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Shri Lakshmi Narayan Kavacham || श्री लक्ष्मीनारायण कवचम् : Full Lyrics in Sanskrit
Shri Lakshmi Narayan Kavacham (श्री लक्ष्मीनारायण कवचम्)
लक्ष्मी नारायण कवच (Lakshmi Narayan Kavach) एक अत्यंत प्रभावशाली कवच है। इसका नियमित पाठ करने से साधक को Wealth, Prosperity और Good Health प्राप्त होती है, क्योंकि यह Goddess Lakshmi और Lord Narayana की कृपा को आकर्षित करता है। यदि कोई व्यक्ति अपने Business में लगातार Losses का सामना कर रहा है और कठिन Hard Work करने के बावजूद उसका Business सफल नहीं हो रहा, तो उसे अवश्य ही Lakshmi Narayan Kavach का पाठ करना चाहिए। यह व्यक्ति को Financial Stability दिलाने के साथ-साथ उसके व्यापार में Success और Growth प्रदान करता है। जो लोग आर्थिक कठिनाइयों से जूझ रहे हैं या Work Field में तरक्की नहीं मिल रही, उनके लिए यह कवच अत्यंत लाभकारी है। यह न केवल Money और Economic Progress को बढ़ावा देता है, बल्कि जीवन में Positivity भी लाता है। यदि किसी व्यक्ति का जीवन Tensions और Troubles से भरा हुआ है, और बार-बार Negative Thoughts मन में आते हैं, तो उसे इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह मानसिक शांति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है, जिससे जीवन में Happiness और Success का संचार होता है।॥ श्री लक्ष्मीनारायण कवचम् ॥
(Shri Lakshmi Narayan Kavacham)
॥ श्री भैरव उवाच ॥
अधुना देवि वक्ष्यामि लक्ष्मीनारायणस्य ते ।
कवचं मन्त्रगर्भं च वज्रपञ्जरकाख्यया ॥
श्रीवज्रपञ्जरं नाम कवचं परमाद्भुतम् ।
रहस्यं सर्वदेवानां साधकानां विशेषतः ॥
यं धृत्वा भगवान् देवः प्रसीदति परः पुमान् ।
यस्य धारणमात्रेण ब्रह्मा लोकपितामहः ॥
ईश्वरोऽहं शिवो भीमो वासवोऽपि दिवस्पतिः ।
सूर्यस्तेजोनिधिर्देवि चन्द्रर्मास्तारकेश्वरः ॥
वायुश्च बलवांल्लोके वरुणो यादसाम्पतिः ।
कुबेरोऽपि धनाध्यक्षो धर्मराजो यमः स्मृतः ॥
यं धृत्वा सहसा विष्णुः संहरिष्यति दानवान् ।
जघान रावणादींश्च किं वक्ष्येऽहमतः परम् ॥
कवचस्यास्य सुभगे कथितोऽयं मुनिः शिवः ।
त्रिष्टुप् छन्दो देवता च लक्ष्मीनारायणो मतः ॥
रमा बीजं परा शक्तिस्तारं कीलकमीश्वरि ।
भोगापवर्गसिद्ध्यर्थं विनियोग इति स्मृतः ॥
ॐ अस्य श्रीलक्ष्मीनारायणकवचस्य शिवः ऋषिः,
त्रिष्टुप् छन्दः , श्रीलक्ष्मीनारायण देवता,
श्रीं बीजं , ह्रीं शक्तिः,
ॐ कीलकं ,भोगापवर्गसिद्ध्यर्थे पाठे विनियोगः ।
॥ अथ ध्यानम् ॥
पूर्णेन्दुवदनं पीतवसनं कमलासनम् ।
लक्ष्म्या श्रितं चतुर्बाहुं लक्ष्मीनारायणं भजे ॥
॥ अथ कवचम् ॥
ॐ वासुदेवोऽवतु मे मस्तकं सशिरोरुहम् ।
ह्रीं ललाटं सदा पातु लक्ष्मीविष्णुः समन्ततः ॥
ह्सौः नेत्रेऽवताल्लक्ष्मीगोविन्दो जगतां पतिः ।
ह्रीं नासां सर्वदा पातु लक्ष्मीदामोदरः प्रभुः ॥
