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श्री दुर्गा सप्तशती पाठ-द्वितीय अध्याय | माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
Durga Saptashati-12 Chapter (दुर्गा सप्तशती-बारहवाँ अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिन्दु धार्मिक ग्रन्थ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्य, चण्डी पाठ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में बाँटा गया है। दुर्गा सप्तशती का द्वादश अध्याय "गुणों का स्तवन" पर आधारित है।Page no.
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Shri Durga Nakshatra Malika Stuti (श्री दुर्गा नक्षत्र मालिका स्तुति)
Shri Durga Nakshatra Malika Stuti देवी Durga की महिमा और शक्ति का वर्णन करती है, जो "Goddess of Power" और "Protector from Evil" के रूप में पूजित हैं। यह स्तुति देवी के 27 नक्षत्रों के माध्यम से उनकी "Divine Energies" का आह्वान करती है। नक्षत्र माला स्तुति को पढ़ने से व्यक्ति को नकारात्मक ऊर्जाओं से मुक्ति, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है। यह स्तुति "Durga Devotional Chant" और "Positive Energy Prayer" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पाठ से मानसिक बल, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ती है। Shri Durga Nakshatra Malika Stuti को "Goddess Durga Hymn for Protection" और "Spiritual Awakening Prayer" के रूप में पढ़ने से जीवन में सफलता और शुभता आती है।Stuti
Shri Vidya Kavacham (श्री विद्या कवचम्)
Shri Vidya Kavach (श्री विद्या कवच) एक अत्यंत शक्तिशाली Maha Kavach है। यह कवच साधक को माता सती के दस महाविद्या स्वरूपों की कृपा प्रदान करता है। इस कवच में Shri Vidya Kali, Shri Vidya Tara, Shri Vidya Chinnamasta, Shri Vidya Shodashi, Shri Vidya Bhuvaneshwari, Shri Vidya Tripura Bhairavi, Shri Vidya Dhumavati, Shri Vidya Baglamukhi, Shri Vidya Matangi और Shri Vidya Kamla की सभी शक्तियाँ समाहित होती हैं। जब साधक Shri Vidya Kavach का पाठ करता है, तो दसों Mahavidyas मिलकर उसकी रक्षा करती हैं। जैसे कि Shri Vidya Dhumavati शत्रुओं का नाश करती हैं, Shri Vidya Baglamukhi बड़े Court Cases से मुक्ति दिलाती हैं, और Shri Vidya Bhuvaneshwari साधक को Physical एवं Financial Benefits प्रदान करती हैं। यदि कोई साधक Shri Vidya Kavach का नियमित पाठ करता है, तो उसे एक नहीं बल्कि दसों महाविद्याओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। Shri Vidya Kavach के पाठ से साधक को एक ओर Wealth, Profit, Fame, Victory, Prosperity और Power प्राप्त होती है, वहीं दूसरी ओर उसे Brahmagyan और Moksha की भी प्राप्ति होती है। यदि साधक को अपने जीवन में प्रतिदिन किसी न किसी Problem का सामना करना पड़ रहा है, उसे नए कार्यों में अनेक Obstacles मिल रहे हैं, जिससे वह Success से दूर हो रहा है, तो उसे अपने घर या Workplace में Shri Vidya Yantra की स्थापना कर Shri Vidya Kavach का पाठ करना चाहिए। इससे जीवन की सभी समस्याएँ दूर होती हैं, बाधाएँ समाप्त होती हैं और जीवन Happy तथा Prosperous बनता है। Shri Vidya Kavach अपने आप में अद्वितीय और श्रेष्ठ है तथा इसकी साधना से सर्वत्र Victory और Protection प्राप्त होती है।Kavacha
Shri Devi Chandi Kavach (श्री देवी चण्डी कवच)
Chandi Kavach (चंडी कवच): Maa Chandi को Maa Durga का एक शक्तिशाली रूप माना जाता है। जो भी साधक Chandi Kavach का नियमित पाठ करता है, उसे Goddess of War Maa Chandi की असीम कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इस कवच के पाठ से साधक की आयु बढ़ती है और वह 100 वर्षों तक जीवित रह सकता है। Maa Chandi अपने भक्तों को Enemies, Tantra-Mantra और Evil Eye से बचाती हैं। इस कवच के निरंतर पाठ से जीवन की सारी Sorrows और Obstacles दूर होने लगती हैं। साधक को Happiness और Prosperity प्राप्त होती है।Kavacha
