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Durga Saptashati Siddha Samput Mantra || दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र : नवरात्रि में करें दुर्गा सप्तशती के 30 सिद्ध सम्पुट मंत्रों का जाप और पाएं चमत्कारी आशीर्वाद !!
Durga Saptashati Siddha Samput Mantra (दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र)
Shri Markandeya Purana अंतर्गत Devi Mahatmya में Shloka, Ardha Shloka, और Uvacha आदि मिलाकर 700 Mantras हैं। यह माहात्म्य Durga Saptashati के नाम से प्रसिद्ध है। Saptashati Artha (Wealth), Dharma (Righteousness), Kama (Desires), और Moksha (Liberation) – इन चारों Purusharthas को प्रदान करने वाली है। जो व्यक्ति जिस भावना और जिस desire से Shraddha एवं rituals के साथ Saptashati Path करता है, उसे उसी भावना और wish fulfillment के अनुसार निश्चित रूप से success प्राप्त होती है। इस बात का अनुभव countless devotees को प्रत्यक्ष हो चुका है। यहाँ हम कुछ ऐसे चुने हुए Sacred Mantras का उल्लेख करते हैं, जिनका Samput देकर विधिवत् recitation करने से विभिन्न spiritual goals की व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से Siddhi होती है। इनमें अधिकांश Saptashati Mantras हैं और कुछ अन्य Vedic Mantras भी सम्मिलित हैं। The Durga Saptashati, also known as the Devi Mahatmyam, is a sacred Hindu text that glorifies Goddess Durga and recounts her various forms and manifestations. The Siddha Mantras (perfected mantras) associated with the Durga Saptashati are believed to have profound benefits when chanted with devotion and understanding.|| दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र ||
(Durga Saptashati Siddha Samput Mantra)
1. सामूहिक कल्याण के लिये मंत्र-
देव्या यया ततमिदं जगदात्मशक्त्या
निश्शेषदेवगणशक्तिसमूहमूरर्या ।
तामम्बिकामखिलदेवमहर्षिपू्यां
भक्त्या नताः स्म विदधातु शुभानि सा नः ॥
2. विश्व के अशुभ तथा भय का विनाश करने के लिये मंत्र -
यस्याः प्रभावमतुल तुलं भगवाननन्तो
ब्रह्मा हरश्च न हि वक्तुमलं बलं च ।
सा चण्डिकाखिलजगत्परिपालनाय
नाशाय चाशुभभयस्य मतिं करोतु ॥
3. विश्व की रक्षा के लिये मंत्र-
या श्रीः स्वयं सुकृतिनां भवनेष्वलक्ष्मीः
पापात्मनां कृतधियां हदयेषु बुद्धिः ।
श्रद्धा सतां कुलजनप्रभवस्य लज्जा
तां त्वां नताः स्म परिपालय देवि विश्वम् ॥
4. विश्व के अभ्युदय के लिये मंत्र-
विश्वेश्वरि त्वं परिपासि विश्वं
विश्वासिका धारयसीति विश्वम् ।
विश्वेशवन्द्या भवती भवन्ति
विश्वाश्रया ये त्वयि भक्तिनम्राः ॥
5. विश्वव्यापी विपत्तियौं के नाश के लिये मंत्र-
देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जगतोऽखिलस्य ।
प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्वमीश्वरी देवि चराचरस्य ॥
6. विश्व के पाप-ताप-निवारण के लिये मंत्र -
देवि प्रसीद परिपालय नोऽरिभीतेर्नित्यं
यथासुरवधादधुनैव सद्यः ।
पापानि सर्वजगतां प्रशमं नयाशु
उत्पातपाकजनितांश्च महोपसर्गान् ॥
7. विपत्ति-नाश के लिये मंत्र -
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे ।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
8. विपत्तिनाश और शुभ की प्राप्ति के लिये मंत्र -
करोतु सा नः शुभहेतुरीश्वरी शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः ।
9. भय-नाश के लिये मंत्र -
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते ।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते ॥
एतत्ते वदनं सौम्यं लोचनत्रयभूषितम् ।
पातु नः सर्वभीतिभ्यः कात्यायनि नमोऽस्तु ते ॥
ज्वालाकरालमत्युग्रमशेषासुरसूदनम् ।
त्रिशूलं पातु नो भीतेर्भद्रकालि नमोऽस्तु ते ॥
10. पाप-नाश के लिये मंत्र `{`10`}`
हिनस्ति दैत्यतेजांसि स्वनेनापूर्य या जगत् ।
सा घण्टा पातु नो देवि पापेभ्योऽनः सुतानिव ॥
11. रोग-नाश के लिये मंत्र -
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति ॥
12. महामारी-नाश के लिये मंत्र -
