Bhai Dooj (भाई दूज) Date:- 2024-11-03

भाई दूज पररविवार, 3 नवंबर, 2024 (Bhai Dhooj date & timing) भाई दूज अपराह्न समय -दोपहर 12:40 से02:53 अपराह्न अवधि -02 घंटे 14 मिनट द्वितीया तिथि प्रारम्भ -08:21 PM पर नवम्बर 02, 2024 द्वितीया तिथि समाप्त -03 नवम्बर, 2024 को 10:05 PMभाई दूज कब और कैसे मनाई जाती है? भाई दूज कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाई जाती है। यह दिवाली के बाद का पांचवां दिन होता है और मुख्यतः उत्तर भारत में मनाई जाती है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं और उन्हें तिलक करती हैं। भाई दूज का पौराणिक महत्व क्या है? भाई दूज का पौराणिक महत्व भगवान यमराज और उनकी बहन यमुनाजी की कथा से जुड़ा है। कथा के अनुसार, यमुनाजी ने अपने भाई यमराज को अपने घर बुलाया और उनका स्वागत सत्कार किया। इस दिन से भाई दूज का पर्व मनाया जाने लगा और बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं। भाई दूज की तैयारी कैसे होती है? भाई दूज की तैयारी में बहनें विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करती हैं। घरों को सजाया जाता है और विशेष पकवान बनाए जाते हैं। बहनें इस दिन अपने भाइयों के लिए तिलक की थाली तैयार करती हैं जिसमें रोली, चावल, मिठाई और दीपक होता है। भाई दूज का उत्सव कैसे मनाया जाता है? भाई दूज के दिन बहनें सुबह जल्दी उठकर स्नान करती हैं और पूजा की तैयारी करती हैं। भाई के माथे पर तिलक लगाती हैं और उनकी आरती उतारती हैं। भाई अपनी बहन को उपहार देते हैं और उनका आशीर्वाद लेते हैं। इस दिन भाई-बहन एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं और विशेष भोजन का आनंद लेते हैं। भाई दूज का समग्र महत्व क्या है? भाई दूज केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व भाई-बहन के प्रेम और स्नेह को दर्शाता है और समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक मूल्यों को बढ़ावा देता है।

Recommendations

Narayaniyam Dashaka 20 (नारायणीयं दशक 20)

नारायणीयं दशक 20 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।
Narayaniyam-Dashaka

Sharabheshashtakam (शरभेशाष्टकम्)

शरभेशाष्टकम् भगवान शरभेश्वर को समर्पित एक भजन है, जो उनकी अनंत महिमा और शक्तियों का वर्णन करता है।
Ashtakam

Shri Yamunashtakam Stotra (श्री यमुनाष्टकम् स्तोत्र)

पौराणिक अनुश्रुतियों के अनुसार, भुवनभास्कर सूर्य देवी यमुना के पिता, मृत्यु के देवता यम भाई और भगवान श्री कृष्ण देवी के परि स्वीकार्य किये गए हैं। जहां भगवान श्री कृष्ण ब्रज संस्कृति के जनक कहे जाते है, वहां देवी यमुना इसकी जननी मानी जाती हैं। इस प्रकार यह सच्चे अर्थों में ब्रजवासियों की माता है। देवी यमुना को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद पाने के लिए यमुना नदी में स्नान करने के बाद श्री यमुनाष्टक स्तोत्र का पाठ किया जाता है। मान्यता है कि स्तोत्र का का पाठ करने से देवी यमुना जल्द प्रसन्न होती हैं, मनुष्य को आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्री यमुनाष्टक स्तोत्र में 8 श्लोक हैं, जिनमें देवी यमुना की सुंदरता, उनकी शक्तियों के बारे में बताया गया है। स्तोत्र में देवी यमुना और श्रीकृष्ण के संबंध का भी वर्णन किया गया है।
Devi-Stotra

Shri Bhuvaneshwari Kavacham (श्री भुवनेश्वरी कवचम्)

श्री भुवनेश्वरी कवचम एक पवित्र और शक्तिशाली स्तोत्र है, जो देवी भुवनेश्वरी की कृपा पाने का माध्यम है। इसमें देवी को आदिशक्ति, जगत की पालनहार और सर्वशक्तिमान देवी के रूप में वर्णित किया गया है। इस कवच का पाठ भक्तों को आत्मिक शांति, सुरक्षा और जीवन में सुख व समृद्धि प्रदान करता है। "divine protection", "spiritual energy", और "sacred hymn" जैसे शब्द इसकी आध्यात्मिक महिमा को बढ़ाते हैं। यह कवच नकारात्मक ऊर्जाओं को समाप्त कर सकारात्मकता लाता है और भक्त को हर प्रकार की बाधा से बचाता है। देवी भुवनेश्वरी को similar to god और cosmic power के रूप में पूजा जाता है, जो भक्त के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और दिव्य आशीर्वाद का संचार करती हैं। "protection mantra", "mantra for peace", और "universal energy" इसे साधकों के लिए विशेष रूप से उपयोगी बनाते हैं।
Kavacha

Parvati Stuti (पार्वती स्तुति)

पार्वती स्तुति देवी पार्वती (Parvati), जिन्हें "goddess of power" और "divine mother" कहा जाता है, की महिमा का वर्णन करती है। यह स्तुति उन्हें "goddess of fertility," "love," और "beauty" के रूप में प्रस्तुत करती है। देवी पार्वती, भगवान शिव (Shiva) की अर्धांगिनी, शक्ति (Shakti) और सृष्टि की मूल ऊर्जा (cosmic energy) की प्रतीक हैं। स्तुति में उनकी कृपा से "prosperity," "spiritual growth," और "peace" की प्राप्ति का वर्णन है। पार्वती को "mother goddess" और "symbol of compassion" माना जाता है, जो भक्तों के दुखों को हरती हैं और उन्हें "divine blessings" से परिपूर्ण करती हैं।
Stuti

saraswati vandana (सरवस्ती वदना)

सरस्वती वंदना का हिंदु धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। माँ सरस्वती की वंदना करने से ऐसा माना जाता है कि मुर्ख भी ज्ञानी बन सकते हैं। माँ सरस्वती को हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक माना गया है। इनकी कृपा पाने के लिए संगीतज्ञ, छात्रों और यहां तक की गूढ़ विषयों में रुचि रखने वालों द्वारा भी इनकी वंदना की जाती है। सरस्वती माँ को शारदा, शतरुपा, वीणावादिनी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है।
Vandana

Satyanarayan Puja Vidhi (सत्यनारायण पूजा विधि)

सत्यनारायण पूजा विधि भगवान सत्यनारायण की पूजा करने का तरीका बताने वाला एक महत्वपूर्ण पाठ है। यह विधि भक्तों को भगवान सत्यनारायण की कृपा प्राप्त करने के लिए सही तरीके से पूजा करने में मदद करती है।
Puja-Vidhi

Chandrasekhara Ashtakam (चंद्रशेखराष्टकम्)

Chandrasekhara Ashtakam भगवान Lord Shiva की स्तुति में रचित एक पवित्र Hindu Devotional Stotra है। इसमें Chandrasekhara Shiva की महिमा और उनकी Divine Powers का वर्णन किया गया है। इस Sacred Hymn का पाठ करने से भक्तों को Spiritual Growth और कष्टों से मुक्ति मिलती है। Shiva Bhajan और Mantra Chanting से जीवन में Positive Energy और समृद्धि आती है। यह Powerful Stotra संकटों को हरने वाला और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। Lord Shiva Worship के साथ इसका नियमित पाठ भक्तों को अनंत कृपा देता है।
Ashtakam