Jaya Ekadashi (जया एकादशी) Date:- 2025-02-08

जया एकादशी व्रत 8वाँ फरवरी 2025 Saturday / शनिवार जया एकादशी पारण जया एकादशी शनिवार, फरवरी 8, 2025 को 9वाँ फरवरी को, पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 07:04 ए एम से 09:17 ए एम पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 07:25 पी एम एकादशी तिथि प्रारम्भ - फरवरी 07, 2025 को 09:26 पी एम बजे एकादशी तिथि समाप्त - फरवरी 08, 2025 को 08:15 पी एम बजे जया एकादशी Ekadashi के व्रत को समाप्त करने को Paran कहते हैं। Ekadashi Vrat के अगले दिन sunrise के बाद Paran किया जाता है। Ekadashi Vrat ka Paran Dwadashi Tithi समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि Dwadashi Tithi sunrise से पहले समाप्त हो गई हो तो Ekadashi Vrat ka Paran sunrise के बाद ही होता है। Dwadashi Tithi के भीतर Paran न करना Paap करने के समान होता है। Ekadashi Vrat ka Paran Hari Vasar के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु Vrat कर रहे हैं, उन्हें Vrat todne से पहले Hari Vasar समाप्त होने की प्रतीक्षा करनी चाहिए। Hari Vasar Dwadashi Tithi की पहली एक चौथाई अवधि है। Vrat todne ke liye सबसे उपयुक्त समय morning होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को afternoon के दौरान Vrat todne से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई morning Paran करने में सक्षम नहीं है तो उसे afternoon ke baad Paran करना चाहिए। कभी-कभी Ekadashi Vrat लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब Ekadashi Vrat दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन Ekadashi Vrat करना चाहिए। दूसरे दिन वाली Ekadashi को Doosri Ekadashi कहते हैं। Sanyasis, widows और moksha ki iccha rakhne wale श्रद्धालुओं को Doosri Ekadashi के दिन Vrat करना चाहिए। जब-जब Ekadashi Vrat दो दिन होता है तब-तब Doosri Ekadashi और Vaishnav Ekadashi एक ही दिन होती हैं। Bhagwan Vishnu ka pyar aur sneha के इच्छुक परम भक्तों को दोनों दिन Ekadashi Vrat करने की सलाह दी जाती है।

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Satyanarayan Puja Vidhi (सत्यनारायण पूजा विधि)

सत्यनारायण पूजा विधि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का तरीका बताने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। यह विधि भक्तों को भगवान सत्यनारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए सही तरीके से पूजा करने में मदद करती है।
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Devi Mahatmyam Kilak Stotram (देवी माहात्म्यं कीलक स्तोत्रम्)

Devi Mahatmyam Kilak Stotram देवी Durga की असीम शक्ति और महिमा का वर्णन करता है, जो "Goddess of Strength" और "Divine Protector" के रूप में पूजा जाती हैं। यह स्तोत्र उनकी "Supreme Energy" और "Victory over Evil" को दर्शाता है। यह स्तोत्र "Durga Devotional Chant" और "Spiritual Protection Prayer" के रूप में प्रसिद्ध है। इसके पाठ से भक्तों को मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। Devi Mahatmyam Kilak Stotram को "Divine Victory Prayer" और "Powerful Goddess Hymn" के रूप में पढ़ने से जीवन में सुख और समृद्धि आती है।
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Shiva Swarnamala Stuti (शिव स्वर्णमाला स्तुति)

Shiv Swarnamala Stuti (शिव स्वर्णमाला स्तुति) भगवान Shankar को समर्पित एक अत्यंत divine stotra है, जिसकी रचना Adi Guru Shankaracharya जी द्वारा की गई है। सभी Shiv Bhakt यह भली-भांति जानते हैं कि भगवान Shiva की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है। इस stuti का recitation किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन Monday को इसका पाठ करना विशेष लाभकारी माना गया है, क्योंकि सोमवार का दिन Lord Shiva को अत्यंत प्रिय है। इस hymn के पाठ से भगवान Shankar शीघ्र प्रसन्न होते हैं और अपने भक्त को wish-fulfilling blessings प्रदान करते हैं, जिससे उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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Lakshmi Nrusimha Karavalamba Stotram (लक्ष्मी नृसिंह करावलंब स्तोत्रम्)

लक्ष्मी नरसिंह करावलम्ब स्तोत्रम् (Lakshmi Nrusimha Karavalamba Stotram) भगवान नरसिंह देव (God Narasimha) की कृपा पाने और नकारात्मक ऊर्जा (negative energy) से बचने के लिए अत्यंत प्रभावी है। यह स्तोत्रम् भक्तों को संरक्षण (divine protection) प्रदान करता है और उनके जीवन से कष्टों (hardships) को दूर करता है। लक्ष्मीपति विष्णु (Lakshmipati Vishnu) की आराधना करने से धन संपत्ति (wealth prosperity) और आध्यात्मिक उन्नति (spiritual growth) प्राप्त होती है। यह स्तोत्रम् पापों से मुक्ति (freedom from sins) दिलाने वाला और ईश्वरीय अनुग्रह (divine grace) देने वाला माना जाता है। इसके नियमित पाठ से भक्तों को सफलता और शांति (success and peace) प्राप्त होती है। कलियुग के दोषों (Kali Yuga Dosha) से बचने और मोक्ष प्राप्ति के लिए यह अत्यंत फलदायी है।
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