Sharad Purnima (शरद पूर्णिमा) Date :- 17.10.2024

Sharad Purnima (शरद पूर्णिमा) 2024 Date :- 17.10.2024 शरद पूर्णिमा शुभ मुहूर्त 2024 ( Sharad Purnima Shubh Muhurat 2024) शरद पूर्णिमा 2024 में 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन शरद पूर्णिमा तिथि सुबह 8 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 17 अक्टूबर की शाम 5 बजे होगा। इस दिन शाम के समय में पूजा करना शुभ होगा। शरद पूर्णिमा महत्व ( Sharad Purnima Importance) पौराणिक कथाओं के अनुसार शरद पूर्णिमा को शीत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि बहुत सुन्दर होती है। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात को अमृत बरसता है, यही वजह है कि लोग रात को आसमान के नीचे बर्तन में खीर रखते हैं और अगली सुबह स्नान के बाद इसे खाते हैं। यह भी माना जाता है कि इस वस्तु को चांदी के पात्र में रखना चाहिए। इस दिन खीर खाने से साकारात्मक ऊर्जा आती है। शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी की पूजा करने से धन की वर्षा होती है।शरद पूर्णिमा कब और कैसे मनाई जाती है? शरद पूर्णिमा आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह त्योहार मुख्यतः भारत में मनाया जाता है और विशेषकर उत्तर भारत में इसका विशेष महत्व है। इस दिन लोग भगवान चंद्रमा की पूजा करते हैं और चांदनी रात का आनंद लेते हैं। शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व क्या है? शरद पूर्णिमा का पौराणिक महत्व भगवान चंद्रमा और उनके अमृतमय किरणों से जुड़ा है। कथा के अनुसार, इस दिन चंद्रमा की किरणें अमृतमयी होती हैं और इनका सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। इसलिए इस दिन लोग रात में खीर बनाकर चांदनी में रखते हैं और फिर उसका सेवन करते हैं। शरद पूर्णिमा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? शरद पूर्णिमा का धार्मिक महत्व भगवान चंद्रमा की पूजा और उनके आशीर्वाद से जुड़ा है। इस दौरान लोग व्रत रखते हैं और भगवान चंद्रमा की विशेष पूजा करते हैं। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, शरद पूर्णिमा एक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह उत्सव भगवान चंद्रमा के प्रति श्रद्धा और विश्वास को दर्शाता है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। शरद पूर्णिमा की तैयारी कैसे होती है? शरद पूर्णिमा की तैयारी में लोग विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करते हैं। घरों और मंदिरों को सजाया जाता है और भगवान चंद्रमा की मूर्तियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। लोग इस दौरान विशेष पकवान बनाते हैं और उन्हें भगवान चंद्रमा को अर्पित करते हैं। शरद पूर्णिमा का उत्सव कैसे मनाया जाता है? शरद पूर्णिमा के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं। दिन भर वे भगवान चंद्रमा की पूजा करते हैं और रात में चांदनी का आनंद लेते हैं। इस दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती है और चंद्रमा की किरणों से लाभ लेने के लिए खीर बनाई जाती है और चांदनी में रखी जाती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में शरद पूर्णिमा कैसे मनाई जाती है? भारत के विभिन्न हिस्सों में शरद पूर्णिमा को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में भी इसे उतने ही उत्साह से मनाया जाता है। पश्चिम भारत में भी लोग भगवान चंद्रमा की पूजा और व्रत रखते हैं, जबकि पूर्वी भारत में इस दिन का विशेष महत्व होता है। शरद पूर्णिमा का समग्र महत्व क्या है? शरद पूर्णिमा केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, शरद पूर्णिमा का उत्सव न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीयों द्वारा बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमें अपने जीवन में खुशियों, समृद्धि और शांति की ओर अग्रसर करता है और समाज में एकजुटता और प्रेम का संदेश फैलाता है।

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Shri Navagrah Chalisa (श्री नवग्रह चालीसा)

श्री नवग्रह चालीसा एक भक्ति गीत है जो नवग्रह पर आधारित है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में सूर्य, चन्द्र, मङ्गल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु, इन नौ ग्रहों के समूह को नवग्रह कहाँ जाता है।
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Lakshmi Puja Vidhi (लक्ष्मी पूजा विधि)

