No festivals today or in the next 14 days. 🎉
Gita Govindam trutiyah sargah - Mugdh Madhusudanah (गीतगोविन्दं तृतीयः सर्गः - मुग्ध मधुसूदनः)
गीतगोविन्दं तृतीयः सर्गः - मुग्ध मधुसूदनः
(Gita Govindam trutiyah sargah - Mugdh Madhusudanah)
॥ तृतीयः सर्गः ॥
॥ मुग्धमधुसूदनः ॥
कंसारिरपि संसारवासनाबन्धशृङ्खलाम् ।
राधामाधाय हृदये तत्याज व्रजसुन्दरीः ॥ 18 ॥
इतस्ततस्तामनुसृत्य राधिका-मनङ्गबाणव्रणखिन्नमानसः ।
कृतानुतापः स कलिन्दनन्दिनी-तटान्तकुञ्जे विषसाद माधवः ॥ 19 ॥
॥ गीतं 7 ॥
मामियं चलिता विलोक्य वृतं वधूनिचयेन ।
सापराधतया मयापि न वारितातिभयेन ॥
हरि हरि हतादरतया गता सा कुपितेव ॥ 1 ॥
किं करिष्यति किं वदिष्यति सा चिरं विरहेण ।
किं धनेन जनेन किं मम जीवनेन गृहेण ॥ 2 ॥
चिन्तयामि तदाननं कुटिलभ्रु कोपभरेण ।
शोणपद्ममिवोपरि भ्रमताकुलं भ्रमरेण ॥ 3 ॥
तामहं हृदि सङ्गतामनिशं भृशं रमयामि ।
किं वनेऽनुसरामि तामिह किं वृथा विलपामि ॥ 4 ॥
तन्वि खिन्नमसूयया हृदयं तवाकलयामि ।
तन्न वेद्मि कुतो गतासि न तेन तेऽनुनयामि ॥ 5 ॥
दृश्यते पुरतो गतागतमेव मे विदधासि ।
किं पुरेव ससम्भ्रमं परिरम्भणं न ददासि ॥ 6 ॥
क्षम्यतामपरं कदापि तवेदृशं न करोमि ।
देहि सुन्दरि दर्शनं मम मन्मथेन दुनोमि ॥ 7 ॥
वर्णितं जयदेवकेन हरेरिदं प्रवणेन ।
किन्दुबिल्वसमुद्रसम्भवरोहिणीरमणेन ॥ 8 ॥
हृदि बिसलताहारो नायं भुजङ्गमनायकः कुवलयदलश्रेणी कण्ठे न सा गरलद्युतिः ।
मलयजरजो नेदं भस्म प्रियारहिते मयि प्रहर न हरभ्रान्त्यानङ्ग क्रुधा किमु धावसि ॥ 20 ॥
पाणौ मा कुरु चूतसायकममुं मा चापमारोपय क्रीडानिर्जितविश्व मूर्छितजनाघातेन किं पौरुषम् ।
तस्या एव मृगीदृशो मनसिजप्रेङ्खत्कटाक्षाशुग-श्रेणीजर्जरितं मनागपि मनो नाद्यापि सन्धुक्षते ॥ 21 ॥
भ्रूचापे निहितः कटाक्षविशिखो निर्मातु मर्मव्यथां श्यामात्मा कुटिलः करोतु कबरीभारोऽपि मारोद्यमम् ।
मोहं तावदयं च तन्वि तनुतां बिम्बादरो रागवान् सद्वृत्तस्तनमण्दलस्तव कथं प्राणैर्मम क्रीडति ॥ 22 ॥
तानि स्पर्शसुखानि ते च तरलाः स्निग्धा दृशोर्विभ्रमा-स्तद्वक्त्राम्बुजसौरभं स च सुधास्यन्दी गिरां वक्रिमा ।
सा बिम्बाधरमाधुरीति विषयासङ्गेऽपि चेन्मानसं तस्यां लग्नसमाधि हन्त विरहव्याधिः कथं वर्धते ॥ 23 ॥
भ्रूपल्लवं धनुरपाङ्गतरङ्गितानि बाणाः गुणः श्रवणपालिरिति स्मरेण ।
तस्यामनङ्गजयजङ्गमदेवतायां अस्त्राणि निर्जितजगन्ति किमर्पितानि ॥ 24 ॥
[एषः श्लोकः केषुचन संस्करणेषु विद्यते]
तिर्यक्कण्ठ विलोल मौलि तरलोत्तं सस्य वंशोच्चरद्-
दीप्तिस्थान कृतावधान ललना लक्षैर्न संलक्षिताः ।
सम्मुग्धे मधुसूदनस्य मधुरे राधामुखेन्दौ सुधा-
सारे कन्दलिताश्चिरं दधतु वः क्षेमं कटाक्षोर्म्मय ॥ (25) ॥
॥ इति श्रीगीतगोविन्दे मुग्धमधुसूदनो नाम तृतीयः सर्गः ॥
Related to Krishna
Bhagavad Gita fourth chapter (भगवद गीता चौथा अध्याय)
