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Shri Kali Mahamantra || श्री काली महामंत्र : Very Effective and Powerful Kali Mantra : माँ काली का शक्तिशाली मंत्र
Shri Kali Mahamantra (श्री काली महामंत्र)
श्री Kali Mahamantra अद्भुत divine energy से युक्त है, जो भय, नकारात्मकता और शत्रुओं का नाश करता है। यह spiritual chant व्यक्ति को आत्मविश्वास, शक्ति और रक्षा प्रदान करता है। Goddess Kali blessings पाने के लिए इस मंत्र का जाप अमावस्या, नवरात्रि, काली पूजा या किसी भी powerful spiritual event पर करना अत्यंत लाभकारी होता है। यह मंत्र negative energy removal में सहायक होता है और साधक को मानसिक शांति देता है। Divine vibrations उत्पन्न करने वाला यह मंत्र बाधाओं को समाप्त कर सफलता दिलाने में सहायक होता है। यह protection mantra व्यक्ति के जीवन में शक्ति और साहस भरता है। ध्यान और साधना के दौरान इस sacred mantra का उच्चारण करने से गहरी आध्यात्मिक अनुभूति होती है। Positive aura उत्पन्न करने के लिए इसे रात में जपना अधिक प्रभावी माना जाता है।श्री काली महामंत्र (Shri Kali Mahamantra)
एकाक्षरी काली मंत्र:
ॐ क्रीं
यह माँ काली का एकाक्षरी मंत्र है। इसे माँ के सभी स्वरूपों की आराधना, उपासना और साधना में जपा जा सकता है। माँ काली का यह एकाक्षरी मंत्र माँ चिंतामणि काली का विशेष मंत्र भी माना जाता है।
त्रयाक्षरी काली मंत्रः
ॐ क्रीं हूं ह्रीं ॥
माँ काली की साधना और उनके प्रचंड रूपों की आराधना के लिए यह त्रयाक्षरी मंत्र विशेष है। एकाक्षरी और त्रयाक्षरी मंत्रों को तांत्रिक साधना के मंत्रों के पहले और बाद में संपुट की तरह भी जोड़ा जा सकता है।
पंचाक्षरी काली मंत्रः
ॐ क्रीं हूं हीं हूँ फट् ॥
माना जाता है कि इस पंचाक्षरी मंत्र का प्रतिदिन प्रातःकाल १०८ बार जाप करने से माँ काली साधक के सभी दुखों का निवारण करके उसके यहाँ धन-धान्य की वृद्धि करती हैं। पारिवारिक शांति के लिए भी इस मंत्र का जाप किया जाता है।
षडाक्षरी काली मंत्रः
ॐ क्रीं कालिके स्वाहा ॥
इस षडाक्षरी मंत्र का जाप सम्मोहन और अन्य तांत्रिक सिद्धियों के लिए किया जाता है। इसे अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है, जो तीनों लोकों को मोहित करने की क्षमता रखता है। यह मंत्र तांत्रिक साधकों के बीच विशेष रूप से प्रतिष्ठित है, और इसका प्रभाव अद्वितीय है।
सप्ताक्षरी काली मंत्रः
ॐ हूँ ह्रीं हूँ फट् स्वाहा॥
इस मंत्र को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए अत्यंत कारगर माना जाता है। यह साधकों को जीवन के चारों पुरुषार्थों को प्राप्त करने में सहायक सिद्ध होता है।
श्री दक्षिण काली के २२ अक्षरी मंत्रः
ॐ क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं हूँ हूँ ह्रीं ह्रीं स्वाहा ॥
इस मंत्र के माध्यम से दक्षिण काली का आह्वान किया जाता है, विशेष रूप से शत्रुओं के विनाश के लिए। साधक इस मंत्र का जाप करके माँ काली की साधना करते हैं और सिद्धि प्राप्त करते हैं। तंत्र विद्या में माँ काली की साधना के लिए यह मंत्र अत्यंत लोकप्रिय है।