श्रीं मुखं सततं पातु देवो लक्ष्मीत्रिविक्रमः ।
लक्ष्मी कण्ठं सदा पातु देवो लक्ष्मीजनार्दनः ॥
नारायणाय बाहू मे पातु लक्ष्मीगदाग्रजः ।
नमः पार्श्वौ सदा पातु लक्ष्मीनन्दैकनन्दनः ॥
अं आं इं ईं पातु वक्षो ॐ लक्ष्मीत्रिपुरेश्वरः ।
उं ऊं ऋं ॠं पातु कुक्षिं ह्रीं लक्ष्मीगरुडध्वजः ॥
लृं लॄं एं ऐं पातु पृष्ठं ह्सौः लक्ष्मीनृसिंहकः ।
ओं औं अं अः पातु नाभिं ह्रीं लक्ष्मीविष्टरश्रवः ॥
कं खं गं घं गुदं पातु श्रीं लक्ष्मीकैटभान्तकः ।
चं छं जं झं पातु शिश्र्नं लक्ष्मी लक्ष्मीश्वरः प्रभुः ॥
टं ठं डं ढं कटिं पातु नारायणाय नायकः ।
तं थं दं धं पातु चोरू नमो लक्ष्मीजगत्पतिः ॥
पं फं बं भं पातु जानू ॐ ह्रीं लक्ष्मीचतुर्भुजः ।
यं रं लं वं पातु जङ्घे ह्सौः लक्ष्मीगदाधरः ॥
शं षं सं हं पातु गुल्फौ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीरथाङ्गभृत् ।
ळं क्षः पादौ सदा पातु मूलं लक्ष्मीसहस्रपात् ॥
ङं ञं णं नं मं मे पातु लक्ष्मीशः सकलं वपुः ।
इन्द्रो मां पूर्वतः पातु वह्निर्वह्नौ सदावतु ॥
यमो मां दक्षिणे पातु नैरृत्यां निरृतिश्च माम् ।
वरुणः पश्चिमेऽव्यान्मां वायव्येऽवतु मां मरुत् ॥
उत्तरे धनदः पायादैशान्यामीश्वरोऽवतु ।
वज्रशक्तिदण्डखड्ग पाशयष्टिध्वजाङ्किताः ॥
सशूलाः सर्वदा पान्तु दिगीशाः परमार्थदाः ।
अनन्तः पात्वधो नित्यमूर्ध्वे ब्रह्मावताच्च माम् ॥
दशदिक्षु सदा पातु लक्ष्मीनारायणः प्रभुः ।
प्रभाते पातु मां विष्णुर्मध्याह्ने वासुदेवकः ॥
दामोदरोऽवतात् सायं निशादौ नरसिंहकः।
सङ्कर्षणोऽर्धरात्रेऽव्यात् प्रभातेऽव्यात् त्रिविक्रम॥
अनिरुद्धः सर्वकालं विश्वक्सेनश्च सर्वतः ।
रणे राजकुले द्युते विवादे शत्रुसङ्कटे
ॐ ह्रीं ह्सौः ह्रीं श्रीं मूलं लक्ष्मीनारायणोऽवतु ॥
ॐॐॐरणराजचौररिपुतः पायाच्च मां केशवः
ह्रींह्रींह्रींहह्हाह्सौः ह्सह्सौः वह्नेर्वतान्माधवः ।
ह्रींह्रींह्रींजलपर्वताग्निभयतः पायादनन्तो विभुः
श्रींश्रींश्रींशशशाललं प्रतिदिनं लक्ष्मीधव पातु माम्॥
इतीदं कवचं दिव्यं वज्रपञ्जरकाभिधम् ।
लक्ष्मीनारायणस्येष्टं चतुर्वर्गफलप्रदम् ॥
सर्वसौभाग्यनिलयं सर्वसारस्वतप्रदम् ।
लक्ष्मीसंवननं तत्वं परमार्थरसायनम् ॥
मन्त्रगर्भं जगत्सारं रहस्यं त्रिदिवौकसाम् ।
दशवारं पठेद्रात्रौ रतान्ते वैष्णवोत्तमः ॥
स्वप्ने वरप्रदं पश्येल्लक्ष्मीनारायणं सुधीः ।
त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नित्यं कवचं मन्मुखोदितम् ॥
स याति परमं धाम वैष्णवं वैष्णवेश्वरः ।
महाचीनपदस्थोऽपि यः पठेदात्मचिन्तकः ॥
आनन्दपूरितस्तूर्णं लभेद् मोक्षं स साधकः ।
गन्धाष्टकेन विलिखेद्रवौ भूर्जे जपन्मनुम् ॥
पीतसूत्रेण संवेष्ट्य सौवर्णेनाथ वेष्टयेत् ।
धारयेद्गुटिकां मूर्ध्नि लक्ष्मीनारायणं स्मरन् ॥
रणे रिपुन् विजित्याशु कल्याणी गृहमाविशेत् ।
वन्ध्या वा काकवन्ध्या वा मृतवत्सा च याङ्गना ॥