Shri Chhinnamasta Kavacham (श्री छिन्नमस्ता कवचम्)
माँ चिन्नमस्ता शक्ति का एक रूप हैं, जिन्हें अपने सिर को काटते हुए दिखाया जाता है। उनके गले से बहता हुआ खून, जो जीवन को बनाए रखने वाली प्राण शक्ति का प्रतीक है, तीन धाराओं में बहता है—एक धार उनके अपने मुँह में, यह दर्शाता है कि वह आत्मनिर्भर हैं, और बाकी दो धार उनकी दो महिला सहायक दकिणी और वर्णिनी के मुँह में बहती हैं, जो समस्त जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। कटा हुआ सिर मोक्ष का प्रतीक है। सिर को काटकर वह अपनी असली अवस्था में प्रकट होती हैं, जो अज्ञेय, अनंत और स्वतंत्र है। यह बंधन और व्यक्तिगतता से मुक्ति का प्रतीक है। उनका नग्न रूप उनकी स्वायत्तता को दर्शाता है, यह दिखाता है कि उन्हें किसी भी रूप में संकुचित नहीं किया जा सकता। खोपड़ी की माला (रुंडमाला) दिव्य सृजनात्मकता का प्रतीक है। वह काम और रति के मिलन करते जोड़े पर खड़ी होती हैं, यह दिखाता है कि उन्होंने यौन इच्छाओं पर विजय प्राप्त कर ली है। 'काम' यौन इच्छा का और 'रति' यौन संबंध का प्रतीक है। उनके गले से बहता खून तीन नाड़ियों – इडा, पिंगला और सुशुम्ना के माध्यम से चेतना के प्रवाह का प्रतीक है। काम और रति एक उत्तेजित कुंडलिनी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो सुशुम्ना में चढ़कर अज्ञानता को समाप्त करती है। कुंडलिनी द्वारा सहस्रार चक्र में उत्पन्न अद्वितीय ऊर्जा के कारण सिर उड़ जाता है। इसका मतलब है कि मुलाधार चक्र में शक्ति शिव से सहस्रार चक्र में मिलती है, जिससे आत्म-साक्षात्कार होता है। रति को प्रभुत्व में दिखाया गया है, जबकि काम को निष्क्रिय रूप में दिखाया गया है। माँ चिन्नमस्ता कवच का पाठ शत्रुओं से छुटकारा पाने और विजय प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह कवच अंधी शक्तियों और रुकावटों को दूर करने में मदद करता है। यह आध्यात्मिक उन्नति और संवेदनशीलता में वृद्धि करता है।Kavacha
Durga Saptashati(दुर्गा सप्तशती) 6 Chapter (छठा अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का छठा अध्याय " धूम्रलोचन के वध " पर आधारित है ।Durga-Saptashati
Durga saptashati(दुर्गा सप्तशती) 4 Chapter (चौथी अध्याय)
दुर्गा सप्तशती एक हिंदू धार्मिक ग्रंथ है जिसमें राक्षस महिषासुर पर देवी दुर्गा की विजय का वर्णन किया गया है। दुर्गा सप्तशती को देवी महात्म्यम, चंडी पाठ (चण्डीपाठः) के नाम से भी जाना जाता है और इसमें 700 श्लोक हैं, जिन्हें 13 अध्यायों में व्यवस्थित किया गया है। दुर्गा सप्तशती का चौथा अध्याय " देवी स्तुति " पर आधारित है ।Durga-Saptashati
Shri Devi Ji Arti (3) श्री देवीजी की आरती
श्री देवी जी की आरती माँ दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती के दिव्य स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। इसमें Maa Durga को आदिशक्ति, Goddess Lakshmi को धन की देवी, और Goddess Saraswati को ज्ञान की अधिष्ठात्री के रूप में पूजा जाता है। आरती में Durga Aarti, Lakshmi Aarti, और Saraswati Aarti का संगम होता है, जो भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संदेश देती है।Arti
Tripurasundari Ashtakam (त्रिपुरसुंदरी अष्टकम)
Tripurasundari Ashtakam (त्रिपुरासुंदरी अष्टकम्) माँ Tripurasundari को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है। माँ Tripurasundari, जिन्हें Lalita Devi, Shodashi और Srividya के रूप में भी जाना जाता है, समस्त सौंदर्य, ज्ञान और दिव्यता की अधिष्ठात्री देवी हैं। इस अष्टकम के नियमित पाठ से साधक को आध्यात्मिक उन्नति, विजय, सौंदर्य, ऐश्वर्य और सर्वसिद्धि प्राप्त होती है। माँ Tripurasundari की कृपा से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति तथा सुख की प्राप्ति होती है। यदि कोई साधक जीवन में सौंदर्य, समृद्धि, आध्यात्मिक जागरण और शक्ति चाहता है, तो उसे माँ Tripurasundari की उपासना कर इस Tripurasundari Ashtakam का नित्य पाठ अवश्य करना चाहिए।Ashtakam