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी ।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते ॥
13. आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति के लिये मंत्र -
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् ।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
14. सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति के लिये -
पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानुसारिणीम् ।
तारिणीं दुर्गसंसारसागरस्य कुलोद्भवाम् ॥
15. बाधा-शान्ति के लिये मंत्र -
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि ।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम् ॥
16. सर्वविध अभ्युदय के लिये मंत्र -
ते सम्मता जनपदेषु धनानि तेषां
तेषां यशांसि न च सीदति धर्मवर्गः ।
धन्यास्त एव निभृतात्मजभृत्यदारा
येषां सदाभ्युदयदा भवती प्रसन्ना ॥
17. दारिद्र्यदुःखादिनाश के लिये मंत्र -
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि ।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदाऽऽर्द्रचित्ता ॥
18. रक्षा पाने के लिये मंत्र -
शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके ।
घण्टास्वनेन नः पाहि चापज्यानिःस्वनेन च ॥
19. समस्त विद्याओं की और समस्त स्त्रियों में मातृभाव की प्राप्ति के लिये मंत्र -
विद्याः समस्तास्तव देवि भेदाः
स्त्रियः समस्ताः सकला जगत्सु ।
त्वयैकया पूरितमम्बयैतत्का
ते स्तुतिः स्तव्यपरा परोक्तिः ॥
20. सब प्रकार के कल्याण के लिये मंत्र
सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके ।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
21. शक्ति-प्राप्ति के लिये मंत्र -
सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि ।
गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
22. प्रसन्नता की प्राप्ति के लिये मंत्र -
प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि ।
त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव ॥
23. विविध उपद्रवों से बचने के लिये मंत्र -
रक्षांसि यत्रोग्रविषाश्च नागा यत्रारयो दस्युबलानि यत्र ।
दावानलो यत्र तथाब्धिमध्ये तत्र स्थिता त्वं परिपासि विश्वम् ॥
24. बाधामुक्त होकर धन-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये मंत्र -
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वितः ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः ॥
25. भुक्ति-मुक्ति की प्राप्ति के लिये मंत्र -
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम् ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
26. पापनाश तथा भक्ति की प्राप्ति के लिये मंत्र -
नतेभ्यः सर्वदा भक्त्या चण्डिके दुरितापहे ।
रुपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
27. स्वर्ग और मोक्ष की प्राप्ति के लिये मंत्र -
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी ।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तयः ॥
28. स्वर्ग और मुक्ति के लिये मंत्र -
सर्वस्य बुद्धिरुपेण जनस्य हृदि संस्थिते ।
स्वर्गापवर्गदे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते ॥
29. मोक्ष की प्राप्ति के लिये मंत्र -
त्वं वैष्णवी शक्तिरनन्तवीर्या
विश्वस्य बीजं परमासि माया ।
सम्मोहितं देवि समस्तमेतत्
त्वं वै प्रसन्ना भुवि मुक्तिहेतुः ॥
30. स्वप्न में सिद्धि-असिद्धि जानने के लिये मंत्र -
दुर्गे देवि नमस्तुभ्यं सर्वकामार्थसाधिके ।
मम सिद्धिमसिद्धिं वा स्वप्ने सर्वं प्रदर्शय ॥
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प्रिया सदा. बिल्वपत्रं प्रयच्छमि पवित्रं ते सुरेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः बिल्वपत्राणि समर्पयामि॥ (15.)धूप समर्पण (Dhoop Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को धूप अर्पित करें। दशांग गुग्गुला धुपं चंदनगारू संयुतम। समर्पितं मया भक्त्या महादेवी! प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः धूपमाघ्घ्रापयमि समर्पयामि॥ (16.) दीप समर्पण (Deep Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को दीप अर्पित करें। घृतवर्त्तिसमायुक्तं महतेजो महोज्ज्वलम्। दीपं दास्यामि देवेषी! सुप्रीता भव सर्वदा॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं समर्पयामि॥ (17.) नैवेद्य (Naivedya) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नैवेद्य अर्पित करें। अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षडभिः समन्वितम्। नैवेद्य गृह्यतम देवि! भक्ति मे ह्यचला कुरु॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि॥ (18.) ऋतुफला (Rituphala) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को ऋतुफल अर्पित करें। द्राक्षाखर्जुरा कदलीफला समग्रकपीठकम। नारिकेलेक्षुजाम्बदि फलानि प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ऋतुफलनि समर्पयामि॥ (19.) आचमन (Achamana) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आचमन के लिए जल अर्पित करें। कामारिवल्लभे देवि करवाचमनमम्बिके। निरंतररामहम वन्दे चरणौ तव चंडिके॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥ (20.) नारिकेल समर्पण (Narikela Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नारिकेल (नारियल) अर्पित करें। नारिकेलम च नारंगिम कलिंगमंजीरं त्वा। उर्वारुक च देवेषि फलन्येतानि गह्यताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नारिकेलं समर्पयामि॥ (21.) तंबुला (Tambula) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को ताम्बूल (पान और सुपारी) अर्पित करें। एलालवंगं कस्तूरी कर्पूरैः पुष्पवसीतम। विटिकं मुखवसार्थ समर्पयामि सुरेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि॥ (22.) दक्षिणा (Dakshina) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को दक्षिणा (उपहार) अर्पित करें। पूजा फल समृद्धियर्था तवग्रे स्वर्णमीश्वरी। स्थापितम् तेन मे प्रीता पूर्णं कुरु मनोरथम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दक्षिणं समर्पयामि॥ (23.) पुस्तक पूजा एवं कन्या पूजन (Book worship and girl worship) (A.) पुस्तक पूजा (Pustak) दक्षिणा अर्पित करने के पश्चात, अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए दुर्गा पूजा के दौरान उपयोग में आने वाली पुस्तकों की पूजा करें। नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृतियै भद्रयै नियतः प्रणतः स्मतम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुस्तक पूजयामि॥ (B.) दीप पूजा (Deep Puja) पुस्तकों की पूजा के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए दुर्गा पूजा के दौरान दीप जलाएं और दीप देव की पूजा करें। शुभम् भवतु कल्याणमारोग्यं पुष्टिवर्धनम्। आत्मतत्त्व प्रबोधाय दीपज्योतिर्नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं पूजयामि॥ (C.) कन्या पूजन (Kanya Pujan) दुर्गा पूजा के दौरान कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। इसलिए दुर्गा पूजा के बाद कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है और दक्षिणा यानी उपहार दिए जाते हैं। कन्याओं को दक्षिणा देते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। सर्वस्वरूपे! 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दुर्गा माँ मंत्र देवी दुर्गा की शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए एक शक्तिशाली मंत्र है। यह Durga Mantra for Protection भक्तों को बुराई, संकटों और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति दिलाता है, मानसिक शांति और सुरक्षा प्रदान करता है। Devi Durga Powerful Mantra न केवल दुर्गा माँ के प्रति आस्था को बढ़ाता है, बल्कि यह जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और पॉजिटिव एनर्जी लाने में सहायक होता है। Durga Beej Mantra और Mantra to Remove Negativity विशेष रूप से उन भक्तों के लिए प्रभावी हैं जो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन चाहते हैं। यह मंत्र Maa Durga Aarti और दुर्गा सप्तशती के पाठ के साथ और अधिक फलदायक होता है। Durga Maa Ki Puja और Mantra for Peace and Security का नियमित जाप जीवन में सुख, शांति और आध्यात्मिक उन्नति का अनुभव कराता है।Mantra