सा बध्नीयान् कण्ठदेशे लभेत् पुत्रांश्चिरायुषः ।
गुरुपदेशतो धृत्वा गुरुं ध्यात्वा मनुं जपन् ॥
वर्णलक्षपुरश्चर्या फलमाप्नोति साधकः ।
बहुनोक्तेन किं देवि कवचस्यास्य पार्वति ॥
विनानेन न सिद्धिः स्यान्मन्त्रस्यास्य महेश्वरि ।
सर्वागमरहस्याढ्यं तत्वात् तत्वं परात् परम् ॥
अभक्ताय न दातव्यं कुचैलाय दुरात्मने ।
दीक्षिताय कुलीनाय स्वशिष्याय महात्मने ॥
महाचीनपदस्थाय दातव्यं कवचोत्तमम् ।
गुह्यं गोप्यं महादेवि लक्ष्मीनारायणप्रियम् ।
वज्रपञ्जरकं वर्म गोपनीयं स्वयोनिवत् ॥
॥ इति श्री लक्ष्मीनारायण कवचं सम्पूर्णम् ॥
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Sri Lakshmi Narasimha Stotra (श्रीलक्ष्मीनृसिंहस्तोत्रम्)
श्री नारायण अष्टकम् (Shri Narayan Ashtakam): हिंदू धर्मशास्त्र के अनुसार, नियमित रूप से श्री नारायण अष्टकम् का जप करना <><>भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का सबसे प्रभावशाली उपाय है। जो लोग समृद्धि और धन प्राप्त करना चाहते हैं, लेकिन असफलताओं का सामना कर रहे हैं, उन्हें श्री नारायण अष्टकम् का पाठ अवश्य करना चाहिए। यह स्तोत्र भगवान विष्णु की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों के जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है।Stotra
Shri Mahalakshmi Kavacham (श्री महालक्ष्मी कवचम्)
Shri Mahalakshmi Kavacham (श्री महालक्ष्मी कवच) Shri Mahalakshmi Kavacham एक अत्यंत शक्तिशाली संस्कृत स्तोत्र है, जो Goddess Lakshmi को समर्पित है। मां लक्ष्मी को Prosperity (भौतिक और आध्यात्मिक दोनों), Wealth, Fertility, Good Fortune और Courage की देवी माना जाता है। यह Mahalakshmi Kavacham Brahma Purana से लिया गया है। Shri Mahalakshmi Kavacham का पाठ करने से साधक को मां लक्ष्मी की Divine Blessings प्राप्त होती हैं। यह Wealth, Fortunes और Boons प्रदान करने के साथ-साथ Misfortunes, Suffering और Poverty को भी दूर करता है। Mahalakshmi हिंदू धर्म में Wealth, Prosperity और Fortune की देवी मानी जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि मां लक्ष्मी की कृपा से जीवन में Good Luck आता है। वह हिंदू धर्म में सबसे अधिक पूजित देवी हैं और Wealth, Status, Greatness और Fame प्राप्त करने में सहायक मानी जाती हैं। Goddess Lakshmi भगवान Vishnu की पत्नी और उनकी Shakti मानी जाती हैं। हिंदू धर्म के Shaktism परंपरा में लक्ष्मी को Supreme Goddess Principle का ही एक अन्य स्वरूप माना जाता है। भारतीय कला में Maa Lakshmi को एक सुशोभित, संपन्नता बरसाने वाली, स्वर्णिम आभा युक्त देवी के रूप में दर्शाया गया है, जिनका वाहन एक Owl (उल्लू) है। उल्लू उनके जीवन में Economic Activity के महत्व को दर्शाता है और यह भी संकेत करता है कि