Amalaki Ekadashi Vrat (आमलकी एकादशी) Date:- 10-03-2025

आमलकी एकादशी 10वाँ मार्च 2025 Monday / सोमवार आमलकी एकादशी पारण आमलकी एकादशी सोमवार, मार्च 10, 2025 को 11वाँ मार्च को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 06:35 ए एम से 08:13 ए एम पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 08:13 ए एम एकादशी तिथि प्रारम्भ - मार्च 09, 2025 को 07:45 ए एम बजे एकादशी तिथि समाप्त - मार्च 10, 2025 को 07:44 ए एम बजेआमलकी एकादशी समय - Phalguna Shukla Paksha की Ekadashi को Amla Ekadashi के रूप में जाना जाता है। Amla Ekadashi महाशिवरात्रि और होली के मध्य में आती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह फरवरी या मार्च के महीने में आती है। Ekadashi fasting को समाप्त करने को Parana कहते हैं। Ekadashi vrat के अगले दिन सूर्योदय के बाद Parana किया जाता है। Ekadashi vrat का Parana Dwadashi tithi समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि Dwadashi tithi सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो Ekadashi Parana सूर्योदय के बाद ही होता है। Dwadashi tithi के भीतर Parana न करना sinful माना जाता है। Ekadashi vrat का Parana Hari Vasara के दौरान नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु fasting कर रहे हैं, उन्हें Hari Vasara समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। Hari Vasara Dwadashi tithi की पहली एक चौथाई अवधि है। Best time to break fast प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल Parana करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्याह्न के बाद Parana करना चाहिए। कभी कभी Ekadashi vrat लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब Ekadashi vrat दो दिन होता है तब Smarta family members को पहले दिन Ekadashi vrat करना चाहिए। दूसरे दिन वाली Ekadashi को Doosri Ekadashi कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और moksha seekers को Doosri Ekadashi के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब Ekadashi vrat दो दिन होता है तब-तब Doosri Ekadashi और Vaishnav Ekadashi एक ही दिन होती हैं। Devotees who seek the love and affection of Lord Vishnu are advised to observe Ekadashi vrat on both days.

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Prahladakrita Narasimha Stotra (प्रह्लादकृतनृसिंहस्तोत्रम्)

यह नृसिंह स्तुतिः आपकी इच्छाओं को पूरा करने और ग्रह शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए एक अद्भुत और बहुत ही प्रभावी स्तोत्र है। यह भगवान शनि देव द्वारा बताया गया है कि जो कोई भी विशेष रूप से शनिवार को इस स्तोत्र का पाठ करेगा, वह शनि के किसी भी नकारात्मक दृष्टि से मुक्त होगा।
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Madhura Ashtakam (मधुरा अष्टकम्)

Madhura Ashtakam (मधुरा अष्टकम): श्री कृष्ण माधुराष्टकम् का धार्मिक ग्रंथों में बहुत अधिक महत्व है, और इसमें श्री कृष्ण की "माधुरता" का जो चित्रण किया गया है, वह अन्य सभी स्तुतियों से बिलकुल अलग है। इस छोटे से स्तोत्र में मुरली मनोहर का अद्भुत रूप सामने आता है, साथ ही उनके सर्वव्यापी और भौतिक रूप में उनके भक्तों के प्रति स्नेह का भी वर्णन किया जाता है। यह स्तोत्र श्री वल्लभाचार्य द्वारा 1478 ई. में रचित था, जो भगवान श्री कृष्ण की महान माधुरता का वर्णन करता है। हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार, भगवान श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। भगवान कृष्ण की पूजा करने से जीवन में सुंदरता, समृद्धि और ऐश्वर्य प्राप्त होता है। माधुराष्टकम् संस्कृत में रचित है और इसे समझना आसान है। इस स्तोत्र में 'मधुरम्' शब्द का बार-बार उपयोग किया गया है, जो भगवान श्री कृष्ण के सुंदर रूप और उनकी माधुरता को व्यक्त करता है। श्री कृष्ण माधुराष्टकम् में कुल 8 श्लोक होते हैं, और हर श्लोक में 'मधुर' शब्द का प्रयोग 7 बार किया गया है। 'आष्ट' का अर्थ है आठ, और 'मधुराष्टकम्' का मतलब है "आठ श्लोकों वाला मधुर स्तोत्र"। इस स्तोत्र में भगवान श्री कृष्ण के रूप, उनके नृत्य, उनके लीला, उनके प्यारे रूप आदि की इतनी सुंदरता और माधुर्यता का वर्णन किया गया है कि भक्त केवल भगवान कृष्ण के रूप को ही नहीं, बल्कि उनके सम्पूर्ण अस्तित्व को भी आकर्षण के रूप में महसूस करते हैं। भगवान श्री कृष्ण के होठ, उनका रूप, उनकी प्यारी मुस्कान, उनकी आँखें, उनका त्रिभंगी रूप, सब कुछ 'मधुर' है। हिंदू मान्यता के अनुसार, श्री कृष्ण माधुराष्टकम् का नियमित पाठ करने से भगवान कृष्ण प्रसन्न होते हैं और उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और सौंदर्य प्राप्त होता है।
Ashtakam

