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Anjaneya Bhujanga Prayat Stotram (आञ्जनेय भुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम्)
आञ्जनेय भुजङ्ग प्रयात स्तोत्रम्
(Anjaneya Bhujanga Prayat Stotram)
प्रसन्नाङ्गरागं प्रभाकाञ्चनाङ्गं
जगद्भीतशौर्यं तुषाराद्रिधैर्यम् ।
तृणीभूतहेतिं रणोद्यद्विभूतिं
भजे वायुपुत्रं पवित्राप्तमित्रम् ॥ 1 ॥
भजे पावनं भावना नित्यवासं
भजे बालभानु प्रभा चारुभासम् ।
भजे चन्द्रिका कुन्द मन्दार हासं
भजे सन्ततं रामभूपाल दासम् ॥ 2 ॥
भजे लक्ष्मणप्राणरक्षातिदक्षं
भजे तोषितानेक गीर्वाणपक्षम् ।
भजे घोर सङ्ग्राम सीमाहताक्षं
भजे रामनामाति सम्प्राप्तरक्षम् ॥ 3 ॥
कृताभीलनाधक्षितक्षिप्तपादं
घनक्रान्त भृङ्गं कटिस्थोरु जङ्घम् ।
वियद्व्याप्तकेशं भुजाश्लेषिताश्मं
जयश्री समेतं भजे रामदूतम् ॥ 4 ॥
चलद्वालघातं भ्रमच्चक्रवालं
कठोराट्टहासं प्रभिन्नाब्जजाण्डम् ।
महासिंहनादा द्विशीर्णत्रिलोकं
भजे चाञ्जनेयं प्रभुं वज्रकायम् ॥ 5 ॥
रणे भीषणे मेघनादे सनादे
सरोषे समारोपणामित्र मुख्ये ।
खगानां घनानां सुराणां च मार्गे
नटन्तं समन्तं हनूमन्तमीडे ॥ 6 ॥
घनद्रत्न जम्भारि दम्भोलि भारं
घनद्दन्त निर्धूत कालोग्रदन्तम् ।
पदाघात भीताब्धि भूतादिवासं
रणक्षोणिदक्षं भजे पिङ्गलाक्षम् ॥ 7 ॥
महाग्राहपीडां महोत्पातपीडां
महारोगपीडां महातीव्रपीडाम् ।
हरत्यस्तु ते पादपद्मानुरक्तो
नमस्ते कपिश्रेष्ठ रामप्रियाय ॥ 8 ॥
जराभारतो भूरि पीडां शरीरे
निराधारणारूढ गाढ प्रतापी ।
भवत्पादभक्तिं भवद्भक्तिरक्तिं
कुरु श्रीहनूमत्प्रभो मे दयालो ॥ 9 ॥
महायोगिनो ब्रह्मरुद्रादयो वा
न जानन्ति तत्त्वं निजं राघवस्य ।
कथं ज्ञायते मादृशे नित्यमेव
प्रसीद प्रभो वानरेन्द्रो नमस्ते ॥ 10 ॥
नमस्ते महासत्त्ववाहाय तुभ्यं
नमस्ते महावज्रदेहाय तुभ्यम् ।
नमस्ते परीभूत सूर्याय तुभ्यं
नमस्ते कृतामर्त्य कार्याय तुभ्यम् ॥ 11 ॥
नमस्ते सदा ब्रह्मचर्याय तुभ्यं
नमस्ते सदा वायुपुत्राय तुभ्यम् ।
नमस्ते सदा पिङ्गलाक्षाय तुभ्यं
नमस्ते सदा रामभक्ताय तुभ्यम् ॥ 12 ॥
हनूमद्भुजङ्गप्रयातं प्रभाते
प्रदोषेऽपि वा चार्धरात्रेऽपि मर्त्यः ।
पठन्नश्नतोऽपि प्रमुक्तोघजालो
सदा सर्वदा रामभक्तिं प्रयाति ॥ 13 ॥
इति श्रीमदाञ्जनेय भुजङ्गप्रयात स्तोत्रम् ।
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