इस मंत्र का तात्पर्य यह है कि परमेश्वरी स्वरूप, जगत जननी, महाकाली महामाया माँ, मेरे दुखों को दूर करें, शत्रुओं का नाश करें और अज्ञानता का अंधकार मिटाकर ज्ञान का प्रकाश फैलाएँ। माँ काली ज्ञान, मोक्ष और शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी हैं। उनकी कृपा से समस्त दुर्भाग्य दूर हो जाते हैं, और साधक को जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।
महाकाली मंत्रः
"सात पुनम कालका, बारह बरस क्कांर।
एको देवि जानिए, चौदह भुवन द्वार।।
द्वि-पक्षे निर्मलिए, तेरह देवन देव।
अष्टभुजी परमेश्वरी, ग्यारह रूद्र सेव ।।
सोलह कला सम्पुर्णी, तीन नयन भरपुर।
दशों द्वारी तू ही माँ, पांचों बाजे नूर ।।
नव-निधि षट्-दर्शनी, पंद्रह तिथि जान।
चारों युग मे काल का कर काली कल्याण।।"
अघोर काली मंत्र
ओम गांब के पछिम पीपर के गाछ,
ताहि चढि काली करे हाँक ।
नगन में पूजे चक्र, महा-मांस भखै ।
आपन जियाबे, पराया खाय ।
एनैकर दीठ, ओने कर पीठ ।
बायें चारों काली ।
सत्य छोड असत्य भाखै,
असिया कोट नरक में परइ। सत्य प्रत्यख्य ।।
भद्रकाली मंत्र
ॐ सिंहो दत्तो बिकोवा धडित धडधडात
ध्यायमान भवानी दैत्यानाम देह-नाशनम तोड़यन्ति,
सिरांसी रक्ता पिबन्ति,
घुटत घुट-घुटात घुटेयन्ति, पिशाचा त्रिहाप-त्रिहाप हसंती,
खदत-खद - खदात त्रिरोष मम भद्रकाली ९
नाथ ८४ सिद्धन के बीच में बैठ कर,
काली भद्रकाली रूद्र काली मंत्र हुम् स्वाहा ॥
भद्रकाली मंत्र
ॐ ह्रौं काली महाकाली किलिकिले फट् स्वाहा ॥
श्मशान काली मंत्र
ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं कालिके क्लीं श्रीं ह्रीं ऐं ॥
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त्रिपुर भैरवी माता को दस महाविद्याओं में से पांचवीं महाविद्या के रूप में जाना जाता है। यह कवच देवी भैरवी की साधना के लिए समर्पित है। त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ साधक के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। इसे पढ़ने से जीवनयापन और व्यवसाय में अत्यधिक वृद्धि होती है। भले ही साधक दोनों हाथों से खर्च करे, लेकिन त्रिपुर भैरवी कवच का पाठ करने से धन की कोई कमी नहीं होती। इस कवच का पाठ करने से शरीर में आकर्षण उत्पन्न होता है, आँखों में सम्मोहन रहता है, और स्त्रियाँ उसकी ओर आकर्षित होती हैं। साधक बच्चों से लेकर वरिष्ठ मंत्री तक सभी को सम्मोहित कर सकता है। यदि त्रिपुर भैरवी यंत्र को कवच पाठ के दौरान सामने रखा जाए, तो साधक में सकारात्मक ऊर्जा का संचार शुरू हो जाता है। उसका आत्मविश्वास बढ़ने लगता है, जिससे वह हर कार्य में सफलता प्राप्त करता है। यह भी देखा गया है कि इस कवच का पाठ करने और त्रिपुर भैरवी गुटिका धारण करने से प्रेम जीवन की सभी बाधाएँ दूर होने लगती हैं। साधक को इच्छित वधु या वर से विवाह का सुख प्राप्त होता है। अच्छे जीवनसाथी का साथ मिलने से जीवन सुखमय हो जाता है।Kavacha