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Bhadrakali Stuti || भद्रकाली स्तुति : स्वयं ब्रह्मा-विष्णु द्वारा रचित भद्रकाली स्तुति ; माँ की अगाध कृपा हेतु ; Full Lyrics
Bhadrakali Stuti (भद्रकाली स्तुति)
भद्रकाली स्तुति (Bhadrakali Stuti) देवी भद्रकाली (Goddess Bhadrakali) की महिमा का वर्णन करने वाला पवित्र स्तोत्र (sacred hymn) है। इसका पाठ (recitation) करने से नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) और बुरी शक्तियों (evil forces) से सुरक्षा मिलती है। यह स्तुति देवी के रक्षात्मक (protective) और उग्र (fierce) रूप की आराधना करती है, जो भक्तों को भय (fear) और बाधाओं (obstacles) से मुक्त करती है। भद्रकाली स्तुति का नियमित पाठ जीवन में सुख (happiness), शांति (peace) और समृद्धि (prosperity) लाता है। यह देवी के आशीर्वाद (blessings of Goddess) प्राप्त करने और आध्यात्मिक शक्ति (spiritual power) को बढ़ाने का मार्ग है।भद्रकालीस्तुति (Bhadrakali Stuti)
ब्रह्मविष्णू ऊचतुः
नमामि त्वां विश्वकर्जी परेशीं नित्यामाद्यां सत्यविज्ञानरूपाम् ।
वाचातीतां निर्गुणां चातिसूक्ष्मां ज्ञानातीतां शुद्धविज्ञानगम्याम् ॥ १ ॥
पूर्णां शुद्धां विश्वरूपां सुरूपां देवीं वन्द्यां विश्ववन्द्यामपि त्वाम् ।
सर्वान्तःस्थामुत्तमस्थानसंस्थामीडे कालीं विश्वसम्पालयित्रीम् ॥ २ ॥
मायातीतां मायिनीं वापि मायां भीमां श्यामां भीमनेत्रां सुरेशीम् ।
विद्यां सिद्धां सर्वभूताशयस्था- मीडे कालीं विश्वसंहारकर्त्रम् ॥ ३ ॥
नो ते रूपं वेत्ति शीलं न धाम नो वा ध्यानं नापि मन्त्रं महेशि।
सत्तारूपे त्वां प्रपद्ये शरण्ये विश्वाराध्ये सर्वलोकैकहेतुम् ॥ ४ ॥
द्यौस्ते शीर्ष नाभिदेशो नभश्च चक्षूषि ते चन्द्रसूर्यानलास्ते ।
उन्मेषास्ते सुप्रबोधो दिवा च रात्रिर्मातश्चक्षुषोस्ते निमेषम् ॥ ५ ॥
वाक्यं देवा भूमिरेषा नितम्बं पादौ गुल्फं जानुजङ्घस्त्वधस्ते ।
प्रीतिर्धर्मोऽधर्मकार्य हि कोपः सृष्टिर्बोधः संहृतिस्ते तु निद्रा ॥ ६ ॥
अग्निजिह्वा ब्राह्मणास्ते मुखाब्जं संध्ये द्वे ते भ्रूयुगं विश्वमूर्तिः ।
श्वासो वायुर्बाहवो लोकपालाः क्रीडा सृष्टिः संस्थितिः संहृतिस्ते ॥ ७ ॥
एवंभूतां देवि विश्वात्मिकां त्वां कालीं वन्दे ब्रह्मविद्यास्वरूपाम् ।
 मातः पूर्णे दुर्गेऽपारे ब्रह्मविज्ञानगम्ये साररूपे प्रसीद ॥ ८ ॥
॥ इति श्रीमहाभागवते महापुराणे ब्रह्मविष्णुकृता भद्रकालीस्तुतिः सम्पूर्णा ॥
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