Kajari Teej (कजली तीज) Date :- 22.08.2024

कजली तीज 2024 - 22 अगस्त 2024 (Kajari Teej 2024) भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की तृतीय तिथि को मनाई जाती है, इसे कजरी तीज, बूढ़ी तीज, सातूड़ा तीज आदि नामों से भी जाना जाता है. यह ख़ासतौर पर उत्तर और मध्य भारत में मनाया जाता है. शादीशुदा जीवन की समस्याओं और विवाह से संबंधित परेशानियों को दूर करने की कामना से कजली तीज पर नीमड़ी माता, गणपति और शंकर-पार्वती की पूजा की जाती है. इसमें चंद्रमा देखने के बाद ही व्रत संपन्न किया जाता है |कजली तीज कब और कैसे मनाई जाती है? कजली तीज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया (अगस्त-सितंबर) को मनाई जाती है। यह त्योहार मुख्यतः उत्तर भारत, विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान में मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं विशेष रूप से सज-धज कर झूले झूलती हैं, मेंहदी लगाती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। कजली तीज का पौराणिक महत्व क्या है? कजली तीज का पौराणिक महत्व भगवान शिव और माता पार्वती की कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया। इस दिन को उनके मिलन के रूप में मनाया जाता है। कजली तीज का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? कजली तीज का धार्मिक महत्व भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से जुड़ा है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं और विशेष पूजा करती हैं। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, कजली तीज एक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व है। यह महिलाओं के लिए एक विशेष अवसर है जिसमें वे अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर उत्सव मनाती हैं। इस दिन नृत्य, संगीत और लोक गीतों का आयोजन किया जाता है, जो भारतीय संस्कृति की विविधता को दर्शाता है। कजली तीज की तैयारी कैसे होती है? कजली तीज की तैयारी में महिलाएं विशेष रूप से भाग लेती हैं। वे अपने घरों को सजाती हैं, मेंहदी लगाती हैं और नए वस्त्र धारण करती हैं। इस दिन विशेष पकवान बनाए जाते हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। कजली तीज का उत्सव कैसे मनाया जाता है? कजली तीज के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और व्रत रखती हैं। दिन भर वे झूले झूलती हैं, लोक गीत गाती हैं और नृत्य करती हैं। इस दिन विशेष भोग बनाकर भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित किया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में कजली तीज कैसे मनाई जाती है? भारत के विभिन्न हिस्सों में कजली तीज को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि पश्चिम और दक्षिण भारत में भी इसे उतने ही उत्साह से मनाया जाता है। कजली तीज का समग्र महत्व क्या है? कजली तीज केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और महिलाओं के बीच प्रेम, भाईचारा और सौहार्द को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, कजली तीज का उत्सव न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीयों द्वारा बड़े हर्षोल्लास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमें अपने जीवन में खुशियों, समृद्धि और शांति की ओर अग्रसर करता है और समाज में एकजुटता और प्रेम का संदेश फैलाता है।

Recommendations

Chandrasekhara Ashtakam (चंद्रशेखराष्टकम्)

Chandrasekhara Ashtakam भगवान Lord Shiva की स्तुति में रचित एक पवित्र Hindu Devotional Stotra है। इसमें Chandrasekhara Shiva की महिमा और उनकी Divine Powers का वर्णन किया गया है। इस Sacred Hymn का पाठ करने से भक्तों को Spiritual Growth और कष्टों से मुक्ति मिलती है। Shiva Bhajan और Mantra Chanting से जीवन में Positive Energy और समृद्धि आती है। यह Powerful Stotra संकटों को हरने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। Lord Shiva Worship के साथ इसका नियमित पाठ भक्तों को अनंत कृपा देता है।
Ashtakam

Shri Krishna Sharanam mam (श्रीकृष्णः शरणं मम)

श्री कृष्ण शरणम मम: भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में देवकी और वसुदेव के घर हुआ था, और उन्हें वृंदावन में नंद और यशोदा ने पाल-पोसा। चंचल और शरारती भगवान श्री कृष्ण की पूजा विशेष रूप से उनकी बाल्य और युवावस्था की रूप में की जाती है, जो भारत और विदेशों में व्यापक रूप से प्रचलित है। श्री कृष्ण शरणम मम: का उच्चारण करके भक्त भगवान श्री कृष्ण की शरण में आते हैं, यह मंत्र श्री कृष्ण की कृपा और संरक्षण प्राप्त करने का एक प्रमुख उपाय माना जाता है।
Stotra