Goddess Lakshmi Puja के लिए सबसे पहले clean altar पर Lakshmi Mata और Lord Ganesha की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। Kalash Sthapana करें, जिसमें Ganga Jal, betel leaves, coins, और rice grains डालें। फिर incense sticks, diya lighting, और fresh flowers अर्पित कर Shodashopachara Puja विधि से Goddess Lakshmi की पूजा करें। Kumkum, turmeric, sandalwood paste, और sweets अर्पित करने से divine blessings प्राप्त होती हैं। पूजा के दौरान Lakshmi Gayatri Mantra, Shri Sukta, और Kanakdhara Stotra का पाठ करना शुभ माना जाता है, जिससे financial prosperity और wealth abundance प्राप्त होती है। विशेष रूप से Diwali, Dhanteras, Sharad Purnima, Akshaya Tritiya, Kojagari Purnima, और Navratri पर Lakshmi Puja करना अत्यंत शुभ होता है। इन अवसरों पर Goddess Lakshmi की कृपा से luck, prosperity, और success in career प्राप्त होती है। New Business Opening, Housewarming Ceremony, और Financial Year Beginning पर भी यह पूजा करने से positive energy और monetary benefits मिलते हैं।
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Shri Annapurna Stotram (श्रीअन्नपूर्णा स्तोत्रम् )

श्री अन्नपूर्णा स्तोत्रम् (Shri Annapurna Stotram) देवी अन्नपूर्णा (Goddess Annapurna) को समर्पित एक पवित्र स्तोत्र (sacred hymn) है। देवी अन्नपूर्णा को अन्न (food), धन (wealth), और समृद्धि (prosperity) की देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों को कभी भूखा नहीं रहने देतीं। यह स्तोत्र भक्ति (devotion) और समर्पण (dedication) के साथ पढ़ने से जीवन में अन्न, शांति (peace), और खुशहाली (happiness) का आशीर्वाद मिलता है। देवी अन्नपूर्णा, भगवान शिव (Lord Shiva) की अर्धांगिनी (consort), करुणा (compassion) और दया (mercy) का प्रतीक हैं। इस स्तोत्र का नियमित पाठ (recitation) से भौतिक और आध्यात्मिक सुख (spiritual bliss) की प्राप्ति होती है।
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Shri Shardha Chalisa (श्री शारधा चालीसा)

श्री शारदा चालीसा देवी माँ शारदा को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है। इसका पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति, और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। Saraswati, जिन्हें Goddess of Knowledge कहा जाता है, का यह स्तोत्र भक्तों को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करता है।
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Durga Saptashati Chapter 13 (दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं

दुर्गा सप्तशति त्रयोदशोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला तेरहवां अध्याय है।
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Shri Shakambhari Chalisa (श्री शाकम्भरी चालीसा)

श्री शकंभरी चालीसा देवी शकंभरी माँ को समर्पित एक शक्तिशाली प्रार्थना है। Shakambhari, जिन्हें Goddess of Nourishment के रूप में पूजा जाता है, का आशीर्वाद सभी कष्टों से मुक्ति, सुख-समृद्धि, और दुर्लभ चीजों के प्राप्ति में सहायक है।
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Shiva Puja Vidhi (शिव पूजा विधि)

चाहे सावन सोमवार हो या शिवरात्रि हो या अन्‍य कोई व्रत या त्‍यौहार हो जिसमें आपको शिव जी की पूजा करनी होती है तब आप पूजा करते तो है पर आपको पूरी शिव पूजा विधि नहीं पता होती है कि कोई पूजा किस तरीके करनी है, क्‍या सामग्री लगेगी महादेव पूजा में और कब क्‍या करना होता है यह नहीं पता होता है तो यहाँ हम आपको भगवान शिव जी की संपूर्ण पूजा विधि पंडित जी अनुसार बताने जा रहे हैं। जिससे आप पंडित द्वारा की जाने की विधि को श्‍‍लोक, मंत्र सहित जान पाएंगें और पूजा को विधि विधान से कर पाएंगे।
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