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Shri Jwala-Kali Devi Ji Arti || श्रीज्वाला-काली देवीजी की आरती : Divine Hymn to Goddess Kali and Jwala
Shri Jwala-Kali Devi Ji Arti (श्रीज्वाला-काली देवीजी की आरती )
श्री ज्वाला देवी काली जी की आरती माँ काली और माँ ज्वाला की अद्वितीय शक्ति, तात्त्विक, और रौद्र रूप की स्तुति करती है। इसमें Maa Kali, जिन्हें Mahakali और Jwalamukhi के नाम से भी जाना जाता है, की रक्षा और बुराई का नाश करने वाली शक्ति का वर्णन है। आरती में माँ से संसार के दुख, भय और बुराई को नष्ट करने की प्रार्थना की जाती है।श्री ज्वाला-काली देवीजी की आरती
‘मंगल' की सेवा, सुन मेरी देवा! हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़े।
पान-सुपारी, ध्वजा-नारियल ले ज्वाला तेरी भेंट धरे॥
सुन जगदम्बे न कर बिलंबे संतनके भंडार भरे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जै काली कल्याण करे॥१॥टेक॥
‘बुद्ध’ विधाता तू जगमाता मेरा कारज सिद्ध करे।
चरण-कमलका लिया आसरा शरण तुम्हारी आन परे॥
जब-जब भीर पड़े भक्तनपर तब-तब आय सहाय करे।
संतन प्रतिपाली०॥ २॥
“गुरु 'के बार सकल जग मोह्यो तरुणीरूप अनूप धरे।
माता होकर पुत्र खिलाबै, कहीं भार्या भोग करे॥
'शुक्र' सुखदाई सदा सहाई संत खड़े जयकार करे।
संतन प्रतिपाली०॥ ३॥
ब्रह्मा विष्णु महेस फल लिये भेंट देन तब द्वार खड़े।
अटल सिंहासन बैठी माता सिर सोनेका छत्र फिरे॥
वार 'शनिश्चर' कुंकुम बरणी, जब लुंकड़पर हुकुम करे।
संतन प्रतिपाली०॥ ४॥
खड्ग खपर त्रैशूल हाथ लिये रक्तबीजकूँ भस्म करे।
शुंभ निशुंभ क्षणहिमें मारे महिषासुरको पकड़ दले॥
‘आदित' वारी आदि भवानी जन अपनेका कष्ट हरे।
संतन प्रतिपाली०॥ ५॥
कुपित होय कर दानव मारे चण्ड मुण्ड सब चूर करे।
जब तुम देखो दयारूप हो, पलमें संकट दूर टरे॥
‘सोम’ स्वभाव धर्यो मेरी माता जनकी अर्ज कबूल करे।
संतन प्रतिपाली०॥ ६॥
सात बारकी महिमा बरनी सब गुण कौन बखान करे।
सिंहपीठपर चढ़ी भवानी अटल भवनमें राज्य करे॥
दर्शन पावें मंगल गावें सिध सांधक तेरी भेंट धरे।
संतन प्रतिपाली०॥ ७॥
ब्रह्म वेद पढ़े तेरे द्वारे शिवशंकर हरि ध्यान करे।
इन्द्र कृष्ण तेरी करैं आरती चमर कुबेर डुलाय करे॥
जय जननी जय मातु भवानी अचल भवनमें राज्य करे।
संतन प्रतिपाली सदा खुशाली जय काली कल्याण करे॥ ८ ॥
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