Devshayani Ekadashi (देवशयनी एकादशी) Date :- 17.07.2024 Time :- 8:33 PM to 9:02 PM

Devshayani Ekadashi (देवशयनी एकादशी) Date :- 17.07.2024 आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 16 जुलाई 2024 को रात्रि 08:33 PM मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इसका समापन 17 जुलाई को रात 09:02PM मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस बार देवशयनी एकादशी 17 जुलाई 2024, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। Story Behind Devshayani Ekadashi भागवत पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु ने देवराज इंद्र को स्वर्ग पर पुनः अधिकार दिलाने के लिए वामन अवतार लिया। कथा के अनुसार, असुरों के राजा बलि ने तीनों लोक पर अधिकार स्थापित कर लिया था। तब वामन भगवान, राजा बलि के पास पहुचे और उनसे तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि इसे स्वीकार कर लेते हैं। तब वामन भगवान ने एक पग में, संपूर्ण धरती, आकाश और सभी दिशाओं को नाप लिया। वहीं दूसरे पग में उन्होंने स्वर्ग लोक को नाप लिया। इसके बाद उन्होंने बलि से पूछा कि अब में तीसरा पग कहां रखूं। तब राजा बलि ने अपना सिर आगे कर दिया।देवशयनी एकादशी कब और कैसे मनाई जाती है? देवशयनी एकादशी आषाढ़ शुक्ल एकादशी (जून-जुलाई) को मनाई जाती है। यह एकादशी भगवान विष्णु के चार महीनों के शयनकाल की शुरुआत का प्रतीक है। इस दिन भक्तगण व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करते हैं। देवशयनी एकादशी का पौराणिक महत्व क्या है? देवशयनी एकादशी का पौराणिक महत्व भगवान विष्णु के शयनकाल से जुड़ा है। कथा के अनुसार, भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं और इस दौरान सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। इन चार महीनों को "चातुर्मास" कहा जाता है और इस अवधि में शुभ कार्य वर्जित होते हैं। देवशयनी एकादशी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है? देवशयनी एकादशी का धार्मिक महत्व भगवान विष्णु की पूजा और उनके शयनकाल से जुड़ा है। इस दिन लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं, और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करते हैं। सांस्कृतिक दृष्टिकोण से, देवशयनी एकादशी एक सामाजिक पर्व है, जो धार्मिक अनुशासन और संयम को बढ़ावा देता है। इस दिन लोग अपने परिवार और मित्रों के साथ मिलकर पूजा करते हैं और भक्ति संगीत का आनंद लेते हैं। देवशयनी एकादशी की तैयारी कैसे होती है? देवशयनी एकादशी की तैयारी विशेष पूजा सामग्री का प्रबंध करके की जाती है। लोग अपने घरों और मंदिरों को साफ-सुथरा रखते हैं और भगवान विष्णु की मूर्तियों को सजाते हैं। देवशयनी एकादशी का उत्सव कैसे मनाया जाता है? देवशयनी एकादशी के दिन लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और व्रत रखते हैं। दिन भर भगवान विष्णु की पूजा करते हैं और रात में जागरण करते हैं। इस दिन विशेष भोग बनाकर भगवान को अर्पित किया जाता है और विष्णु सहस्रनाम का पाठ किया जाता है। भारत के विभिन्न हिस्सों में देवशयनी एकादशी कैसे मनाई जाती है? भारत के विभिन्न हिस्सों में देवशयनी एकादशी को अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। उत्तर भारत में इसे विशेष धूमधाम से मनाया जाता है, जबकि पश्चिम और दक्षिण भारत में भी इसे उतने ही उत्साह से मनाया जाता है। देवशयनी एकादशी का समग्र महत्व क्या है? देवशयनी एकादशी केवल एक व्रत नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का एक अभिन्न हिस्सा है। यह पर्व धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है और लोगों के बीच धार्मिक अनुशासन, संयम और नैतिकता को बढ़ावा देता है। इस प्रकार, देवशयनी एकादशी का उत्सव न केवल भारत में बल्कि विश्वभर में भारतीयों द्वारा बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व हमें अपने जीवन में धर्म, सत्य और संयम की ओर अग्रसर करता है और समाज में नैतिकता और सत्य का संदेश फैलाता है।

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Narayaniyam Dashaka 15 (नारायणीयं दशक 15)

नारायणीयं दशक 15 में भगवान नारायण की स्तुति की गई है। यह दशक भक्तों को भगवान के महिमा और प्रेम के लिए प्रेरित करता है।
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Shri Venkateshwara Vajra Kavacha Stotram (श्री वेंकटेश्वर वज्र कवच स्तोत्रम्)

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