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Manidweep varnan - 1 (Devi Bhagavatam) मणिद्वीप वर्णन - 1 (देवी भागवतम्)
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Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 5 Chapter(पाँचवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का पांचवां अध्याय " देवी का दूत से संवाद " पर आधारित है ।Durga-Saptashati
Shri Devi Chandi Kavach (श्री देवी चण्डी कवच)
Chandi Kavach (चंडी कवच): Maa Chandi को Maa Durga का एक शक्तिशाली रूप माना जाता है। जो भी साधक Chandi Kavach का नियमित पाठ करता है, उसे Goddess of War Maa Chandi की असीम कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इस कवच के पाठ से साधक की आयु बढ़ती है और वह 100 वर्षों तक जीवित रह सकता है। Maa Chandi अपने भक्तों को Enemies, Tantra-Mantra और Evil Eye से बचाती हैं। इस कवच के निरंतर पाठ से जीवन की सारी Sorrows और Obstacles दूर होने लगती हैं। साधक को Happiness और Prosperity प्राप्त होती है।Kavacha
Durga Saptashati Siddha Samput Mantra (दुर्गा सप्तशती सिद्ध सम्पुट मंत्र)
Durga Saptashati Siddha Samput Mantra देवी दुर्गा की "Divine Power" और "Cosmic Energy" का आह्वान करता है, जो "Supreme Goddess" और "Protector of the Universe" के रूप में पूजा जाती हैं। यह मंत्र विशेष रूप से दुर्गा सप्तशती के "Sacred Protection" और "Victory over Evil" के रूप में प्रभावी होता है। इस मंत्र का जाप "Goddess Durga Prayer" और "Spiritual Protection Mantra" के रूप में किया जाता है। इसके नियमित पाठ से जीवन में "Positive Energy" का संचार होता है और व्यक्ति को "Divine Blessings" मिलती हैं। Durga Saptashati Siddha Samput Mantra का पाठ "Victory Prayer" और "Blessings for Prosperity" के रूप में किया जाता है। यह मंत्र मानसिक शांति, आत्मिक बल और "Inner Peace" को बढ़ाता है। इसका जाप करने से व्यक्ति को "Divine Protection" और "Spiritual Awakening" प्राप्त होती है। इस मंत्र से भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।MahaMantra
Durga Puja Vidhi (दुर्गा पूजा विधि)
दुर्गा पूजा विधि (Durga Puja Vidhi) हम नवरात्रि के दौरान मनाई जाने वाली दुर्गा पूजा विधि का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कर रहे हैं। दी गई पूजा विधि में षोडशोपचार (दुर्गा पूजा विधि) के सभी सोलह चरण शामिल हैं। (1.) ध्यान और आवाहन (Dhyana and Avahana) पूजा देवी दुर्गा के ध्यान और आह्वान से शुरू होनी चाहिए। देवी दुर्गा की मूर्ति के सामने आवाहन मुद्रा (दोनों हथेलियों को जोड़कर और दोनों अंगूठों को अंदर की ओर मोड़कर बनाई जाती है) दिखाकर निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। सर्वमंगला मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोअस्तु ते॥ ब्रह्मरूपे सदानंदे परमानंद स्वरूपिणी। द्रुत सिद्धिप्रदे देवि नारायणी नमोअस्तु ते॥ शरणागतदिनर्तपरितानपरायणे। सर्वस्यार्तिहारे देवी नारायणी नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आवाहनं समर्पयामि॥ (2.) आसन (Asana) देवी दुर्गा का आह्वान करने के बाद, अंजलि में पांच फूल लें (दोनों हाथों की हथेलियां जोड़कर) और उन्हें मूर्ति के सामने छोड़ दें तथा निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आसन प्रदान करें। अनेक रत्नसंयुक्तं नानामणिगणान्वितम्। कर्तस्वरमयं दिव्यमासनाम् प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आसनं समर्पयामि॥ (3.) पाद्य प्रक्षालन (Padya Prakshalana) देवी दुर्गा को आसन प्रदान करने के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए उनके पैर धोने के लिए जल अर्पित करें। गङ्गादि सर्वतीर्थेभ्यो मया प्रार्थनायाहृतम्। तोयमेतत्सुखस्पर्श पाद्यार्थम् प्रतिगृह्यताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पद्यं समर्पयामि॥ (4.) अर्घ्य समर्पण (Arghya Samarpan) पाद्य अर्पण के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को सुगंधित जल अर्पित करें। गंधपुष्पक्षतैरयुक्तमार्घ्यं संपादितं मया। गृहाणा त्वं महादेवी प्रसन्न भव सर्वदा॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अर्घ्यं समर्पयामि॥ (5.) आचमन समर्पण (Achamana Samarpan) अर्घ्य देने के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आचमन हेतु जल अर्पित करें। अचम्यतम त्वया देवी भक्ति मे ह्याचलं कुरु। इप्सितं मे वरं देहि परतं च परम गतिम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥ (6.) स्नान (Snana) आचमन के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को स्नान के लिए जल अर्पित करें। पयोदधि घृतं क्षीरं सीताय च समन्वितम्। पंचामृतमनेनाद्य कुरु स्नानं दयानिधे॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः स्ननीयं जलं समर्पयामि॥ (7.) वस्त्र (Vastra) स्नान के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नए वस्त्र के रूप में मोली अर्पित करें। वस्त्रं च सोम दैवत्यं लज्जायस्तु निवारणम्। मया निवेदितं भक्त्या गृहाणा परमेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः वस्त्रं समर्पयामि॥ (8.) आभूषण समर्पण (Abhushana Samarpan) वस्त्रार्पण के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आभूषण अर्पित करें। हार कङ्कण केयूर मेखला कुण्डलादिभिः। रत्नाढ्यं कुण्डलोपेतं भूषणं प्रतिगृह्यताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आभूषणं समर्पयामि॥ (9.) चन्दन समर्पण (Chandan Samarpan) आभूषण अर्पित करने के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को चंदन अर्पित करें। परमानन्द सौभाग्यं परिपूर्ण दिगन्तरे। गृहाण परमं गन्धं कृपया परमेश्वरि॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः चन्दनं समर्पयामि॥ (10.) रोली समर्पण (Roli Samarpan) अब, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को अखंड सौभाग्य के प्रतीक के रूप में रोली (कुमकुम) अर्पित करें। कुमकुमम कांतिदं दिव्यं कामिनी काम संभवम्। कुमकुमेनार्चिते देवि प्रसिदा परमेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कुमकुमं समर्पयामि॥ (11.) कज्जलार्पण (Kajjalarpan) कुमकुम अर्पित करने के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को काजल अर्पित करें। कज्जलं कज्जलं रम्यं सुभगे शान्तिकारिके। कर्पूर ज्योतिरुत्पन्नं गृहाण परमेश्वरि॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कज्जलं समर्पयामि॥ (12.) मङ्गल द्रव्यार्पण (A.) सौभाग्य सूत्र (Sugandhita Dravya) काजल चढ़ाने के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को सौभाग्य सूत्र अर्पित करें। सौभाग्यसूत्रं वरदे सुवर्ण मणि संयुते। कण्ठे बध्नामि देवेशि सौभाग्यं देहि मे सदा॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सौभाग्यसूत्रं समर्पयामि॥ (B.) सुगन्धित द्रव्य (Sugandhita Dravya) अब, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को सुगंध अर्पित करें। चन्दनागारू कर्पूरैः संयुतं कुंकुमं तथा। कस्तुर्यादि सुगंधश्च सर्वांगेषु विलेपनम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः सुगंधिताद्रव्यं समर्पयामि॥ (C.) हरिद्रा समर्पण (Haridra Samarpan) अब, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को हल्दी अर्पित करें। हरिद्रारञ्जिते देवि सुख सौभाग्यदायिनी। तस्मात्त्वां पूजयाम्यत्र सुखशान्तिं प्रयच्छ मे॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः हरिद्राचूर्णं समर्पयामि॥ (D.) अक्षत समर्पण (Akshata Samarpan) हरिद्रा अर्पण के बाद, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को अक्षत (अखंडित चावल) अर्पित करें। रंजितः कंकुमुद्येन न अक्षतश्चतिशोभनः। ममैषा देवी दानेना प्रसन्न भव शोभने॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः अक्षतं समर्पयामि॥ (13.) पुष्पांजलि (Pushpanjali) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को पुष्पांजलि अर्पित करें। मंदरा पारिजातादि पाटलि केतकनि च। जाति चंपका पुष्पाणि गृहणेमणि शोभने॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुष्पाञ्जलिं समर्पयामि॥ (14.) बिल्वपत्र (Bilvapatra) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को बिल्वपत्र अर्पित करें। अमृतोद्भव श्रीवृक्षो महादेवी! प्रिया सदा. बिल्वपत्रं प्रयच्छमि पवित्रं ते सुरेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः बिल्वपत्राणि समर्पयामि॥ (15.)धूप समर्पण (Dhoop Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को धूप अर्पित करें। दशांग गुग्गुला धुपं चंदनगारू संयुतम। समर्पितं मया भक्त्या महादेवी! प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः धूपमाघ्घ्रापयमि समर्पयामि॥ (16.) दीप समर्पण (Deep Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को दीप अर्पित करें। घृतवर्त्तिसमायुक्तं महतेजो महोज्ज्वलम्। दीपं दास्यामि देवेषी! सुप्रीता भव सर्वदा॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं समर्पयामि॥ (17.) नैवेद्य (Naivedya) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नैवेद्य अर्पित करें। अन्नं चतुर्विधं स्वादु रसैः षडभिः समन्वितम्। नैवेद्य गृह्यतम देवि! भक्ति मे ह्यचला कुरु॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नैवेद्यं निवेदयामि॥ (18.) ऋतुफला (Rituphala) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को ऋतुफल अर्पित करें। द्राक्षाखर्जुरा कदलीफला समग्रकपीठकम। नारिकेलेक्षुजाम्बदि फलानि प्रतिगृह्यतम॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ऋतुफलनि समर्पयामि॥ (19.) आचमन (Achamana) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को आचमन के लिए जल अर्पित करें। कामारिवल्लभे देवि करवाचमनमम्बिके। निरंतररामहम वन्दे चरणौ तव चंडिके॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः आचमनीयं जलं समर्पयामि॥ (20.) नारिकेल समर्पण (Narikela Samarpan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को नारिकेल (नारियल) अर्पित करें। नारिकेलम च नारंगिम कलिंगमंजीरं त्वा। उर्वारुक च देवेषि फलन्येतानि गह्यताम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः नारिकेलं समर्पयामि॥ (21.) तंबुला (Tambula) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को ताम्बूल (पान और सुपारी) अर्पित करें। एलालवंगं कस्तूरी कर्पूरैः पुष्पवसीतम। विटिकं मुखवसार्थ समर्पयामि सुरेश्वरी॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः ताम्बूलं समर्पयामि॥ (22.) दक्षिणा (Dakshina) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए देवी दुर्गा को दक्षिणा (उपहार) अर्पित करें। पूजा फल समृद्धियर्था तवग्रे स्वर्णमीश्वरी। स्थापितम् तेन मे प्रीता पूर्णं कुरु मनोरथम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दक्षिणं समर्पयामि॥ (23.) पुस्तक पूजा एवं कन्या पूजन (Book worship and girl worship) (A.) पुस्तक पूजा (Pustak) दक्षिणा अर्पित करने के पश्चात, अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए दुर्गा पूजा के दौरान उपयोग में आने वाली पुस्तकों की पूजा करें। नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः। नमः प्रकृतियै भद्रयै नियतः प्रणतः स्मतम्॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः पुस्तक पूजयामि॥ (B.) दीप पूजा (Deep Puja) पुस्तकों की पूजा के पश्चात, निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए दुर्गा पूजा के दौरान दीप जलाएं और दीप देव की पूजा करें। शुभम् भवतु कल्याणमारोग्यं पुष्टिवर्धनम्। आत्मतत्त्व प्रबोधाय दीपज्योतिर्नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः दीपं पूजयामि॥ (C.) कन्या पूजन (Kanya Pujan) दुर्गा पूजा के दौरान कन्या पूजन का भी विशेष महत्व है। इसलिए दुर्गा पूजा के बाद कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया जाता है और दक्षिणा यानी उपहार दिए जाते हैं। कन्याओं को दक्षिणा देते समय निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। सर्वस्वरूपे! सर्वेशे सर्वशक्ति स्वरूपिणी। पूजम गृहण कौमारी! जगन्मातरनमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कन्या पूजयामि॥ (24.) नीराजन (Nirajan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करने के पश्चात देवी दुर्गा की आरती करें। नीराजनं सुमंगल्यं कर्पूरेण समन्वितम्। चन्द्रार्कवह्नि सदृशं महादेवी! नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः कर्पूर निराजनं समर्पयामि॥ (25.) प्रदक्षिणा (Pradakshina) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए फूलों से प्रतीकात्मक प्रदक्षिणा (देवी दुर्गा की बाएं से दाएं परिक्रमा) करें। प्रदक्षिणं त्रयं देवि प्रयत्नेन प्रकल्पितम्। पश्यद्य पावने देवि अम्बिकायै नमोअस्तु ते॥ ॐ भूर्भुवः स्वः दुर्गादेव्यै नमः प्रदक्षिणं समर्पयामि॥ (26.) क्षमापन (Kshamapan) अब निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करते हुए पूजा के दौरान हुई किसी भी ज्ञात-अज्ञात गलती के लिए देवी दुर्गा से क्षमा मांगें। अपराधा शतम् देवि मत्कृतम् च दीने दीने। क्षमायतम पावने देवी-देवेष नमोअस्तु ते॥Puja-Vidhi
Manidvipa Varnan - 3 (Devi Bhagavatam) मणिद्वीप वर्णन - 3 (देवी भागवतम्)
मणिद्वीप का वर्णन देवी भागवतम् के अनुसार। यह खंड देवी के स्वर्गीय निवास, मणिद्वीप की दिव्य और आध्यात्मिक महत्ता का अन्वेषण करता है। देवी की भक्ति और आध्यात्मिक ज्ञान चाहने वालों के लिए आदर्श।Manidvipa-Varnan
Katyayani Mantra (कात्यायनि मंत्र)
Katyayani Mantra Hindu Goddess Worship के लिए एक powerful mantra है, जिसे विशेष रूप से unmarried girls early marriage और happy married life के लिए chant करती हैं। Goddess Katyayani, Maa Durga Avatar, को protector of devotees माना जाता है, जो remove obstacles in marriage और bless with marital happiness करती हैं। Navratri Puja और Katyayani Vrata में इस sacred mantra chanting से positivity and divine grace प्राप्त होती है। Spiritual seekers और devotees of Goddess Durga इस mantra for wish fulfillment का नियमित जाप करते हैं, जिससे harmony in relationships और spiritual success प्राप्त होती है।Mantra
Durga Saptashati Chapter 9 (दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः) देवी माहात्म्यं
दुर्गा सप्तशति नवमोऽध्यायः: यह देवी दुर्गा के माहात्म्य का वर्णन करने वाला नौवां अध्याय है।Durga-Saptashati-Sanskrit
Durga Saptashati Path(Vidhi) दुर्गा सप्तशती पाठ (विधि)
नवरात्रि में दुर्गासप्तशती का पाठ करना अनन्त पुण्य फलदायक माना गया है। 'दुर्गासप्तशती' के पाठ के बिना दुर्गा पूजा अधूरी मानी गई है। लेकिन दुर्गासप्तशती के पाठ को लेकर श्रद्धालुओं में बहुत संशय रहता है।Puja-Vidhi