वह Confusing Darkness में भी मार्गदर्शन कर सकती हैं। Mahalakshmi आमतौर पर एक Lotus Pedestal पर Yogin की मुद्रा में खड़ी या बैठी हुई होती हैं और उनके हाथों में Lotus होता है, जो Fortune, Self-Knowledge और Spiritual Liberation का प्रतीक है। उनकी Iconography में उन्हें चार भुजाओं के साथ दर्शाया गया है, जो हिंदू जीवन के चार प्रमुख Goals – Dharma, Kama, Artha और Moksha को दर्शाती हैं। Shri Mahalakshmi Kavacham का नियमित पाठ करने से मां लक्ष्मी की Divine Grace प्राप्त होती है और जीवन में Abundance, Peace और Spiritual Growth आती है।Kavacha
Mahalakshmi Stuti (महालक्ष्मी स्तुति)
Mahalakshmi Stuti (महालक्ष्मी स्तुति) देवी Mahalakshmi की praise में गाई जाने वाली एक divine hymn है, जिसे spiritual and material prosperity प्राप्त करने के लिए devotees द्वारा गाया जाता है। Devi Mahalakshmi को goddess of wealth, fortune, power, and auspiciousness माना जाता है, और उनकी Stuti का chanting जीवन में happiness, success, and abundance लाता है। धार्मिक मान्यता है कि Shri Mahalakshmi Stuti का पाठ करने से न केवल financial stability प्राप्त होती है बल्कि जीवन में divine blessings भी आती हैं। यह स्तुति विशेष रूप से Fridays, Diwali, और Sharad Purnima के दिन गाने से अत्यधिक लाभकारी होती है। Recitation के दौरान pure heart और devotion का होना आवश्यक है, जिससे Goddess Lakshmi की grace साधक पर बनी रहती है।Stuti
Shri Mahalakshmi Ashtakam (श्री महालक्ष्मी अष्टकम् )
श्री महालक्ष्मी अष्टकम (Shri Mahalakshmi Ashtakam) संस्कृत में Goddess Mahalakshmi को समर्पित एक Sacred Prayer है। Shri Mahalakshmi Ashtakam Padma Purana से लिया गया है, और इस Devotional Prayer का Chanting Lord Indra ने Goddess Mahalakshmi की Stuti (Praise) में किया था। Maa Lakshmi का अर्थ Hindu Dharma में Good Luck से है। 'Lakshmi' शब्द संस्कृत के "Lakshya" शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'Aim' या 'Goal'। वह Wealth and Prosperity की Goddess हैं, जो Material और Spiritual दोनों रूपों में Abundance और Success प्रदान करती हैं। Hindu Mythology में, Maa Lakshmi, जिन्हें "Shri" भी कहा जाता है, Lord Vishnu की Divine Consort हैं और उन्हें Financial Stability, Fortune, and Wealth प्रदान करती हैं, ताकि वे Creation के Maintenance and Preservation में सक्षम हो सकें। इस Stotra का Regular Chanting करने से Ashtakam के समस्त Benefits प्राप्त होते हैं।Ashtakam
Maha Lakshmyashtakam Strotra (महालक्ष्म्यष्टकम्)