Panchmukhi Hanumat Kavacham (पञ्चमुख हनुमत्कवचम्)

पंचमुखी हनुमत कवचम् एक शक्तिशाली धार्मिक पाठ है, जो भगवान हनुमान के पंचमुखी रूप की पूजा करता है। इस कवच का पाठ करने से भक्तों को जीवन में हर प्रकार की संकटों से मुक्ति मिलती है। यह हनुमान जी के पांचों रूपों से सुरक्षा प्रदान करता है, जैसे कि protection from evil, strength, and divine blessings. इसमें भगवान हनुमान के अद्भुत रूप की पूजा करके, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार पाया जाता है। यह पंचमुखी हनुमान कवच का जाप spiritual healing और positive energy को आकर्षित करता है।
Kavacha

Bhagavad Gita Eleventh Chapter (भगवद गीता ग्यारहवाँ अध्याय)

भगवद गीता ग्यारहवां अध्याय "विश्व रूप दर्शन योग" है। इस अध्याय में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को अपना विश्वरूप दिखाया, जिसमें उन्होंने अपने संपूर्ण ब्रह्मांडीय स्वरूप का दर्शन कराया। यह अध्याय भगवान की महानता और असीम शक्ति को प्रकट करता है।
Bhagwat-Gita

Shri Ramchandra Arti (1) (श्री रामचन्द्र आरती)

श्री रामचंद्र आरती भगवान श्री रामचंद्र की भक्ति और महिमा को समर्पित एक पवित्र स्तुति है।
Arti

Om Jai Jagdish Hare (ॐ जय जगदीश हरे)

"ओम जय जगदीश हरे" एक प्रसिद्ध हिंदी आरती है, जो भगवान विष्णु की स्तुति और भक्ति का प्रतीक है। यह आरती भगवान को "Preserver of the Universe", "Lord Vishnu", और "Supreme Protector" के रूप में संबोधित करती है। इसे गाने से मन की शुद्धि, आध्यात्मिक शांति, और ईश्वर के प्रति समर्पण की भावना बढ़ती है। "Hindu prayers", "devotional songs", और "spiritual hymns" में रुचि रखने वाले भक्तों के लिए यह आरती अद्वितीय है। "ओम जय जगदीश हरे" आरती सभी प्रकार के पूजा और भक्ति अनुष्ठानों में गाई जाती है। यह आरती ईश्वर के प्रति निष्ठा, दया, और भक्ति का आह्वान करती है। इसे गाने से भक्त "divine connection", "spiritual fulfillment", और "God's blessings" का अनुभव करते हैं। यह आरती "Vishnu Bhakti", "devotional practices", और "spiritual traditions" जैसे विषयों से गहराई से जुड़ी हुई है। "Universal prayer", "devotional hymn for Lord Vishnu", और "spiritual awakening" के इच्छुक भक्तों के लिए यह आरती अत्यंत प्रभावकारी मानी जाती है।
Shloka-Mantra

Mantra Pushpam (मंत्र पुष्पम् )

त्र पुष्पम्: यह एक वैदिक मंत्र संग्रह है जो प्रमुख रूप से धार्मिक अनुष्ठानों में प्रयोग होता है।
Mantra

Shri Santoshi Maa Chalisa ( श्री संतोषी माँ चालीसा)

श्री संतोषी माँ चालीसा एक पवित्र स्तोत्र है जो संतोषी माँ को समर्पित है। इसका नियमित पाठ करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और जीवन में शांति, समृद्धि, और सौभाग्य आता है। यह चालीसा खासकर शुक्रवार व्रत के दौरान पाठ की जाती है। भक्तों का विश्वास है कि Santoshi Mata और Durga का आशीर्वाद घर की खुशहाली, आर्थिक समस्याओं से छुटकारा और परिवार में सौहार्द लाता है।
Chalisa