Nagula Chavithi (नागुला चविथि) Date:- 2024-11-04

Nagula Chavithi (नागुला चविथि) Date:- 2024-11-04नागुला चविथि कब और कैसे मनाई जाती है? नागुला चविथि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार मुख्यतः दक्षिण भारत में विशेषकर आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मनाया जाता है। इस दिन लोग नाग देवता की पूजा करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं। नागुला चविथि का पौराणिक महत्व क्या है? नागुला चविथि का पौराणिक महत्व नाग देवता और उनकी पूजा से जुड़ा है। यह माना जाता है कि नाग देवता की पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। इस दिन विशेषकर महिलाएं अपने परिवार की सुरक्षा और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और नाग देवता की पूजा करती हैं। नागुला चविथि की तैयारी कैसे होती है? नागुला चविथि की तैयारी में लोग विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। घरों और मंदिरों को सजाया जाता है और नाग देवता की मूर्तियों की पूजा की जाती है। इस दौरान लोग विशेष पकवान बनाते हैं और उन्हें नाग देवता को अर्पित करते हैं। नागुला चविथि का उत्सव कैसे मनाया जाता है? नागुला चविथि के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं। दिन भर वे नाग देवता की पूजा करते हैं और विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दौरान महिलाएं विशेष रूप से व्रत रखती हैं और नाग देवता की कथा सुनती हैं। नागुला चविथि का समग्र महत्व क्या है? नागुला चविथि केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।

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Shri Rudrashtakam Stotra (श्रीरुद्राष्टकम्)

सनातन धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि शिव जी आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। यदि कोई भक्त श्रद्धा पूर्वक उन्हें केवल एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। यदि आप शिव जी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं 'श्री शिव रूद्राष्टकम' का पाठ करना चाहिए। 'शिव रुद्राष्टकम' अपने-आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से शिव जी बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश पल भर में करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था।
Stotra

Shri Hanuman Praarthana Shlok (श्री हनुमत्‌ प्रार्थना श्लोक)

श्री हनुमान प्रार्थना श्लोक Lord Hanuman की Sacred Prayer है, जो उन्हें Symbol of Strength, Devotion, और Courage के रूप में Glorify करता है। यह Shloka Bajrangbali को Protector from Evil, Remover of Obstacles, और Divine Guardian मानकर उनकी Worship करता है। Hanuman Chalisa और यह Mantra Chanting करने से Positive Energy, Success, और Fearlessness प्राप्त होती है। Best Time to Chant: ...Tuesdays और Saturdays को Hanuman Ji की Aradhana करने से Spiritual Growth और Blessings मिलती हैं। ...Hanuman Jayanti, Ram Navami, और Navratri में यह Shloka विशेष रूप से Auspicious होता है।
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Mahamrityunjaya Mantra (संपूर्ण महामृत्युंजय मंत्र)

महामृत्युंजय मंत्र का उल्लेख Rigveda से लेकर Yajurveda तक में मिलता है। वहीं Shiv Puran सहित अन्य scriptures में भी इसका importance बताया गया है। संस्कृत में महामृत्युंजय उस व्यक्ति को कहते हैं जो death को जीतने वाला हो। इसलिए Lord Shiva की स्तुति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का chanting किया जाता है। इसके chanting से संसार के सभी sufferings से liberation मिलती है। ये मंत्र life-giving है। इससे vitality तो बढ़ती ही है साथ ही positivity बढ़ती है। महामृत्युंजय मंत्र के effect से हर तरह का fear और tension खत्म हो जाती है। Shiv Puran में उल्लेख किए गए इस मंत्र के chanting से आदि शंकराचार्य को भी life की प्राप्ति हुई थी।
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