महालक्ष्मी अष्टकम देवराज इन्द्र द्वारा रचित माता लक्ष्मी को समर्पित एक स्तोत्र है, इसका उल्लेख पद्म पुराण में हुआ है। इस स्तोत्र के नियमित पाठ से साधक महालक्ष्मी की कृपा से धन-धान्य संपन्न हो जाता है, उसके महान पातकों और शत्रुओं का नाश हो जाता है।Stotra
Dhanvantari Mantra (धन्वंतरी मंत्र)
धन्वंतरि मंत्र भगवान धन्वंतरि की स्तुति और ध्यान के लिए उपयोग किया जाता है, जो आयुर्वेद के देवता और स्वास्थ्य के संरक्षक माने जाते हैं। धन्वंतरि, जिन्हें "Health God" और "Ayurveda Healer" के रूप में भी जाना जाता है, विष्णु के अवतार हैं। मंत्र का उच्चारण शारीरिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाने के साथ-साथ आत्मा को शांति प्रदान करता है। इस मंत्र का नियमित जाप तन और मन को शक्ति प्रदान करता है और व्यक्ति को रोगों से बचने की क्षमता देता है। इसे "Holistic Health God Prayer" के रूप में भी देखा जा सकता है। भगवान धन्वंतरि की पूजा से सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता को प्रोत्साहन मिलता है।Mantra
Shri Meenakshi Stuti (श्री मीनाक्षी स्तुति)
Shri Meenakshi Stuti देवी मीनाक्षी की महिमा का वर्णन करती है, जो "Goddess of Power" और "Divine Protector" के रूप में पूजित हैं। यह स्तुति विशेष रूप से मीनाक्षी देवी के सौंदर्य, शक्ति और उनके "Divine Grace" को प्रणाम करती है। देवी मीनाक्षी को "Supreme Goddess" और "Goddess of Knowledge" के रूप में भी जाना जाता है, जो भक्तों को जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि प्रदान करती हैं। Shri Meenakshi Stuti का पाठ "Goddess Meenakshi Prayer" और "Spiritual Power Hymn" के रूप में किया जाता है। इसके जाप से व्यक्ति के जीवन में "Divine Protection" और "Inner Peace" का संचार होता है। यह स्तोत्र "Blessings for Prosperity" और "Mental Strength Prayer" के रूप में भी प्रभावी है। इसका नियमित पाठ भक्तों को "Positive Energy" और "Spiritual Awakening" प्रदान करता है। Shri Meenakshi Stuti को "Divine Feminine Energy Chant" और "Goddess Meenakshi Blessings" के रूप में पढ़ने से जीवन में हर बाधा दूर होती है।Stuti
Shri Lakshmi Sahasranama Stotram (श्री लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्रम्)
लक्ष्मी सहस्रनाम स्तोत्र स्कंद पुराण से लिया गया है, जहां इसे ऋषि सनत कुमार द्वारा 12 ऋषियों के एक समूह को सिखाए जाने का उल्लेख है। यहां यह भी कहा गया है कि देवी लक्ष्मी स्वयं कहती हैं कि यदि यह स्तोत्र बिना विश्वास के भी पाठ किया जाए, तो भी वह उस कुल में सदैव निवास करती हैं। एक अन्य महा लक्ष्मी सहस्रनाम का उल्लेख ब्रह्म पुराण में किया गया है, जो कश्मीर के वर्णन वाले अध्याय और हिरण्यगर्भ हृदय के अध्याय में पाया जाता है। इस अनुवाद के स्रोत में 1,033 नामों का उल्लेख है, हालांकिSahasranama-Stotram