव सर्वदा॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अर्घ्यं समर्पयामि॥ (5.) आचमन समर्पण (Achamana Samarpan) अर्घ्य देने के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें। अचम्यतम त्वया देवी भक्ति मे ह्याचलं कुरु। इप्सितं मे वरं देहि परतं च परम गतिम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥ (6.) स्नान (Snana) आचमन के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को स्नान के लिए जल अर्पित करें। पयोदधि घृतं क्षीरं सीताय च समन्वितम्। पंचामृतमनेनाद्य कुरु स्नानं दयानिधे॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः स्ननीयं जलं समर्पयामि॥ (7.) वस्त्र (Vastra) स्नान के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नए वस्त्र के रूप में मोली अर्पित करें। वस्त्रं च सोम दैवत्यं लज्जायस्तु निवारणम्। मया निवेदितं भक्त्या गृहाणा परमेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि॥ (8.) आभूषण समर्पण (Abhushana Samarpan) वस्त्रार्पण के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आभूषण अर्पित करें। हार कङ्कण केयूर मेखला कुण्डलादिभिः। रत्नाढ्यं कुण्डलोपेतं भूषणं प्रतिगृह्यताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आभूषणं समर्पयामि॥ (9.) चन्दन समर्पण (Chandan Samarpan) आभूषण अर्पित करने के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को चंदन अर्पित करें। परमानन्द सौभाग्यं परिपूर्ण दिगन्तरे। गृहाण परमं गन्धं कृपया परमेश्वरि॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः चन्दनं समर्पयामि॥ (10.) रोली समर्पण (Roli Samarpan) अब, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को अखंड सौभाग्य के प्रतीक के रूप में रोली (कुमकुम) अर्पित करें। कुमकुमम कांतिदं दिव्यं कामिनी काम संभवम्। कुमकुमेनार्चिते देवि प्रसिदा परमेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कुमकुमं समर्पयामि॥ (11.) कज्जलार्पण (Kajjalarpan) कुमकुम अर्पित करने के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को काजल अर्पित करें। कज्जलं कज्जलं रम्यं सुभगे शान्तिकारिके। कर्पूर ज्योतिरुत्पन्नं गृहाण परमेश्वरि॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कज्जलं समर्पयामि॥ (12.) मङ्गल द्रव्यार्पण (A.) सौभाग्य सूत्र (Sugandhita Dravya) काजल चढ़ाने के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को सौभाग्य सूत्र अर्पित करें। सौभाग्यसूत्रं वरदे सुवर्ण मणि संयुते। कण्ठे बध्नामि देवेशि सौभाग्यं देहि मे सदा॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सौभाग्यसूत्रं समर्पयामि॥ (B.) सुगन्धित द्रव्य (Sugandhita Dravya) अब, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को सुगंध अर्पित करें। चन्दनागारू कर्पूरैः संयुतं कुंकुमं तथा। कस्तुर्यादि सुगंधश्च सर्वांगेषु विलेपनम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सुगंधिताद्रव्यं समर्पयामि॥ (C.) हरिद्रा समर्पण (Haridra Samarpan) अब, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को हल्दी अर्पित करें। हरिद्रारञ्जिते देवि सुख सौभाग्यदायिनी। तस्मात्त्वां पूजयाम्यत्र सुखशान्तिं प्रयच्छ मे॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः हरिद्राचूर्णं समर्पयामि॥ (D.) अक्षत समर्पण (Akshata Samarpan) हरिद्रा अर्पण के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को अक्षत (अखंडित चावल) अर्पित करें। रंजितः कंकुमुद्येन न अक्षतश्चतिशोभनः। ममैषा देवी दानेना प्रसन्न भव शोभने॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अक्षतं समर्पयामि॥ (13.) पुष्पांजलि (Pushpanjali) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को पुष्पांजलि अर्पित करें। मंदरा पारिजातादि पाटलि केतकनि च। जाति चंपका पुष्पाणि गृहणेमणि शोभने॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि॥ (14.) बिल्वपत्र (Bilvapatra) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को बिल्वपत्र अर्पित करें। अमृतोद्भव श्रीवृक्षो महादेवी! प्रिया सदा. बिल्वपत्रं प्रयच्छमि पवित्रं ते सुरेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः बिल्वपत्राणि समर्पयामि॥ (15.)धूप समर्पण (Dhoop Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को धूप अर्पित करें। दशांग गुग्गुला धुपं चंदनगारू संयुतम। समर्पितं मया भक्त्या महादेवी! प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः धूपमाघ्घ्रापयमि समर्पयामि॥ (16.) दीप समर्पण (Deep Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को दीप अर्पित करें। घृतवर्त्तिसमायुक्तं महतेजो महोज्ज्वलम्। दीपं दास्यामि देवेषी! सुप्रीता भव सर्वदा॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं समर्पयामि॥ (17.) नैवेद्य (Naivedya) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नैवेद्य अर्पित करें। अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षडभिः समन्वितम्। नैवेद्य गृह्यतम देवि! भक्ति मे ह्यचला कुरु॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि॥ (18.) ऋतुफला (Rituphala) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को ऋतुफल अर्पित करें। द्राक्षाखर्जुरा कदलीफला समग्रकपीठकम। नारिकेलेक्षुजाम्बदि फलानि प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ऋतुफलनि समर्पयामि॥ (19.) आचमन (Achamana) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आचमन के लिए जल अर्पित करें। कामारिवल्लभे देवि करवाचमनमम्बिके। निरंतररामहम वन्दे चरणौ तव चंडिके॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥ (20.) नारिकेल समर्पण (Narikela Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नारिकेल (नारियल) अर्पित करें। नारिकेलम च नारंगिम कलिंगमंजीरं त्वा। उर्वारुक च देवेषि फलन्येतानि गह्यताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नारिकेलं समर्पयामि॥ (21.) तंबुला (Tambula) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को ताम्बूल (पान और सुपारी) अर्पित करें। एलालवंगं कस्तूरी कर्पूरैः पुष्पवसीतम। विटिकं मुखवसार्थ समर्पयामि सुरेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि॥ (22.) दक्षिणा (Dakshina) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को दक्षिणा (उपहार) अर्पित करें। पूजा फल समृद्धियर्था तवग्रे स्वर्णमीश्वरी। स्थापितम् तेन मे प्रीता पूर्णं कुरु मनोरथम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दक्षिणं समर्पयामि॥ (23.) पुस्तक पूजा एवं कन्या पूजन (Book worship and girl worship) (A.) पुस्तक पूजा (Pustak) दक्षिणा अर्पित करने के पश्चात, अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए दुर्गा पूजा के दौरान उपयोग में आने वाली पुस्तकों की पूजा करें। नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृतियै भद्रयै नियतः प्रणतः स्मतम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुस्तक पूजयामि॥ (B.) दीप पूजा (Deep Puja) पुस्तकों की पूजा के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए दुर्गा पूजा के दौरान दीप जलाएं और दीप देव की पूजा करें। शुभम् भवतु कल्याणमारोग्यं पुष्टिवर्धनम्। आत्मतत्त्व प्रबोधाय दीपज्योतिर्नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं पूजयामि॥ (C.) कन्या पूजन (Kanya Pujan) दुर्गा पूजा के दौरान कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। इसलिए दुर्गा पूजा के बाद कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है और दक्षिणा यानी उपहार दिए जाते हैं। कन्याओं को दक्षिणा देते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। सर्वस्वरूपे! सर्वेशे सर्वशक्ति स्वरूपिणी। पूजम गृहण कौमारी! जगन्मातरनमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कन्या पूजयामि॥ (24.) नीराजन (Nirajan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करने के पश्चात देवी दुर्गा की आरती करें। नीराजनं सुमंगल्यं कर्पूरेण समन्वितम्। चन्द्रार्कवह्नि सदृशं महादेवी! नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कर्पूर निराजनं समर्पयामि॥ (25.) प्रदक्षिणा (Pradakshina) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए फूलों से प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा (देवी दुर्गा की बाएं से दाएं परिक्रमा) करें। प्रदक्षिणं त्रयं देवि प्रयत्नेन प्रकल्पितम्। पश्यद्य पावने देवि अम्बिकायै नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः प्रदक्षिणं समर्पयामि॥ (26.) क्षमापन (Kshamapan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजा के दौरान हुई किसी भी ज्ञात-अज्ञात गलती के लिए देवी दुर्गा से क्षमा मांगें। अपराधा शतम् देवि मत्कृतम् च दीने दीने। क्षमायतम पावने देवी-देवेष नमोअस्तु ते॥Puja-Vidhi
Durga Saptashati Chapter 10 (दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं
दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला दसवां अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Maa Durga Shabar Mantra (माँ दुर्गा शाबर मंत्र)
श्री Maa Durga Shabar Mantra अद्भुत divine power से युक्त है, जो हर संकट को दूर करता है और तुरंत प्रभाव देता है। यह spiritual mantra साधक को साहस, आत्मविश्वास और सुरक्षा प्रदान करता है। Goddess Durga blessings पाने के लिए इस मंत्र का जाप नवरात्रि, अष्टमी, दशहरा या किसी भी auspicious occasion पर करना अत्यंत फलदायी होता है। यह miraculous chant नकारात्मक ऊर्जा, बुरी नजर और बाधाओं को दूर करता है। Protection and success के लिए इस मंत्र का जाप विशेष रूप से किया जाता है। इसे किसी भी समस्या के समाधान के लिए प्रयोग किया जाता है, जिससे instant results प्राप्त होते हैं। Sacred vibrations उत्पन्न करने वाला यह मंत्र जीवन में शक्ति, समृद्धि और सकारात्मकता लाता है। ध्यान और साधना के समय इस powerful mantra का जाप करने से आत्मबल बढ़ता है।MahaMantra