Chhinnamasta(10 Mahavidya) (छिन्नमस्ता)

छिन्नमस्ता दस महाविद्याओं में तीसरी देवी हैं। वे आत्म-त्याग, सृजन, और विनाश की शक्ति का प्रतीक हैं। देवी छिन्नमस्ता का रूप त्याग और पराक्रम को दर्शाता है। उनकी साधना शक्तिशाली तांत्रिक विधियों और आध्यात्मिक उत्थान के लिए की जाती है।
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Shri Shardha Chalisa (श्री शारधा चालीसा)

श्री शारदा चालीसा देवी माँ शारदा को समर्पित एक पवित्र प्रार्थना है। इसका पाठ मानसिक शांति, आध्यात्मिक प्रगति, और संकटों से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है। Saraswati, जिन्हें Goddess of Knowledge कहा जाता है, का यह स्तोत्र भक्तों को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करता है।
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Ganesha Bhujanga Stotram (गणेश भुजंगम् स्तोत्रम्)

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Shri Rudrashtakam Stotra (श्रीरुद्राष्टकम्)

सनातन धर्म में भगवान शिव शंकर को सभी देवों में सबसे उच्च स्थान प्राप्त है। माना जाता है कि शिव जी आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। यदि कोई भक्त श्रद्धा पूर्वक उन्हें केवल एक लोटा जल भी अर्पित कर दे तो भी वे प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। यदि आप शिव जी की विशेष कृपा पाना चाहते हैं 'श्री शिव रूद्राष्टकम' का पाठ करना चाहिए। 'शिव रुद्राष्टकम' अपने-आप में अद्भुत स्तुति है। यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो किसी शिव मंदिर या घर में ही कुशा के आसन पर बैठकर लगातार 7 दिनों तक सुबह शाम 'रुद्राष्टकम' स्तुति का पाठ करने से शिव जी बड़े से बड़े शत्रुओं का नाश पल भर में करते हैं और सदैव अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। रामायण के अनुसार, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम ने रावण जैसे भयंकर शत्रु पर विजय पाने के लिए रामेशवरम में शिवलिंग की स्थापना कर रूद्राष्टकम स्तुति का श्रद्धापूर्वक पाठ किया था और परिणाम स्वरूप शिव की कृपा से रावण का अंत भी हुआ था।
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Shri Ganesh Ji Arti (1) (श्री गणेश जी कीआरती)

Lord Ganesh, जिन्हें Vighnaharta, Siddhidata, और God of Beginnings के रूप में जाना जाता है, उनकी आरती में Ganpati Bappa की शक्ति, बुद्धि, और समृद्धि का गुणगान किया गया है। Ganesh Aarti का पाठ करने से जीवन में obstacles समाप्त होते हैं और peace, happiness, और success प्राप्त होती है।
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