भगवद गीता चौथा अध्याय "ज्ञान-कर्म-संन्यास योग" के रूप में जाना जाता है। इस अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ज्ञान, कर्म, और संन्यास के महत्व को समझाते हैं। वे बताते हैं कि कैसे ईश्वर के प्रति समर्पण और सच्चे ज्ञान के साथ किया गया कर्म आत्मा को शुद्ध करता है। श्रीकृष्ण यह भी समझाते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान समय-समय पर संतों और भक्तों को प्रदान किया है। यह अध्याय हमें सिखाता है कि "निष्काम कर्म" और "आध्यात्मिक ज्ञान" के बीच सामंजस्य कैसे स्थापित करें।Bhagwat-Gita
Aarti Shri Krishna Kanhaiya ki (श्री कृष्ण कन्हैया की आरती)
आरती श्री Krishna Kanhaiya की भगवान श्रीकृष्ण की divine glory और leela का गुणगान करती है। यह आरती उनके devotees को love, joy और spiritual enlightenment का अनुभव कराती है। Hindu religion में श्रीकृष्ण को God of love, compassion और dharma restoration का प्रतीक माना गया है। इस आरती का गान भक्तों के heart को positivity, peace और blessings से भर देता है। श्रीकृष्ण की पूजा troubles दूर करने और life में prosperity और happiness लाने के लिए की जाती है।Arti
Shrimad Bhagwad Gita Parayaan - Chapter 6 (श्रीमद्भगवद्गीता पारायण - षष्ठोऽध्यायः)
श्रीमद्भगवद्गीता पारायण के षष्ठोऽध्याय में कृष्ण ने अर्जुन को ध्यान योग की महत्ता समझाई है।Shrimad-Bhagwad-Gita-Parayaan
Shri Gopal Chalisa (श्री गोपाल चालीसा)
गोपाल चालीसा एक भक्ति गीत है जो भगवान गोपाल पर आधारित है। गोपाल भगवान कृष्ण का ही एक और नाम है। गोपाल का अर्थ है गौ रक्षक। Gopal Chalisa का जाप भगवान गोपाल की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इसे विशेष रूप से Krishna devotion और protection from evils के लिए पढ़ा जाता है।Chalisa
Shri Krishna Kavacham (Trilokya Mangal Kavacham) श्री कृष्ण कवचं (त्रैलोक्य मङ्गल कवचम्)
श्री कृष्ण कवचं, जिसे त्रैलोक्य मङ्गल कवचम् भी कहा जाता है, भगवान कृष्ण के आशीर्वादों को तीनों लोकों में सुरक्षा और कल्याण के लिए बुलाने वाला एक पवित्र स्तोत्र है। इस शक्तिशाली मंत्र का जाप करने से सुरक्षा और आध्यात्मिक समृद्धि सुनिश्चित होती है।Kavacha
Shri Narayana Ashtakam stotra (श्रीनारायणाष्टकम्)
श्री नारायण अष्टकम् (Shri Narayan Ashtakam): हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, नियमित रूप से श्री नारायण अष्टकम् का जप करना भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली उपाय है। जो लोग भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।Stotra
Uddhava Gita - Chapter 2 (उद्धवगीता - द्वितीयोऽध्यायः)
उद्धवगीता के द्वितीयोऽध्याय में उद्धव और कृष्ण की चर्चा का विस्तार होता है, जिसमें भक्तियोग और ज्ञानयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया है।Uddhava-Gita
Panduranga Ashtkam (श्री पांडुरंग अष्टकम्)
श्री पांडुरंग अष्टकम् भगवान विट्ठल की स्तुति करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है। यह स्तोत्र भक्तों को पांडुरंग की कृपा और भक्ति का अनुभव करने में मदद करता है।Ashtakam